Hardatt Singh Beniwal
Author: Laxman Burdak, IFS (R) |
Hardatt Singh Beniwal, also called Haridatt Singh Beniwal, was former MLA, Freedom fighter and social worker from Gandhi Badi (गांधी बड़ी), Bhadra, Hanumangarh, Rajasthan.[1][2]
Info
- He was son of Khetaram.
- Graduate (B.A.), Banaras Hindu University
- Graduate (LL.B.), Banaras Hindu University
- Married Parvati in 1932 had 3 sons and 2 daughters
- 1944 Government service, former Bikaner State First Class Munsif and Magistrate
- 1948 Minister, Deputy Prime Minister, Popular Government of Bikaner State
- MLA Nohar 1962
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है ....चौधरी हरिदात्त सिंह-[पृ.136]: सन् 1946 के किसी महीने में चौधरी कुंभाराम जी भरतपुर मेरे पास आये। उनके साथ पुष्ट शरीर और सांवले रंग का एक सुंदर नौजवान और था। यह नल-नील की जोड़ी थी। आत्मसंयम और कम बोलने में वह नौजवान चौधरी कुंभाराम से भी आगे था। मेरे पास बीकानेर में कुछ करने के लिए योजना पूछने को आए थे। मैं स्वयं उन दिनों अत्यधिक उलझन में फंसा हुआ था। इसलिए सिवाय इसके कुछ अधिक उन्हें नहीं बता सका कि 'जनसंपर्क बढ़ाकर कोई आंदोलन खड़ा कर दो' किन्तु मैं इस पक्ष में नहीं था कि प्रजा परिषद में जाएं। मैं चाहता था कि वह किसान सभा बनाएं।
उन लोगों ने देश काल की स्थितियों के अनुसार अपने लिए जो उचित समझा वह मार्ग ग्रहण किया। सन् 1946 में बीकानेर में राजनीतिक आंदोलन खड़ा हो गया और एक दिन सुना कि चौधरी हरिदत्त सिंह मुंसिफ़ी छोड़ दी है और वे बीकानेर जेल में हैं।
जब हमारा डेपुटेशन बीकानेर गया तो मैंने अपने साथियों के साथ चौधरी हरिदत्त जी और उनके दूसरे जेल के साथियों से मुलाकात की और उसी समय मेरे दिमाग में आया कि 3 वर्ष पहले यह नौजवान जब मेरे पास भरतपुर पहुंचा था तब क्या यह उम्मीद थी कि अपने सरकारी पद को इस प्रकार लात मार देगा। उसी समय मेरे दिमाग में यह
[पृ.137]: भी आया कि यही जवान किसी दिन बीकानेर का प्रधानमंत्री भी होगा। आज वे बीकानेर के उप-प्रधानमंत्री हैं और यह सत्य है कि कुछ ही दिनों में वह स्वप्न भी पूरा होगा।
आप भादरा तहसील में बड़ी गांधी के रहने वाले चौधरी खेताराम जी के सुपुत्र हैं। और बेनीवाल आपका गोत्र है। आपके पिताजी एक प्रतिष्ठित जाति हितेषी पुरुष हैं। उन्होंने जाट बोर्डिंग भादरा को लगभग 1000 रु में जमीन खरीद कर दान की थी और एक कमरा भी बनवाया था। आप चार भाई हैं - श्री चंदूलाल, पतिराम और दयाराम जी आपसे छोटे हैं।
ऊंचा चरित्र, मिलनसारी, गंभीर स्वभाव, और सहनशीलता आप के विशेष गुण हैं। एक शासक के लिए दृढ़ता, कूटनीतिज्ञता और सतर्कता की भारी आवश्यकता है। जिससे आप शीघ्र ही अपना काम अपने मिशन में पूरे होंगे ऐसी पूर्ण आता है।
दूधवाखारा सम्मेलन
दूधवाखारा सम्मेलन – 1946 में यह सम्मेलन हुआ, जिसमें 10 हजार के करीब आदमी थे। जिसमें रघुबर दयाल गोयल, मधाराम वैद्य, चौधरी हरीश चन्द्र वकील (गंगानगर), सरदार हरी सिंह (गंगानगर), चौधरी हरदत्त सिंह बेनीवाल (भादरा) और चौधरी घासी राम (शेखावाटी) शामिल थे। इस जलसे में मोहर सिंह भी सम्मिलित हुये थे। इस जलसे को चारों तरफ भारी समर्थन मिला। राजा को आखिर किसानों की अधिकतर मांगे माननी पड़ी।[4]
सम्मान
समाज-जागृति के सौ साल: बीकानेर संभाग में शिक्षा और संघर्ष के प्रणेताओं के योगदान का स्मरण समारोह 31.8.2017 को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ़ में सम्मानित होने वाले प्रबुद्ध गणों में जाट कीर्ति संस्थान चुरू द्वारा स्व चौधरी हरदत्त सिंह बेनीवाल निवासी भादरा को मुक्ति-संघर्षों में भागीदारी के लिए मरणोपरांत सम्मान प्रदान किया गया।
गैलरी
-
Jat Jan Sewak, p.136
-
Jat Jan Sewak, p.137
References
- ↑ Ganesh Berwal: 'Jan Jagaran Ke Jan Nayak Kamred Mohar Singh', 2016, ISBN 978.81.926510.7.1, p.56
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.136-137
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.136-137
- ↑ Ganesh Berwal: 'Jan Jagaran Ke Jan Nayak Kamred Mohar Singh', 2016, ISBN 978.81.926510.7.1, p.56
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