Dhadharia Kalan

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Dhadharia Kalan (ढाढरिया कलां) or Dhadhariya Kalan or ‘Manda wala Dhadharia’ is a Jat village of Manda gotra in Degana tehsil of Nagaur district of Rajasthan

Founders

Manda Jats

Location

It is situated at a distance of 40 km in south direction from Nagaur. The village is well planned and settled. One can reach here by private bus service from Kuchera, at a distance of 12 km, connected with Nagaur - Merta bus service.

Jat gotras

Population

  • At the time of Census-2001, the population of Dhadharia Kalan was 2229 (Male: 1146, Female: 1083)[1]

According to Census-2011 information:

With total 391 families residing, Dhadhariya Kalan village has the population of 2322 (of which 1203 are males while 1119 are females).[2]

History

The village was under Jodhpur rulers. Manda gotra Jats were the first to settle here. Due to this, the village is also known as ‘Manda wala Dhadharia’. 95 % people of this village are Manda gotra Jats. The mother of Nathuram Mirdha was a Manda Jat of this village.[3]

Role in abolition of Jagirs - This village has played an important role in struggle against the Rajput rulers for the abolition of Jagirs. The Bhadora Charans of the Samantas did oppression of the villagers. In 1938 the villagers united and stopped giving levy to the Charans. The Jats had beaten the Charans and got them run away. The wife of Hanumanram Manda had played a significant role at that time.[4]

Notable persons

  • डॉ शिवानी मंडा: आज हमारे जाट समाज की बेटी ने कर दिखाया अपनी कलम की ताकत का परिचय मूण्डवा (नागौर) - मूण्डवा के ढाढरिया कला की बेटी डॉ शिवानी मंडा ने बनाई राम मंदिर की पेंटिंग, पैन से 76100 राम नाम से बनाई पेंटिंग, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड मे शिवानी का नाम दर्ज, 75 घंटे मे बनाई कागज पर राम मंदिर की तस्वीर. नागौर के ढाढरिया कलां गांव की डा.शिवानी मंडा M.B.B.S.की डिग्री के साथ जीव रक्षा,पशुकल्याण के क्षेत्र में भी ब्रांड एम्बेसडर का व्यक्तित्व है। इन्हें इंडिया बुक्स ऑफ रिकार्डस (2020/21) में पेन्सिल स्कैच आर्ट के लिये भी नामांकित किया है।डा. शिवानी ने हमारे आराध्य देव "वीर तैजाजी"के जीवन काल को 9.76*4.5 साइज में खादी के कपङे पर हमारी प्राचीन ग्राम्य लोक कला शैली " फड़कथा" के रूप में चित्रित किया है। इस युग मे जहां अधिकांश युवा पीढी "फड़" नाम से ही अपरिचित है,उस समय ये कार्य हमारी सांस्कृतिक जडों को मजबूत करने का अहम कदम है। धन्य है शिवानी के माता पिता जिन्होंने बेटी को उच्च शिक्षित करने के साथ,समृद्ध पारम्परिक संस्कार भी दिये है। आदर्श जाट महासभा व कुम्भाराम आर्य किसान फाऊंडेशन दोनो महिलाविंग में डा.शिवानी को प्रदेश कार्यकारिणी में मानद सदस्यता देते हुये "विशेष आमंत्रित सदस्य " बनाया गया है।

Gallery

External links

References


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