Bhagwana Ram

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Bhagwana Ram from village Khicharon Ka Bas Dist:Sikar Rajasthan, was a leading Freedom Fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan.

सन 1938 में सीकर रावराजा के सीकर से निर्वासन प्रकरण में सीकर व पंचपना शेखावाटी के सारे ठिकानेदार व राजपूत पहले से ही रावराजा सीकर के पक्ष में थे. रावराजा सीकर ने सीकरवाटी जाट किसान पंचायत के सदस्यों को देवीपुरा की कोठी में बुलाया. जो पंच गए उन में आप भी सम्मिलित थे.[1]


26 जून 1938 को शेखावाटी किसान जाट पंचायत ने एक वक्तव्य भी प्रकाशित कराया जिसमें खंडन किया गया कि उनका सीकर के रावराजा के वर्तमान प्रकरण से कोई सम्बन्ध नहीं है. यह कि हमारा यह विश्वास है कि सीकर का यह आन्दोलन शेखावाटी और सीकर के सन 1935 -36 में हुए किसानों के जबरदस्त आन्दोलन के फलस्वरूप इधर के ठिकानेदारों और उनसे सम्बंधित हित वाले लोगों की स्वेच्छाचारिता में जयपुर सरकार का कुछ बाधक बनना होना है. यह कि इस आन्दोलन के दौरान किसानों को धमकियां दी जा रही हैं. (डॉ पेमाराम, p. 160)

शेखावाटी किसान जाट पंचायत के प्रतिनिधियों द्वारा उपरोक्त वक्तव्य देने तथा शेखावाटी किसान जाट पंचायत द्वारा सीकर ठिकाने का साथ न देकर जयपुर महाराजा के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करने पर मि. यंग (Young) ने अपने 28 जून 1938 के एक गोपनीय पात्र द्वारा जयपुर सरकार से बाहर के किसान नेताओं पर लगे निर्वासन आदेश को निरस्त करने की सिफारिश की. (डी.ओ. न. 347 , 28 जून 1938 ) 11 जुलाई 1938 को निम्न आठ किसान नेताओंपर से जयपुर राज्य में प्रवेश पर लगे प्रतिबन्ध को हटा दिया. - 1. बाबा नरसिंहदास अग्रवाल नागौर, 2 . कुंवर रतनसिंह भरतपुर, 3 . ठाकुर देशराज भरतपुर, 4. हुकुम सिंह और 5.भोला सिंह, उपदेशक अखिल भारतीय जाट महासभा, 6. राम नारायण चौधरी, 7. तुलसीराम मन्सुदा आगरा, तथा 8. रामानंद उर्फ़ दयानंद जाट भरतपुर. (डॉ पेमाराम, p. 161)

सीकर रावराजा के बारे में आन्दोलन के दौरान जब सीकर की जनता ने सीकर शहर के दरवाजे बंद कर लिए तो जयपुर से आने वाली फ़ौज के खाने-पिने के सामान की व्यवस्था सीकर जाट पंचायत की और से उसके कोषाध्यक्ष भगवाना राम ने की थी. इससे जयपुर अधिकारियों की जाटों के प्रति सहानुभूति बढ़ गयी और उनकी शिकायतों पर तत्काल ध्यान दिया जाने लगा. बाहर के किसान नेताओं से प्रतिबन्ध हटाना पहला कदम था. मि. यंग ने 1000 रुपये 'जाट बोर्डिंग हाऊस झुंझुनू' को देने के लिए जयपुर प्रधानमंत्री को भेजने हेतु लिखा. इसके साथ ही मि. यंग ने जाटों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार अपनाने तथा पढ़े-लिखे जाटों के लड़कों को सेना, पुलिस, राजस्व और इसी तरह के अन्य विभागों में नौकरियां देने हेतु भी जयपुर सरकार ने सिफारिश की तथा पुलिस में बड़ी संख्या में जाट लड़कों को नौकरियां दीं. मि. यंग की सिफारिश पर जयपुर स्टेट काउन्सिल ने भी 8 अगस्त 1938 की अपनी बैठक में यह निर्णय किया की जाटों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार किया जाय और स्थानीय पढ़े-लिखे जाटों को प्रशासन के हर विभाग में नियुक्तियां दी जाएँ. साथ ही सामाजिक मामलों में भी जाटों के साथ उचित व्यवहार किया जाय. (डॉ पेमाराम, p. 161)

References

  1. डॉ पेमाराम: शेखावाटी किसान आन्दोलन का इतिहास, 1990, p.158

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