Basholi
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
- For another town of this name see Basoli Baraut
Basholi (बशोली) is a town in Kathua district in the union territory of Jammu and Kashmir, India.
Location
It is situated on the right bank of River Ravi at an altitude of 1876 ft.
Origin
Variants
Jat clans
History
It was founded by Raja Bhupat Pal sometime in 1635. It was known for magnificent palaces which are now in ruins and miniatures paintings (Basohli Paintings). A famous Sikh-Mughal battle was fought at Basoli.
The earliest paintings in this style have been dated to the time of Raja Kirpal Pal (1678–93). A Battle was fought at Basoli, it was called as the Battle of Basoli between Sikhs and Mughal Empire in 1702.[1]
Originating in Basohli State, the style spread to the Hill States of Mankot, Nurpur, Kulu, Mandi, Suket, Bilaspur, Nalagarh, Chamba, Guler and Kangra. The first mention of Basohli painting is in the annual report of the Archaeological Survey of India for the year published in 1921. Referring to the acquisitions of the Archaeological Section of the Central Museum, Lahore, the report states that "a series of old paintings of the Basohli School were purchased, and the Curator concludes that the Basohli Schools is possibly of pre-Moghul origin, and so called Tibeti pictures are nothing but late productions of this school".
बसौली
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है .....बसौली (AS, p.613) भारत के पहाड़ी प्रदेशों में जिला कठुवा (जम्मू-कश्मीर) में स्थित है। यह भारतीय चित्रकला की एक विशेष शैली के लिए प्रसिद्ध है। बसौली नरेश राजा कृपाल (1678-1693 ई.) ने चित्रकला के एक नए 'स्कूल' को जन्म दिया था। इसकी विशेषता है अभिव्यक्ति की कर्कशता तथा कठोरता। [p.613]: विलियम आर्चर (भारतीय विभाग, विक्टोरिया-एलबर्ट संग्राहालय, लंदन) के अनुसार बसौली की चित्रकला के मानव चित्रों में नेत्रों का अभिव्यंजन गहरी रेखाओं और प्रकृति का चित्रण आयताकार अथवा वर्तुल रेखाओं द्वारा किया गया है। बसौली की इस शैली में प्रेम के विषयों का आलेखन काव्यमय न होकर कर्कशतापूर्ण है। (दे. गुलेर)
गुलेर
विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...गुलेर (AS, p.294) - कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में स्थित है। कांगड़ा स्कूल की चित्रकला में गुलेर का विशेष महत्व है। वास्तव में इस शैली का जन्म 18वीं शती में गुलेर तथा निकटवर्ती स्थानों में हुआ था। बसौली के प्रसिद्ध चित्रकला-प्रेमी नरेश कृपालसिंह की मृत्यु के पश्चात् उनके दरबार के अनेक कलावंत अन्य स्थानों में चले गये थे। गुलेर में कृपालसिंह के समान ही राजा गोवर्धनसिंह ने अनेक चित्रकारों को प्रश्रय तथा प्रोत्साहन दिया। बसौली शैली की परुषता गुलेर में पहुँचकर कोमल हो गई और कांगड़ा शैली के विशिष्ट गुण, मृदुसौन्दर्य का धीरे-धीरे गुलेर के वातावरण में विकास होने लगा, किन्तु अब भी रंगों की चमक-दमक पर कलाकार अधिक ध्यान देते थे। किन्तु इस शैली का पूर्ण विकास गुलेर के मुग़ल चित्रकारों ने किया, जो इस नगर में दिल्ली से नादिरशाह के आक्रमण (1739) के पश्चात् आकर बस गए थे। गुलेर की एक राजकुमारी का विवाह गढ़वाल में होने के कारण कांगड़ा शैली की चित्रकला गढ़वाल भी जा पहुँची।
External links
References
- ↑ A Review of Basohli Style in Indian Painting, Chandramani Singh, Kailash - Journal of Himalayan Studies vol 2, Number 1&2, 1974 [1]
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.613-614
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.294