Gopalpur Mathura
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Gopalpur (गोपालपुर) is a village in Mathura tehsil and district of Uttar Pradesh.
Location
Origin
The Founders
History
पांडव वंश की कुलदेवी हैं मां मंशा देवी
खुटैल पट्टी की आराध्य कुल देवी मां मंशा देवी के मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। मंदिर पर चैत्र शुक्लपक्ष की त्रयोदशी से पूर्णमासी तक मेला लगता है। देश-विदेश में बसे खुटैल वंश के लोग अपने बच्चों का मुंडन संस्कार इन्हीं दिनों में मंशा देवी के चरणों में आकर कराते हैं। मंशा देवी का मंदिर मथुरा-भरतपुर मार्ग पर गोपालपुर गांव के निकट पीली मिट्टी के 50 फीट ऊंचे एक हजार वर्ग मीटर के चबूतरे पर बना है। मंदिर में अंकित शिला लेख से पता चलता है कि इस का निर्माण पांडवों की 71वीं पीढ़ी में जन्मे जाट राजा सम्राट अनंगपाल तोमर विक्रम सवत् 1131 (=1074 ई.) को फागुन मास की पंचमी को कराया था।
राजा अनगपाल तोमर को मंशा देवी ने स्वप्न में मंदिर निर्माण की बात कही थी। राजा अनंगपाल तोमर दरबार में एक बार महर्षि वेद व्यास आए। मां की पूजा से प्रेरित होकर उन्होंने राजा से वरदान मांगने को कहा। राजा ने दो वरदान मांगे। पहला वरदान पुत्र प्राप्ति और दूसरे में राज्य अटल रहे। वेद व्यास ने पुत्र के वरदान के साथ एक बबूल की एक लकड़ी महल के बीचों बीच गाढ़ दी और कहा कि राजन तेरा राज्य अटल हो गया। यह खूंटी भगवान शेषनाग की फन पर टिकी है।
राजा को भ्रम हो गया कि खूंटी शेषनाग के फन पर पहुंच गई। राजा ने भ्रम वश उसे उखाड़ दिया तो देखा कि खूंटी की नोंक पर खून लगा है। राजा इसे देख घबरा गया। बताते हैं कि सम्राट अनंगपाल के आठ पौत्र हुए। उन्होंने आठ गढ़ बनाए जो आज भी खुटैलपट्टी के आठ खेरों के नाम से जाने जाते हैं।
खुटैल वंश उन्हीं पुत्रों की संतान है। खुटैल वंश अपनी आराध्य कुल देवी मंशा की पूजा करता चला रहा है। मंदिर का दोबारा निर्माण खुटैल पट्टी के लोगों ने कराया। देवी मंदिर के मुख्यद्वार पर राजा अग्नपाल की भव्य प्रतिमा स्थापित की जो देवी के सामने हाथ जोड़े हैं।
संदर्भ: अमर उजाला मथुरा 04 Apr 2017
Jat Gotras
Population
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References
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