Govardhan Singh Benda

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Author: Laxman Burdak (लक्ष्मण बुरड़क), IFS (R)

Govardhan Singh Chaudhary

Govardhan Singh Chaudhary (born:15.2.1914-death:) (गोवर्धनसिंह चौधरी) (Benda) was First Jat IAS in Rajasthan.

Birth

He was born on 15.2.1914 in the family of Late Chaudhary Gulla Ram. He was his second son. This family was initially in village Ratkudia (रतकुड़िया), tehsil Bhopalgarh, district Jodhpur in Rajasthan. This village was of Benda gotra Jats. Later this family moved to Jodhpur. His younger brother Ramnarayan Chaudhary was Chief Engineer in Rajasthan Irrigation Department.

Career

Govardhan Singh Chaudhary worked in Rajasthan in various capacities and retired in 1973 as Revenue Commissioner. He settled at Jaipur and remained busy in Social Services. [1] He was an instrument in getting OBC status for Jats in reservation of Jobs.

Help in Extension of Kisan Chhatrawas Bikaner

Due to lack of space in Kisan Chhatrawas Bikaner, Rani Bazar Hostel the then collector Govardhan Singh Chaudhary (Benda) helped to purchase land on Sagar Road. The hostel on Sagar Road was constructed by Ch. Malu Ram Kaswan of Gusainsar Bara with the help of contribution from donors. A plot adjoining the hostel was purchased on 7.10.88 at a cost of 1.40 lakh. Financial help for this was provided by Dr. Ram Karan Chaudhari (Molania), Tulsi Ram Moond Ex. Pradhan of (Moondsar), Ram Ratan Kaswan ex. Sarpanch of Ramsar, Ratan Lal Sihag of Swarupdesar.

जाट जन सेवक

रियासती भारत के जाट जन सेवक (1949) पुस्तक में ठाकुर देशराज द्वारा चौधरी बलदेवराम मिर्धा का विवरण पृष्ठ 215 पर प्रकाशित किया गया है । ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....कुंवर गोवर्धन सिंह चौधरी जुडिशल हाकिम - [पृ.215]: आप मारवाड़ की जाट जाति के प्रसिद्ध सेनानी चौधरी श्री गुलाराम जी मौजा रतकुड़िया वालों के सुपुत्र हैं। आप का परिवार मारवाड़ के जाट घरानों में विशेष स्थान रखता है। आप में जाति प्रेम की भावना बचपन से ही आपके योग्य पिता ने भर दी थी। बड़े होने पर आपमें यह भावना बहुत उग्र हो गई और अपनी सामर्थ्य अनुसार जाति सेवा कार्य में लग गए। आपका अधिकांश समय किसानों के दुख निवारण करने के उपाय में व्यतीत होता है। किसानों के साथ आए दिन होने वाले जुल्म व उनकी गिरि हुई दशा आपसे देखी नहीं जाती और आप किसानो के जीवन के हर पहलू में क्रांति चाहते हैं। किसानों का पक्ष लेने की वजह से मारवाड़ का सामंती व प्रतिक्रियावादी वर्ग आपसे सदा विरुद्ध रहा है और कई दफा आपको नुकसान पहुंचाने की चेष्टाएं की गई और एक दो दफा तो आपको काफी क्षति उठानी पड़ी है। आपके अवकाश का अधिकांश भाग किसानों की उन्नति की योजनाएं सोचने में व्यतीत होता है। आप परिश्रमी और विचारक हैं।

जीवन परिचय

जाट डायरेक्टरी[3] में गोवर्धनसिंह चौधरी का हिन्दी में विस्तृत परिचय छपा है जो गैलरी में दिया जा रहा है। इसके आधार पर जीवन परिचय में विस्तार किया जा सकता है।


ठाकुर देशराज[4] ने लिखा है...चौधरी हरिश्चंद्र नैन के पुत्र श्रीभगवान की शादी मारवाड़ के प्रसिद्ध नेता चौधरी गुल्लाराम जी के पुत्र गोरधन सिंह आईएएस की पुत्री पार्वती देवी के साथ हुई।


प्रथम जाट IAS गोवर्धनसिंह जी बेन्दा

राजस्थान ही नहीं समूचे भारतवर्ष में अपनी विशेष पहचान रखने वाले सुविख्यात समाजसेवी श्री गोवर्धनसिंह जी बेंदा का जन्म जोधपुर जिले के रतकुड़िया ग्राम में हुआ। आप आजादी के पूर्व से ही शिक्षा की अलख जगाने वाले पूज्य बाबुजी गुल्लाराम जी के सुपुत्र थे। आपका जन्म 15 फरवरी 1914 को माउंट आबू में हुआ।

प्रारंभिक शिक्षा: आपकी प्रारम्भिक शिक्षा जोधपुर जिले में ही सम्पन्न हुई। सन् 1932 में आपने सर प्रताप हाई स्कूल से 10वीं उत्तीर्ण की।

उच्च शिक्षा: 1936 में आपने राजकिय जसवंत कॉलेज जोधपुर से स्नात्तक की डिग्री प्राप्त की। अमृतभाषा कही जाने वाली संस्कृत के प्रति आपकी विशेष रुचि थी एवं आपने BA में संस्कृत विषय में जसवंत कॉलेज में प्रथम स्थान प्राप्त किया।

इसके बाद अपनी विशेष रुचि के चलते कानून की पढाई के लिए गोवर्धनसिंह जी ने बनारस की तरफ कूच किया और 1938 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से LLB की डिग्री प्राप्त की।

सिविल सेवा में चयन सन् 1938 में आपका चयन सिविल सेवा में हो गया और जोधपुर में पदस्थापित हुए।

पग पग पर ईमानदारी का परिचय

सन् 1939 में मारवाड़ की धरा को भीषण अकाल का सामना करना पड़ा। इस अकाल से सामना करने के लिए गोवर्धनसिंह जी को शेरगढ परगने का रिलिफ अधिकारी बनाया गया। इन्होने अपना काम बड़ी मेहनत व ईमानदारी से निभाया। आपके कार्यों से प्रभावित होकर जोधपुर महाराजा ने अपने हाथों से सम्मानित किया।

1945 में आपको जोधपुर जिले में आबकारी व नमक विभाग में सहायक कमिश्नर बनाया गया।

1947 में भारतवर्ष की स्वतंत्रता के बाद आपको बाड़मेर जिले के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के रुप में नियुक्त किया गया।

1948 में आप जोधपुर जिले के एंटी करप्सन अधिकारी के रुप में पदस्थापित किये गये। आपने अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी से निभाया और कई बड़े बड़े भ्रष्ट अधिकारियों को सलाखों के पीछे डाल दिया।

प्रथम जाट IAS

1954 में भारतीय प्रशासनिक सेवा को राजस्थान में लागू कर दिया गया। और गोवर्धनसिंह जी इसमें चयनित हुए। पूरे राजस्थान में से इस उपलब्धि को चूमने वाले आप जाट समाज के प्रथम होनहार थे। आपने इस सेवा के रुप में आपने बीकानेर, अलवर, टोंक, सिरोही सहित कई जिलों के जिला कलेक्टर, राजस्थान सचिवालय, PWD, सिंचाई विभाग, विद्युत विभाग, रेवन्यू कमिश्नर सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया।

अपनी गौरवान्वित व निष्ठापूर्वक सेवा के बाद 1973 में आप सेवानिवृत्त हुए और अपने पूज्य पिता श्री गुल्लाराम जी के पदचिन्हों पर चलते हुए अपने जीवन को समाजसेवा में झोंक दिया।

सादा जीवन व उच्च विचार इनके परिवार का मूलमंत्र हैं। बाबूजी गुल्लाराम जी और गोवर्धनसिंह जी की सेवाएं समाज में उद्घारक साबित हुई और होती जा रहें हैं।

सम्पूर्ण समाज को आप पर गर्व हैं...

गैलरी

References

  1. Dr Mahendra Singh Arya etc,: Ādhunik Jat Itihas, Agra 1998 Section 10 p. 7
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.215
  3. जाट डायरेक्टरी एवं स्मारिका 1999-2000, प्रकाशक: जाट समाज समिति, जयपुर, पृ.43-44
  4. Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke AgradootChaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p.308

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