Dohaki
- For village in Charkhi Dadri district (Haryana), please click → Dohki
Dohaki (डोहकी) is a medium-size village in Rewari tahsil of Rewari district in Haryana.
Location
Pincode of the village is 123401. It is situated 5km away from Rewari. Dohaki village has got its own gram panchayat. Dodhai, Jhanjanwas and Chitarpuri are some of the nearby villages.
Jat Gotras
History

कप्तान सिंह देशवाल लिखते हैं -
चौ. हाथीराम देशवाल व्यापार व अन्य आजीविका के कारण अपने परिवार सहित रेवाड़ी के गोकलगढ़ गाँव में आया था। रेवाड़ी साबी नदी के किनारे पर बसा है। यहाँ पर पानी और उपजाऊ जमीन थी। कुछ दिनों के बाद चौ. हाथीराम ने इधर-उधर घूमकर अपने लिए उचित जगह की तलाश शुरू कर दी।
रेवाड़ी के आसपास पहले बिलोच और हूण जाति के लोग रहते थे। एक जगह चौ. हाथीराम ने देखा कि चार गाँव उजड़खेड़ा हैं। इन्हीं चार खेड़ों के बीच गाँव बसा लिया जाए। यह जमीन समतल है और चारों खेड़े उँचे हैं। यहाँ पानी की कमी नहीं रहेगी क्योंकि यह जमीन झील में है।
विशेषताएं -
- यह गाँव सन् 1260 में गांव दुल्हेड़ा से आकर चौ. हाथीराम ने बसाया था। दादा जी के दो पुत्र गंगाराम और देहियाराम थे। गाँव में सदासुख पट्टी, रूड़ाराम की रूड़ा पट्टी, इन्दराज पट्टी और लक्ष्मण पट्टी है।
- यह गाँव पटौदी से रेवाड़ी रोड पर 6 किलोमीटर उत्तर दिशा में आबाद है।
- इस गाँव के नाम पर 5000 पक्का बीघा जमीन है।
- यहाँ पर बाबा फरीद के नाम की एक छोटी सी खुश्क पहाड़ी है। कहते हैं कि यहाँ पर बाबा फरीद ने तपस्या की थी। गाँववासियों की इस बाबा फरीद के प्रति आस्था है।
- चारों खेड़ों के बीच में नीची जमीन (झील) में बसने के कारण इस गाँव का नाम डोहकी रखा गया। डोक=झील परिवर्तित नाम डोहकी है।
- इस गाँव का चौ. मुखराम देशवाल चर्चित पहलवान हुआ है। जनश्रुति के अनुसार चौ. मुखराम बारात ले जाने के लिए दूसरे गाँव में बैलगाड़ी मांगने गया था। वहाँ के आदमियों ने मजाक कर लिया और कहा कि आप पहलवान हो तो इस गाड़ी को उठा ले जाओ। कहते हैं कि मुखराम पहलवान बैलगाड़ी को अपने सिर पर उठाकर अपने गाँव ले आया।
- नाहड़ में सन् 1750 में बलूच पठान की छोटी सी रियासत थी। यह चरित्रहीन अय्याश किस्म का नवाब था। अक्सर हिन्दुओं की लड़की और औरतों का अपहरण करवाता था। नाहड़ में कोला पूजने की रिवाज को चलाना चाहता था। इसी समय गाँव डोहकी का एक देशवाल नौजवान चौ. सदासुखी नाम का महाराजा सूरजमल की फौज में सिपहसालार था। महाराजा सूरजमल के आदेशानुसार नाहड़ के नवाब की ईंट से ईंट बजाई गई। यह लड़ाई कई दिनों तक चलती रही। आखिर में नवाब को कैद कर लिया गया। यहाँ जो फौज की टुकड़ी लड़ाई लड़ रही थी, इसका नेतृत्व देशवाल सिपहसालार कर रहा था। यह गढ़ी (रियासत) जाटों के कब्जे में हो गई।
- नोट - नाहड़ का पठान मुसावी खाँ पठान का रिश्तेदार था जो डाकुओं को शरण देता था। नाहड़ के नवाब का नाम मुमताज अली खाँ बलूच था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मुमताज अली खाँ रात्रि के समय दिल्ली भाग गया। लेकिन दन्तकथा के आधार पर मुमताज अली खाँ को कैद किया गया था और सेनापति चौ. सदासुखी देशवाल घायल थे। अतः समय का फायदा उठाकर रात्रि के समय वह नवाब अपने साथियों सहित अंधेरे में भाग गया।[2]
Population
- 441 persons only (Males: 235, Females: 206)
- (According to Census-2011 data)
Notable Persons
External Links
References
- ↑ कप्तान सिंह देशवाल : देशवाल गोत्र का इतिहास (भाग 2) (पृष्ठ 90-91)
- ↑ कप्तान सिंह देशवाल : देशवाल गोत्र का इतिहास (भाग 2) (पृष्ठ 90-91)
Back to Jat Villages