Hari Singh Kajla

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Hari Singh Kajla (Hawaldar) became martyr on 7 June 1984 during operation Blue Star in Swarn Mandir of Amritsar. He was from village Jerthi in Dhod tahsil of Sikar district in Rajasthan. He was a commando in Border Security Force of India.

शहीद हरी सिंह काजला

शहीद हरी सिंह काजला: 7.6.2022 को जेरठी गांव में पैरा मिलिट्री फोर्स के हवलदार हरी सिंह काजला के शहादत दिवस को प्रेरणा उत्सव के रूप में मनाया गया । एक्स पैरा मिलिट्री फोर्सेज वेलफेयर एसोसिएशन सीकर का जिलाध्यक्ष होने के नाते तथा कुछ समयावधि के लिए शहीद हरी सिंह जी के साथ नोकरी करने के कारण मुझे इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।

अमर शहीद हरी सिंहजी काजला एक बहुत ही दबंग, निडर और जुनूनी सैनिक थे । वे फुटबॉल और वॉलीबाल के भी उम्दा किस्म के खिलाड़ी थे । 1973 जनवरी से लेकर फरवरी 1977 तक मैं उनसे जुड़ा रहा । वे मेरी बेसिक ट्रेनिंग में मेरे इंस्ट्रक्टर थे। इसके साथ ही जब मैंने कमांडो कोर्स किया तब भी कमांडो अमर शहीद हरी सिंह जी मेरे इंस्ट्रक्टर थे । एक अच्छे इंस्ट्रक्टर गुरु, मृदुभाषी किंतु सिखलाई में सकतायत और बाकी समय में एक बेहतर इंसान और एक उम्दा मित्र थे ।

1984 में स्वर्ण मंदिर अमृतसर में बैठे अलगाववादियों ने खालिस्तान की घोषणा कर अलग से एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र रचा था । धार्मिक स्थल के अंदर छिपकर बैठे आतंकवादी इस प्रकार से पोजिशन लिए बैठे थे कि स्वर्णमंदिर के भीतर प्रवेश करने वाले हर सैनिक अथवा शख्स पर हमला करके उसे मौत के घर उतार देने को तैयार थे । भीतर प्रवेश करने का मतलब सीधी मौत । बीएसएफ के कमांडो शहीद हरी सिंह काजला जो उस वक्त स्पेशल टास्क फोर्स में थे और उन्होंने अपने दूसरे कमांडोज के साथ वोलेंटयरली भीतर बैठे आतंकवादियों पर हमला करने को तैयार हुए । उन्हे मालूम था कि मौत निश्चित है किंतु शेखावाटी के सपूत मौत से कब डरने वाले थे । भीतर प्रवेश भी किया और गोलियां लगने के उपरांत पूरी बहादुरी के साथ अलगाववादियों से तब तक टक्कर ली जब तक कि उनके होश हवास उनके वश में नहीं रहे । बेहोशी की हालत में उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया । होश आने के बाद भी उनमें वही जोश और जज्बा था । लगातार तीन दिन मौत से भी बहादुरी के साथ लड़ते रहे और आज ही के दिन 7 जून 1984 को आप शहीद हो गए । 1971 के भारत पाक युद्ध में शहादत देने वाले महान योद्धाओं के बाद ब्लू स्टार ऑपरेशन में इस क्षेत्र से शहिद होने वाले बहादुर योद्धा शहीद हरी सिंह काजला ही थे ।

शहीद का दर्जा: मैं टेकनपुर ग्वालियर में चार साल तक निरंतर उनके संपर्क में रहा । सच्चे नेक निडर और जुनूनी उस बहादुर योद्धा ने तो अपनी मातृभूमि के लिए हंसते हंसते अपने प्राण न्यौछावर कर दिए किंतु दुख की बात यह है कि वह योद्धा बीएसएफ का था इसलिए उसे शहीद का दर्जा उस वक्त नहीं दिया गया । भारत सरकार ने लगभग 35 वर्ष पश्चात शहीद हरी सिंह जी काजला को शहीद का दर्जा दिया और जेरठी गांव की स्कूल का नाम शहीद हरी सिंह काजला के नाम पर रखा गया ।

यहां प्रश्न उठता है कि उस वक्त 25 या 30 साल से कम उम्र की उनकी पत्नी, मां की गोद में पल रहे नन्हे बालक और अपने पुत्र को खो देने वाले वृद्ध मातापिता का कौन सहारा बना होगा । परिवार का पालनपोषण करने वाले एक युवा के परिजन इन 35 वर्ष तक किस के सहारे अपने जीवन की गाड़ी को चलाते रहे होंगे । हर एक या दो वर्ष में बदली हो जाने वाली यूनिट्स का भी अतापता इन्हे नही रहता । किस दरवाजे पर जाकर ये कहें कि हमने देश के लिए हमारे अपने को खोया है क्या हमारी भी सुध लेने वाला कोई है?

मुझे आज उनकी वीरांगना और उनके परिवार से मिलकर गर्व का अनुभव हुआ क्योंकि अपने पिता की भांति उनके तीनों पुत्र और उनकी मां शहीद वीरांगना मनकोरी देवी अपनी पति की ही भांति अपने दम पर जिंदगी का जंग लड़ रही है । अपने बच्चो को अच्छे मुकाम पर पहुंचाने वालीं इस मातृशक्ति को मैं श्रद्धापूर्वक प्रणाम करता हूं और उनके परिजनों के उत्कृष्ठ जीवन की कामना करता हूं ।

बड़ी विडंबना है कि एक ही गोली एक ही ऑपरेशन में दो व्यक्तियों को लगती है और वे शहीद हो जाते हैं, एक तो आर्मी का है उसे शहीद का दर्जा मिलता है और बीएसएफ वाले को नहीं । देश की 6000 किलोमीटर से भी अधिक अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर बीएसएफ तैनात है जो पड़ोसी देशों से न केवल देश की 140 करोड़ जनता की रक्षा करती है अपितु युद्ध के दौरान आर्मी के साथ कंधा से कंधा मिलाकर लड़ती है इसके बावजूद बीएसएफ सैनिकों को वही वेतन भत्ते दिए जाते हैं जो 8 घंटे काम करने वाले एसी में बैठे किसी बाबू को मिलते हैं । विधायक एमपी वगैरह 5 साल या इससे भी कम अवधि तक रहकर चार चार पेंशन लेते हैं किंतु कठिन दलदल, धूल भरी आंधियों और तपते हुए रेगिस्तान से लेकर बर्फीली पहाड़ियों तक जहां का तापमान माइनस 20 डिग्री तक चला जाता है वहां 24 घंटे 60 वर्ष की उम्र तक अपनी जान जोखिम में डालकर अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हैं उन जवानों की पेंशन भी 2004 से बंद करदी गई । इनके स्वास्थ्य के लिए मात्र जयपुर में cghs डिस्पेंसरी है इसके अतिरिक्त कोई सुविधा नहीं । राजस्थान में लगभग 3 लाख पेंशनर्स और संपूर्ण भारवर्ष में 15 से 20 लाख पेंशनर हैं किंतु उनकी प्रॉब्लम सुनने वाला कोई नहीं है ।

एक्स पैरा मिलिट्री फोर्सेज वेलफेयर एसोसिएशन सीकर का जिला अध्यक्ष होने के नाते मैं पूर्व मुख्यमंत्री वशुंधरा राजे सिंधिया और वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर मैने यह मांग रखी की मिलिट्री की भांति पैरा मिलिट्री फोर्सेज का भी स्टेट वेलफेयर बोर्ड होना चाहिए ताकि वे वहां जाकर अपना दुखड़ा रो सकें । उन्हें भी वे सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए जो मिलिट्री के जवानों को मिलती है किंतु सड़कों पर भटक भटककर मांग करने वाले इन वृद्ध जवानों की कोई सुनाई नही हुई । मैं उस जनता से अपील करना चाहता हूं जिसकी रक्षा बाहरी और भीतरी दुश्मनों से करते हैं इन जवानों के हक में आप सब भी मिलकर आवाज उठाएं । पार्लियामेंट में हुए आतंकी हमले को इन्ही पैरा मिलिट्री फोर्सेज के जवानों ने विफल किया था । उस दिन आप और देश पर बड़ा संकट आया था जिससे इन जवानों ने बचाया था आज इन पैरा मिलिट्री फोर्सेज के जवानों के हित, हक और हकुक की लड़ाई को उचित प्लेटफार्म पर उठाकर जवानों की अस्मिता को बचाने के लिए जन प्रतिनिधि आगे आये । मैं जन प्रतिनिधियों से भी अपील करता हूं कि वोट की राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र हित में अपने प्राण न्योछावर करने वाले जवानों की भी सुध लें।

स्रोत - रामचंद्र सुंडा की फेसबुक पोस्ट-7.6.2022

शहीद को सम्मान

भारत सरकार ने लगभग 35 वर्ष पश्चात शहीद हरी सिंह जी काजला को शहीद का दर्जा दिया और जेरठी गांव की स्कूल का नाम शहीद हरी सिंह काजला के नाम पर रखा गया ।

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ

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