Hardev Singh Grewal

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Hardev Singh Grewal

Hardev Singh Grewal (Major) (10.12.1938 - 10.12.1971) became martyr on 10.12.1971 in Chhamb sector during Indo-Pak War-1971. He was awarded Vir Chakra for his act of bravery during the war. He was from Ludhiana, Punjab.

Unit - 9 Jat Regiment.

मेजर हरदेव सिंह ग्रेवाल

मेजर हरदेव सिंह ग्रेवाल

नं - IC-21289

10-12-1938 - 10-12-1971

वीर चक्र (मरणोपरांत)

यूनिट - 9 जाट रेजिमेंट

छंब सेक्टर का युद्ध

ऑपरेशन कैक्टस लिली

भारत-पाक युद्ध 1971

मेजर हरदेव सिंह का जन्म ब्रिटिश भारत में 10 दिसंबर 1938 को हुआ था। वह पंजाब के जालंधर के निवासी थे। 9 फरवरी 1964 को उन्हें भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट की 9 बटालियन में सैकिंड लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त हुआ था। अपनी बटालियन में विभिन्न परिचालन परिस्थितियों और स्थानों पर सेवाएं देते हुए और क्रमशः पदोन्नत होते हुए वर्ष 1971 तक वह मेजर के पद पर पदोन्नत हो गए थे।

वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में मेजर हरदेव सिंह की बटालियन 9 जाट को पश्चिमी सीमा पर तैनात किया गया था। बटालियन को 10 इंफेंट्री डिवीजन के परिचालन नियंत्रण में छंब सेक्टर में तैनात किया गया था। 1971 के युद्ध में छंब का युद्ध शस्त्रों के संबंध में उल्लेखनीय युद्ध था। परिचालन रणनीति, लघु इकाई कार्रवाई और टैंको के संचालन के संबंध में यह युद्ध भारत-पाकिस्तान के तीनों युद्धों में सर्वाधिक शिक्षाप्रद युद्धों की श्रेणी में आता है।

छंब सेक्टर पश्चिम और दक्षिण में युद्धविराम रेखा/अंतर्राष्ट्रीय सीमा से घिरा हुआ था, पहाड़ियों की एक श्रृंखला इसके उत्तरी भाग में लगभग पूर्व पश्चिम रेखा में स्थापित थी। इसमें फागला सकराना पुल क्षेत्र महत्वपूर्ण था। चल रहे ऑपरेशन के भाग के रूप में, मेजर हरदेव सिंह की कमान में 9 जाट की एक कंपनी को इस क्षेत्र की रक्षा के लिए तैनात किया गया था।

7 दिसंबर 1971 को शत्रु ने इस क्षेत्र पर आक्रमण किया और उनकी स्थितियों में से एक स्थिति पर पांव रोपने में सफल हो गया। मेजर हरदेव सिंह ने त्वरित पलटवार किया और शत्रु को गंभीर क्षति पहुंचाने हुए स्थिति को पुनर्स्थापित किया। 9 दिसंबर को, शत्रु ने पुनः पैदल सेना और टैंकों के संकेन्द्रित आक्रमण आरंभ किए। अपनी सुरक्षा की घोर उपेक्षा करते हुए और अनावृत स्थिति में संचालन करते हुए, मेजर हरदेव सिंह ने अपने सैनिकों को प्रोत्साहित किया और शत्रु को गंभीर क्षति पहुंचाते हुए उन आक्रमणों को विफल कर दिया।

10 दिसंबर को, उनकी जांघ में आघात लगा होते हुए भी, मेजर हरदेव सिंह ऑपरेशन का निर्देशन करते रहे। उसी समय उन्हें शत्रु मशीन गन की अनेक गोलियां लगीं। आगे चलकर अपने गंभीर आघातों के कारण वह वीरगति को प्राप्त हो गए। मेजर हरदेव सिंह ग्रेवाल को इस ऑपरेशन में उनके उत्कृष्ट साहस, युद्ध की अदम्य की भावना और सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत वीर चक्र सम्मान दिया गया।

शहीद को सम्मान

चित्र गैलरी

स्रोत

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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