Ram Singh Man

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Chaudhary Ram Singh Man

Chaudhary Ram Singh Man was a freedom fighter (1857) from village Balla village of Mann gotra in Karnal district of Haryana. He became martyr in 1857 fighting with British army. He founded the Jagir of Gogdipur 20 km away from Balla village in Karnal. His son was Rao Bahadur Bansi Gopal Mann. Other family members include Randhir Singh Mann Unionist, Janki Mann MLA, Surjit Singh Mann MLA, Tejinder Pal Mann MLA.

चौधरी रामसिंह मान

शिरोमणि वीर अमरबलिदानी चौधरी रामसिंह मान (1857 करनाल, हरियाणा)

हरियाणा का वो गुमनाम क्रांतिकारी जिसने दो बार अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे।

चौधरी राम सिंह जी मान करनाल के बल्ला गांव के चौधरी थे। वे एक महान देशभक्त और यौद्धा थे। वे घुड़सवारी और तलवार चलाने मे बिल्कुल निपुण थे। 1857 की क्रांति के दौरान अपने गांव व आस-पास के क्षेत्र से लगभग 900 क्षत्रिय जाट वीरों की एक सेना तैयार की। जिनका उद्देश्य गांव की हिफाजत करना व अंग्रेजो का विनाश करना था। खुद एक 50 वीरों घुड़सवार का जथा बनाकर एक जगह से मोर्चा सम्भाला।

अंग्रेजी मेजर हुघस के नेतृत्व में 1st पंजाब घुड़सवार फौज जिसमे अफ़ग़ान और सिख सैनिक थे। इन्होंने क्रांतिकारियों की गतिविधियों से घबराकर गांव पर हमला कर दिया। इस युद्ध में वीर क्रांतिकारियों ने बन्दूको से गोलियों की बौछार करी । पास आते ही राम सिंह की घुड़सवार फौज ने अंग्रेज़ी फौज पर हमला किया और काफी सैनिकों को काट डाला। यहां से हारने के बाद अगले दिन अंग्रेजी फौज फिर से और संख्या में आयी लेकीन भारत माता के इस वीर योद्धा की बहादुरी के कारण सिख पठान फौज को फिर भागना पड़ा । निरंतर दो बार हारने के कारण अब अंग्रेजों ने बड़ी तोपें और ज्यादा सैनिक भेजे । तोपों की मार से कई बन्दूकची शहीद हो गये ।

अब वीर क्रान्तिकारियों ने अपनी आखिरी लडाई लड़ने हेतु पगड़ी बान्धकर, तलवार लेकर जंग में कूद पड़े । राम सिंह के नेतृत्व में मात्र 50 घुड़सवारों के सामने तोपों के गोले और उनसे बड़ी सिख पठान फौज, जिनके पास आधुनिक हथियार थे, के बीच एक भीषण युद्ध हुआ जिसमें राम सिंह और उनके सब के सब साथी शहीद हो गए लेकिन उन्होंने एक कदम भी पीछे नही हटाया। अंतः उन्होने भी रणभूमि में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया !

दुख की बात है कि अब तक इस महान क्रांतिकारी व अन्य शहीदों के लिए कोई मूर्ति या स्मारक नहीं बनवाया गया।

स्रोत

(1.) Karnal gazzete

(2.) The revolt of 1857 in Haryana (KC Yadav)

(3.) Revolt of 1857 in Punjab and role of Sikhs (Hari Singh Boparai)

(4.) Journal of Haryana Studies (Vol.28)

शहीद को सम्मान

गैलरी

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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