Bhadrakarneshvara

From Jatland Wiki
(Redirected from Bhadrakarneswara)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Chamoli district map

Bhadrakarneshvara (भद्रकर्णेश्वर) refers to the name of a Tīrtha (pilgrim’s destination) mentioned in the Mahābhārata (cf. III.82.35). It is identified with Karnaprayaga, a city in Chamoli District in the Indian state of Uttarakhand.

Variants

History

In Mahabharata

Bhadrakarneswara (भद्रकर्णेश्वर) (Tirtha) Mahabharata (III.82.35)

Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 82 mentions names Pilgrims. Bhadrakarneswara (भद्रकर्णेश्वर) (Tirtha) is mentioned in Mahabharata (III.82.35).[1].... Then, O lord of men, the pilgrim should repair to Rudravarta (रुद्रावर्त) (III.82.33). Bathing there, one ascendeth to heaven. Bathing at the confluence of the Ganga and the Saraswati, a person obtaineth the merit of the horse-sacrifice and also ascendeth to heaven. Proceeding next to Bhadrakarneswara (भद्रकर्णेश्वर) (III.82.35) and worshipping the gods duly, one, without sinking into distress, becometh adored in heaven.

भद्रकर्णेश्वर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...भद्रकर्णेश्वर (AS, p.656): महाभारत में इस तीर्थ का वन पर्व के अंतर्गत तीर्थ-प्रसंग में उल्लेख है, 'भद्रकर्णेश्वरं गत्वा देवम अर्च्य यथाविधिं, न दुर्गतिम अवाप्नॊति नाकपृष्ठे च पूज्येते' वनपर्व 84,39 भद्रकर्णेश्वर का अभिज्ञान जिला गढ़वाल (उत्तर प्रदेश) में स्थित कर्णप्रयाग से किया गया है जो प्रसंग से ठीक ही जान पड़ता है क्योंकि वन पर्व 84, 37 में रुद्रावर्त (रुद्रप्रयाग) का वर्णन है.

कर्णप्रयाग

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...कर्णप्रयाग (AS, p.143) : महाभारत में वर्णित भद्रकर्णेश्वर तीर्थ (वनपर्व 84, 39) शायद यही है.

External links

References

  1. भद्र कर्णेश्वरं गत्वा देवम अर्च्य यथाविधि, न दुर्गतिम अवाप्नॊति सवर्गलॊकं च गच्छति (III.82.35)
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.656
  3. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.143