Faunda Singh

From Jatland Wiki
Jump to navigation Jump to search
Faunda Singh

Faunda Singh (फौंदासिंह) was a Kuntal (Tomar)clan ruler of Aring Mathura prior to Maharaja Suraj Mal. अडींग के किले पर महाराज सूरजमल से पहले फौंदासिंह नाम का कुन्तल सरदार राज करता था। [1]

  • रियासत - अडींग ब्रज
  • वंश - पाण्डव (अर्जुनायन, तोमर)
  • पूर्वाधिकारी -अनूपसिंह
  • उत्तराधिकारी - जैत सिंह


वंश परिचय

ठाकुर देशराज लिखते हैं कि महाभारत में कुन्ति-भोज और कौन्तेय लोगों का वर्णन आता है। कुन्ति-भोज तो वे लोग थे जिनके कुन्ति गोद थी। कौन्तेय वे लोग थे, जो पांडु के यहां महारानी कुन्ती के पैदा हुए थे। महाराज पांडु के दो रानी थीं - कुन्ती और माद्री। कुन्ती के पुत्र कौन्तेय और माद्री के माद्रेय नाम से कभी-कभी पुकारे जाते थे। ये कौन्तेय ही कुन्तल और आगे चलकर अर्जुनायन और कौन्तेय से तोमर, औरखूटेल कहलाने लग गए। यह लोग बड़े अभिमान के साथ कहते हैं -

“हम महारानी कौन्ता (कुन्ती) की औलाद के पांडव वंशी क्षत्रिय हैं।”

वंशावली

अनंगपाल प्रथम (736-754) → वासुदेव (754-773) → गंगदेव/गांगेय (773-794) → पृथ्वीमल (794-814) → जयदेव (814-834) → नरपाल देव/वीरपाल (834-849) → उदय राज (849-875) → आपृच्छदेव → पीपलराजदेव → रघुपालदेव → तिल्हण पालदेव → गोपालदेव → सलकपाल/सुलक्षणपाल (976-1005) → जयपाल → कुँवरपाल (महिपाल प्रथम) → अनंगपाल द्वितीय (1051-1081) → सोहनपाल → जुरारदेव → सुखपाल → चंद्रपाल → देवपाल → अखयपाल → हरपाल → हथिपाल → नाहर → प्रहलाद सिंह (5 पुत्र, एक गोद किया) →तसिया → कर्मपाल → विजयपाल → अजयपाल → शिशुपाल → हरपाल → अतिराम → अनूपसिंह → फौदासिंह → जैतसिंह → बालकचंद


अडींग फौदा सिंह


अडिंग, ब्रज में जाटों की एक प्राचीन रियासत थी| अडिंग में किले का निर्माण जाट राजा अनंगपाल देव ने करवाया था|यह क्षेत्र अपने शासको की वीरता अडिंगता के कारण अडिंग नाम से प्रसिद्ध हुआ अडिंग के किले का पुनः निर्माण करवाने का श्रेय अनंगपाल के वंशज जाट राजा अडिंग फौंदासिंह को जाता है।राजा फोदा सिंह ने अडींग के किले का पुनः निर्माण करवाकर इसे मजबूती प्रदान की थी| इसके आसपास 384 गाम राजा अनंगपाल के वंशजो के है इस क्षेत्र को खुटेलापट्टी तोमरगढ़ बोलते है ।


मथुरा मेमायर्स, पृ० 376 पर लिखा है कि “जाट शासनकाल में मथुरा पांच भागों में बंटा हुआ था – अडींग, सोंसा, सौंख, फरह और गोवर्धन।” यह पांचो किले तोमरवंशी कुन्तलो के अधीन थे अंग्रेजी इतिहास (पृष्ट 3) के अनुसार अडिंग दक्षिणी सीमा पर स्थित तोमर राज्य था |मुग़ल काल के इतिहास में अडिंग के इन कुंतल जाटों शासको ने मुगलो से बहुत संघर्ष किया | चूड़ामणि के बाद बदन सिंह के समय में अडिंग पर अनूपसिंह का राज था | उनके पिता अतिराम सिंह थे अनूप सिंह के 4 पुत्र थे| राजा अनूप सिंह जाट ने भरतपुर (डीग) राजा बदन सिंह को बहुत से युद्धओ में सैनिक सहायता पहुचाई थी|

बदनसिंह के समय में अनूपसिंह का वर्णन ब्रज के शक्तिशाली राजाओ में हुआ है| ठाकुर चूड़ामणि ने अडिंग के जगतपाल (अनूप सिंह के छोटे भाई ) सहयोग प्राप्त किया था| अडिंग के शासको में फौंदासिंह बड़े प्रसिद्ध रहे है | फौदासिंह ने मुगलों के विरुद्ध कड़ा संघर्ष किया था मुग़ल काल के इतिहास में अडिंग के इन कुंतल जाटों शासको ने मुगलो से बहुत संघर्ष किया था।इन वीरो ने ग्रांडट्रंक रोड से जाने वाली मुगलो का असला और रसद लूट लेते थे। शास्त्री और पंडित अनिल भारद्वाज के अनुसार मुगल बादशाह ने फौदा सिंह का लोहा मानते हुए उनके लिए शाही फरमान भी जारी करवाए थे। अपने जीवन काल में राजा फौदा सिंह ने मुगलों से बहज का युद्ध ,गोवर्धन का युद्ध, तैती का युद्ध जैसे बहुत से युद्ध में मुगलों को मात दी थी| इतिहासकार जॉन कोहन ने लिखा है की भादों वदी संवत 1783 विक्रमी (1726 ईस्वी) को मुगलों ने अडिंग और सिनसिनी के जाट राजाओं से समझोता किया था।फौदासिंह को अडिंग का राजा स्वीकार किया गया और इस समझोते से फौदासिंह को तीन लाख का अतिरिक्त क्षेत्र मिला ।

जाट मराठा युद्ध का भी गवाह रहा है अडिंग का किला

सूरजमल की मृत्यु के बाद अडिंग के तोमर कुंतल जाट राजा और भरतपुर के नवल सिंह की सयुक्त सेना का मुकाबला मराठो मुगलों की सयुक्त सेना से हुआ इस युद्ध के बाद यहाँ से कुछ कुंतल जाट मारवाड़ क्षेत्र में चले गए थे| अडिंग ग्राम से जाने के कारण उनको अडिंग बोला जाना लगा सबसे पहले यह लोग मेड़ता क्षेत्र में बसे अडिंग गाम से निकास होने के कारन उनको अडिंग कहा जाने लगा जो समय के साथ एक गोत्र बन गया मूल गोत्र कुंतल /तोमर है अडिंग ,गोवेर्धन क्षेत्र में आज भी 384 गाँवों में तोमरवंश के कुंतल गोत्रीय जाट निवास करते है ।

  1. मारवाड़ में यह लोग नागौर जिले के #बायड़ और #जनाना और #जोधपुर जिले के हरिया ढाना और रुड़कली में और कुछ घर सीकर जिले आलनपुर में निवास करते है यहां से अकाल के समय १९११ के आसपास कुछ परिवार मध्य प्रदेश के हरदा जिले में चले गए जो अबगांव कलां,आलनपुर,धनवाड़ा ,कुंजरगांव और देवास जिले में बागनखेड़ा ,गुर्जरगाँव में अडिंग कुंतल परिवार निवास करते है

रुड़कली गाँव जोधपुर में 19 वि सदी में केसोजी अडिंग जाट हुए उनके घर उदोजी नामक पुत्र का जन्म हुआ इनका विवाह बाल्यकाल में ही हो गया था यह विश्नोई संप्रदाय में दीक्षित हुए इनका सिर्फ 1 परिवार बिश्नोई जाट है जो वर्तमान में हरदा जिले में निवास करता है।


7. ट्राइब्स एण्ड कास्टस् आफ दी नार्दन प्राविंसेस एण्ड अवध, लेखक डब्ल्यू. क्रुक।
8. सरस्वती। भाग 33, संख्या 3 ।


जाट इतिहास:ठाकुर देशराज,पृष्ठान्त-559


मि. ग्राउस लिखते हैं -

"जाट शासन-काल में (सोंख) स्थानीय विभाग का सर्वप्रधान नगर था।1 राजा हाथीसिंह के वंश में कई पीढ़ी पीछे प्रह्लाद नाम का व्यक्ति हुआ। उसके समय तक इन लोगों के हाथ से बहुत-सा प्रान्त निकल गया था। उसके पांच पुत्र थे - (1) आसा, (2) आजल, (3) पूरन, (4) तसिया, (5) सहजना। इन्होंने अपनी भूमि को जो दस-बारह मील के क्षेत्रफल से अधिक न रह गई थी आपस में बांट लिया और अपने-अपने नाम से अलग-अलग गांव बसाये। सहजना गांव में कई छतरियां बनी हुई हैं। तीन दीवालें अब तक खड़ी हैं ।


1. मथुरा मेमायर्स, पृ. 379 । आजकल सोंख पांच पट्टियों में बंटा हुआ है - लोरिया, नेनूं, सींगा, एमल और सोंख। यह विभाजन गुलाबसिंह ने किया था।
2. मथुरा मेमायर्स, पृ. 376 ।


जाट इतिहास:ठाकुर देशराज,पृष्ठान्त-560


पेंठा नामक स्थान में जो कि गोवर्धन के पास है, सीताराम (कुन्तल) ने गढ़ निर्माण कराया था। कुन्तलों का एक किला सोनोट में भी था।

References


Back to The Rulers