Jassaur Kheri

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Jassaur Kheri (जैसोर खेड़ी/ खेड़ी जसौर) are twin villages in Bahadurgarh tahsil of Jhajjar district of Haryana.

जैसोर और खेड़ी नाम के ये दोनों गाँव जुड़वां हैं - एक गली का रास्ता इनको अलग करता है। एक तरह से ये दो पाने हैं। वैसे स्थानीय लोग भाषाई उच्चारण में इनको दिसावर खेड़ी भी बोल देते हैं।

Location

These villages are close to Sonipat and Rohtak district boundaries. Asaudha, the neighbouring village, is a Dalal gotra village.

Jat gotras

History

कप्तान सिंह देशवाल लिखते हैं -

गाँव खेड़ी जैसौर (झज्जर)

यह गाँव दादी सबुरी ने गाँव बलियाणा से आकर बसाया था। इस गाँव की कहानी इस प्रकार है कि गाँव जसौर की लड़की तहलान गौत्र से गाँव बलियाणा के चौधरी मेनपाल के साथ इसकी शादी हुई थी। इसके तीन पुत्र मेदसिंह, धारे, राजा पैदा हुए। कुछ समय के बाद बीमारी के कारण चौ. मैनपाल का स्वर्गवास हो गया। दादी सबुरी को अपनी रीति रिवाज के अनुसार दादा मेनपाल के छोटे भाई का पल्ला उढा दिया गया। दादी सबुरी की कोख से एक पुत्र और पैदा हुआ। इस तरह से दादी के चार पुत्र हुए।

यह गाँव पहले चौ. जसराम ने बसाया था। इसी के नाम से गाँव का नाम जसौर रखा गया। पहले यह गाँव खेतों में बन्देपुर नाम से कुछ सालों तक बसा रहा। चौ. जसराम का पूरा परिवार पानी की कमी के कारण एक तालाब के किनारे पर आकर बस गया। इस तालाब का नाम हरिसिरंगी तालाब है। चौ. जसराम और दादी सबुरी के परिवार ने इस तालाब की खुदाई कर दी। खुदाई के समय पर तालाब में अष्टधातु की एक देवी माई की मूर्ति मिल गई। गाँव वालों ने मिलकर पूरी लगन व श्रद्धा से देवी माई का अति सुन्दर मन्दिर बनाया हुआ है। देवी माई का मन्दिर 22 बीघा जमीन में बना हुआ है। इस मन्दिर के आमने-सामने, पीछे बहुत ही सुन्दर पार्क बने हुए हैं। मन्दिर में यज्ञशाला, सत्संग भवन और विश्राम भवन भी बना हुआ है। गाँव की मन्दिर के प्रति पूरी आस्था है। मन्दिर में हर रोज कीर्तन, हवन भी होता है। यहाँ पर अन्य देवी-देवता, शिवशंकर भगवान और हनुमान जी का मन्दिर भी बना हुआ है। तालाब का क्षेत्रफल 40 बीघा जमीन है। गाँव के समझदार व बुजुर्गों में चौ. मानसिंह नम्बरदार, सूबेसिंह, रामेश्वर, चौ. चान्दराम नम्बरदार, पूर्व प्रधान श्री जयभगवान, चौ. प्रभानन्द देशवाल ने गाँव की शान्ति और प्रगति पर विचार प्रकट करते हुए कहा कि हमारे गाँव पर भगवान की कृपा न्यारी ही है। यह गाँव तपोभूमि है। हमारे यहाँ गाँव पर कोई भी प्राकृतिक आपदा नहीं आती। किसी प्रकार की महामारी का आज तक कोई भी जिक्र नहीं है क्योंकि यहाँ पर महर्षि श्रृंगी ने तप किया था। इस तालाब पर माण्डु ऋषि ने भी तप किया था। अतः ऋषियों की तपोभूमि और आशीर्वाद के कारण यहाँ पर प्राकृतिक प्रकोप का डर नहीं है।

गाँव खेड़ी

गाँव खेड़ी के बारे में जो पता चला है, इसका वर्णन इस तरह से सुनने में आता है कि गाँव जसौर छोटा होने के कारण दूसरे गाँव वाले अक्सर इनसे झगड़ा करते थे। कई बार लूटपाट भी की गई। पड़ौसी गाँव वाले इस गाँव को उजाड़ने की कई बार कोशिश कर चुके थे। अतः चौ. जसराम अपने साथ अन्य आदमियों को लेकर गाँव बलियाणा में मदद के उद्देश्य से आया था। यहाँ पर भाईचारे से बात हुई। गाँव बलियाणा की पंचायत ने फैसला करते हुए कहा कि ठीक है, आप अपनी लड़की के परिवार और मेनपाल को ले जा सकते हैं। लेकिन पहले अपनी लड़की सबुरी से बात करें क्या वह जाना चाहती है या नहीं। सब बातें निर्धारित होने पर मेनपाल और सबुरी गाँव जैसोर में आ गए। यहाँ आने पर सबुरी को गाँव की आधी जमीन दी गई। दादी सबुरी की शर्तों के अनुसार गाँव की जमीन, घर, बणी, गितवाड़े भी आधे दे दिए गए। अतः आधे हिस्से में बहन की संतान और आधे हिस्से में भाई के परिवार हैं। अतः यह खेड़ी जसौर गाँव मामा-भाँजे का गाँव है जो अब भाईचारे में आ गया है। देशवाल गौत्र के चार भाई जो पहले बताये गये हैं, इन्हीं के नाम पर चार पाने - माकलाण, सिद्धडाण, विशगी और पिछाई के नाम से प्रसिद्ध हैं।

विशेषताऐं -

  1. दोनों गाँवों की जमीन आधी-आधी है। कुल जमीन 19200 बीघा खेड़ी की जमीन है, 9600 पक्का बीघा जमीन है।
  2. यह गाँव ईस्वी 1165 (सन् 1108) में गाँव बलियाणा से आकर दादी सबुरी ने बसाया था।
  3. यह गाँव बहादुरगढ़ से वाया आसौदा-खरखोदा रोड पर18 किलोमीटर पर आबाद है।
  4. इस गाँव में पं. केशवराम नाड़िया वैद्य हुए।
  5. इस गाँव का दुनियां में मशहूर पहलवान चौ. नन्दलाल हुआ। इस देशवाल पहलवान का मुकाबला करने वाला एशिया में नहीं मिला। (नोट - चौ. नन्दलाल पहलवान के बारे में आपको विस्तार से पढने के लिए और जानकारी के लिए प्राचीन देशवाल गौत्र का इतिहास भाग नं. 1 में देखना होगा। पुस्तक भाग नं. 1 में अन्य जानकारी भी काफी मिलेगी।
  6. स्वतन्त्रता सेनानी - किशनलाल, रिसाल सिंह, नन्दस्वरूप, देवीसिंह, अभेराम, फत्तेसिंह और चौ. चन्दगीराम देशवाल हुए हैं।
  7. दोनों गाँव सामाजिक कार्य मिलजुल कर करते हैं।
  8. सन् 13 नवम्बर 2001 में भारतीय संसद भवन (दिल्ली) में लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाही चल रही थी, उसी समय पर आतंकियों ने संसद में घुस कर हमला करने की कौशिश की। अचानक 11 बजकर 40 मिनट पर यह हमला हुआ और 20 मिनट तक गोलीबारी होती रही। इस मुठभेड़ में पाँचों आतंकवादी घटना-स्थल पर मारे गये। इस हमले के समय लोकसभा में सुरक्षा सहायक निदेशक, जैसोर खेड़ी निवासी चौ० रणसिंह देशवाल ने सबसे पहले संसद के सभी भीतरी दरवाजे बन्द करवा दिये। हमले की पहली जानकारी देने वाले और सभी वरिष्ट नेताओं व महत्वपूर्ण व्यक्तियों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने वाले चौ. रणसिंह देशवाल थे। उनके पिताजी चौ. देवीसिंह व दादा जी चौ. रिसाल सिंह देशवाल स्वतन्त्रता सेनानी के रूप में देश की सेवा कर चुके हैं। यह स्वतन्त्रता सेनानियों का परिवार रहा है। तत्कालीन लोकसभा के स्पीकर श्री मनोहर जोशी ने चौ. रणसिंह देशवाल की बहादुरी और सक्रियता को देखकर दिनांक 26 अगस्त 2002 को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया था।[1]

Population

At the time of Census-2011, the total population of Jessaur Kheri village was 4405, with 851 households.

Notable persons

  • Sardar Singh Tehlan: Lance Naik Sardar Singh Tehlan (2640716) - Vir Chakra (Posthumous) (12.05.1939 - 20.10.1962) became martyr on 20.10.1962 during Indo-China War 1962. He was rom village Jassaur Kheri, Jhajjar, Haryana, Father: Surat Singh, Unit: 4 Grenadiers Regiment.
  • ओम प्रकाश सिंह देशवाल (सेवा निवृत्त सेल SAIL)
  • Ran Singh Deswal - Formerly Chief Security Officer in Lok Sabha Secretariat. He is leading a retired life now and is settled in Sector 6, Bahadurgarh.

External links

Photo Gallery

References


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