Bakhtawar Singh Thakran
Bakhtawar Singh Thakran was a freedom fighter and the Chaudhary of Jharsa Khap. He was hanged to death by the British on 12.10.1857.
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Jharsa Khap
This khap played very important role in the freedom movement of 1857 in which Ch Bakhtawar Singh of village Jhadsa was hanged to death by the British. [1]
झाड़सा पालम खाप
25. झाड़सा पालम खाप - इसका दूसरा नाम सोलंकी खाप है. यह खाप दिल्ली के निकटवर्ती गांवों में फैली हुई है. गांव पालम इसका मुख्यालय है. इस गांव में 365 गांव शामिल हैं. इस खाप में दिल्ली प्रदेश के गांव महरौली, महिपालपुर, खानपुर, घिटोरनी, पालम, मुनीरका, लाडो सराय, नीम सराय और घटवारिया, गुडगांव जनपद के शेरावतों के गांव सुखराली, झाडसा, और कटारिया, अहिरों के वजीरपुर, कबूलपुर और लाड़ोली आदि प्रमुख गाँव हैं. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में इस खाप के चौधरी बख्तावर सिंह गांव झाड़सा को अंग्रेजों ने फांसी पर लटकाया था. मगर वह झुका नहीं.[2]
बख्तावर सिंह ठाकरान का परिचय
जब भी इस देश को शहीदी की जरूरत पड़ी तो जाट सबसे आगे वाली कतार में खड़ा हुआ । जंग ऐ आजादी के लिए भी जाटों ने अग्रिणय भूमिका निभाई है । 1857 की क्रांति जाटों के नाम है । वैसे तो इस जंग में अन्य जाटों ने अहम भूमिका निभाई है पर आज उन्ही में से एक गुमनाम अमर_शहीद_बख्तावर_सिंह_ठाकरान का जिक्र कर उनकी बहादुरी को प्रस्तुत करते है।
बख्तावर सिंह ठाकरान गांव झाडसा जिला गुड़गांव के रहने वाले थे । जिन्होने करीब 250 अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया था। आज भी इस गांव के लोग उस लम्हे को याद करते है तो फख्र से सीना चौड़ा हो जाता है । ये लोग उन किस्से कहानियों में ऐसे खो जाते है जैसे इस वक्त भी जंग का हिस्सा बन रहे हो उनमे वही पुराना जोश लौट आता है और साथ ही आंखे भी नम हो जाती है परंतु उनको सजदा करना वे लोग नही भूलते हैं।
झाडसा गांव में एक ऐसा योद्धा पैदा हुआ जो अंग्रेजो के लिए काल बन गया था । उन्होने देश के लिए अपने पूरे परिवार को न्यौछावर कर दिया था । हालांकि अंग्रेज सरकार ने उनको फांसी पर लटका दिया था। इसी झाडसा गांव के रिटायर्ड सूबेदार एवं जिला सैनिक बोर्ड के वैनफेयर ऑफिसर बिजेंद्र सिंह के अनुसार बख्तावर सिंह को झाडसा 360 के चौधरी थे । बख्तावर सिंह को राजस्व का अधिकार प्राप्त था एवं झाडसा कमिश्नरी थी। ये यहां अपनी कचहरी लगाते व लोगो को न्याय देते थे । यही से उन्होने आजादी ऐ जंग के लिए जागरूकता के अभियान की शुरुआत की थी।
बख्तावर सिंह शुरू से ही अंग्रेजी हकूमत के विरोध में लगे हुए थे । 1857 के संग्राम के दौरन जब अंग्रेज दिल्ली से भागकर गुड़गांव की और छिपने आए तो बख्तावर सिंह ने एक-एक करके करीब 250 अंग्रेज सैनिको और अंग्रेज अफसरों को बंधक बना लिया और उनको वही तमाम यातनाएं दी जो अंग्रेजी हकूमत भारतीयो को दिया करते थी । अंत में बख्तावर सिंह ने उन सभी अंग्रेजो को मौत के घाट उतार दिया। जब 1857 के संग्राम की आग ठंडी हुई तो अंग्रेजो ने धोखे से बख्तावर सिंह को बंधक बना लिया । अंग्रेजो ने उनको अन्य क्रांतिकारियों का पता बताने के लिए क़हा पर बख्तावर सिंह ने उनके आगे घुटने नही टेके । अंग्रेजी हकूमत ने अंग्रेजी हकूमत के अधिकारियों को मारने के जुर्म में इस वीर को 12 अक्टूबर 1857 को वर्तमान राजीव चौक पर फांसी पर लटका दिया था । इस प्रकार इस वीर ने अपना जीवन व अपना परिवार देश हेतु बलिदान कर दिया । फांसी के बाद अंग्रेजो ने उनके शव को वही छोड़ दिया इस्लामपुर के ही निवासियों ने उनका अन्तिम संस्कार किया था ।
जब इस घटना को गुलामी के परिपेक्षय में देखते है तो बख्तावर सिंह ठाकरान ऐसा योद्धा था जो सही मायने में इस क्षेत्र से आजादी का महानायक कहलाने लायक है । बख्तावर सिंह को स्वतंत्रता के बाद सरकार ने पूरा मान सम्मान नही दिया जिसके वे हकदार थे । आज शहर में उनके नाम से चौक है सड़क है झाडसा गांव में चारो और उनके नाम से आधुनिक गेट बनवाए गए है परंतु एक भी मूर्ति नही बनवाई गई । उनकी शहीदी चौक पर राजीव चौक बनवा दिया गया और जहां आज उनका चौक है वहां भी इन्द्रा गांधी चौक बनवाने की कोशिश की गई थी परंतु गांव वालो के विरोध के बाद ही इस चौक का नाम अमर शहीद बख्तावर सिंह ठाकरान चौक रखा गया।
उनकी कचहरी जर्जर की अवस्था में चीख़- चीख़ कर क्रांति की गवाही दे रही है । आज हम इस महानायक की बहादुरी उसके बलिदान को भुला चुके है । आज का 1℅ युवा भी इनकी बहादुरी इनके बलिदान के बारे में नही जानता । मेरा सभी युवाओ से हाथ जोड़ निवेदन है कि अपने इतिहास को खंगालो और अपने पूर्वजो को जानो । ऐसा बहुत से महानायक हमने भूल के अंधकार ने हमेशा के लिए दफन कर दिए है ये भूल आज हमको ही शेद रही है क्योकि जिस जाति का इतिहास नही होता उसका कभी विकास नही होता । वो जाति ऐसे ही भूल भुलया में खत्म हो जाती है ।
नींद से जागो युवाओ, खंगालो अपने इतिहास को जो बिखरा पड़ा है उसको इक्कठा कर अपनी कौम अपने आप को मजबूत करो ।
संदर्भ: Facebook Post of Sohan Godara,19.9.2021
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References
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