Sardar Singh Tehlan
Sardar Singh Tehlan (12.05.1939 - 20.10.1962) (2640716) - Vir Chakra (Posthumous) became martyr on 20.10.1962 during Indo-China War 1962. He was from village Jassaur Kheri, Jhajjar, Haryana, Father: Surat Singh,
Unit: 4 Grenadiers Regiment.
लांस नायक सरदार सिंह तहलान
लांस नायक सरदार सिंह तहलान
2640716
12-05-1939 - 20-10-1962
वीर चक्र (मरणोपरांत)
वीरांगना - श्रीमती किताबो देवी
यूनिट - 4 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट
ऑपरेशन लेग हॉर्न
भारत-चीन युद्ध 1962
लांस नायक सरदार सिंह तहलान का जन्म ब्रिटिश भारत में 12 मई 1939 को संयुक्त पंजाब (वर्तमान हरियाणा) के झज्जर जिले के जसौर खेड़ी गांव में श्री सुरत सिंह तहलान एवं श्रीमती सुरती देवी के परिवार में हुआ था। वर्ष 1956 में वह भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 4 ग्रेनेडियर्स बटालियन में ग्रेनेडियर के पद पर नियुक्त किया गया था। अपनी बटालियन में भिन्न-भिन्न परिचालन परिस्थितियों और स्थानों पर सेवाएं देते हुए वह लांस नायक के पद पर पदोन्नत हो गए थे।
20 अक्टूबर 1962 को 4 ग्रेनेडियर्स बटालियन को NEFA (वर्तमान अरूणाचल प्रदेश) में एक अग्रिम चौकी से पीछे हटने का आदेश दिया गया था। लांस नायक सरदार सिंह एक सेक्शन के सैकिंड-इन-कमांड थे। उनका सेक्शन कंपनी के ठीक दांई ओर तैनात था। चीनियों ने लगभग कंपनी के संख्याबल में न्यामकाचु नदी के विपरीत तट पर मोर्चा स्थापित किया था और उन्होंने हाथुंग ला दर्रे की ओर जाने वाले मार्ग पर प्रभावी होकर भारतीय कंपनी के पीछे हटने के मार्ग को काट दिया था।
लांस नायक सरदार सिंह की प्लाटून को बटालियन की स्थिति के दांए भाग की रक्षा करने का कार्य दिया गया था जिससे बटालियन के पीछे लौटने में शत्रु के अवरोध को रोका जा सके। सबसे अग्रणी सेक्शन में होने के कारण, लांस नायक तहलान ने यह सुनिश्चित किया कि उनका सेक्शन शत्रु पर गोलीवर्षा करता रहे। उनकी संपूर्ण कंपनी के समागम स्थल पर एकत्रित नहीं होने तक वह उस स्थिति पर डटे रहे। अंततः उन्हें शत्रु की गोली लग गई और वह वीरगति को प्राप्त हो गए।
इस कार्रवाई में लांस नायक सरदार सिंह ने उच्च कोटि के साहस और कर्तव्यपरायणता का परिचय दिया। उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र सम्मान दिया गया।
Source Ramesh Sharma
वीर चक्र मरणोपरांत
लांस नायक सरदार सिंह तेहलान (वीर चक्र) 4 ग्रेनेडियर्स, का जन्म 12 मई 1939 को झज्जर जिले के जसौर खेड़ी गांव में हुआ था । 1956 में इन्होंने आर्मी ज्वाइन कर ली थीं । 20 अक्टूबर 1962 को नेफा मे ग्रेनेडियर्स बटालियन को पीछे हटने के लिए आदेश दिया गया । लास नायक सरदार सिंह अपने सेक्शन में कमांड करने में दूसरे स्थान पर थे । एक ताकतवर चीनी टुकड़ी नामकाचू नदी के विपरीत किनारे पर घात लगाए बैठे थे और उन्होंने पीछे हटने के रास्ते को बंद कर दिये थे । लास नायक सरदार सिंह की टुकड़ी को सुरक्षा के साथ पीछे हटने की चुनौती दी गईं । मुख्य सेक्शन का मुखिया होने के नाते उन्होंने यह ध्यान रखा की टुकड़ी शत्रुओं पर फायरिंग जारी रखे । उन्होंने अपनी टुकड़ी को इकट्ठा रखने का काम किया, फिर भी वह खुद एक चीनी शत्रु की गोली का शिकार हो गए । लास नायक सरदार सिंह ने साहस का परिचय दिया और अपने कर्तव्य के प्रति झुकाव व्यक्त किया । इनके साहस और वीरता को देखते हुए भारत सरकार ने मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया । इनकी पत्नी का नाम किताबो देवी, माता का नाम सुरती देवी, पिता जी का नाम सुरत सिंह, भाई का नाम खज़ान सिंह ।
Source - Premsukhdedel
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References
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