Hari Singh Payal

Hari Singh Payal (Naik) became martyr of militancy at Kupwara in Jammu and Kashmir. He was awarded Kirti Chakra (posthumous) for his act of bravery. He was from Syampura village near Manana, in Buhana tahsil of Jhunjhunu district in Rajasthan
Unit - 4 Rajrif
नायक हरि सिंह पायल
नायक हरि सिंह पायल
2875137F
कीर्ति चक्र (मरणोपरांत)
वीरांगना - श्रीमती भगवती देवी
यूनिट - 4 राजपुताना राइफल्स
आतंकवाद विरोधी अभियान
नायक हरी सिंह का जन्म राजस्थान के झुंझुनू जिले की बुहाना तहसील के श्यामपुरा मैनाना गांव में श्री भोपत सिंह एवं श्रीमती चनकौर देवी के परिवार मे हुआ। वह भारतीय सेना की राजपुताना राइफल्स रेजिमेंट की 4 बटालियन में सेवारत थे। वर्ष 1991 में वह जम्मू-कश्मीर में तैनात थे।
29 अगस्त 1991 को 4 राजरिफ बटालियन के नायक हरि सिंह को जम्मू-कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के गुलहम धोरी क्षेत्र नियंत्रण रेखा (LoC) पर में तैनात किया गया था। आकस्मिक उन्होंने 30 गज के अंतर पर आतंकवादियों के एक समूह को आते देख उन्होंने अपने गश्ती दल को चेतावनी दी और असीम साहस से विद्युत की गति से आक्रमण करते हुए आतंकवादियों की ओर बढ़े।
भीषण मुठभेड़ में पेट में गोली लगने के उपरांत उन्होंने अपनी राइफल से एक आतंकवादी को मार दिया और अपना आक्रमण प्रवृत रखा। आगामी मुठभेड़ में द्वितीय समय गोली लगने पर भी उन्होंने अपने जीवन की उपेक्षा करते हुए संघर्ष प्रवृत रखा और एक अन्य आतंकवादी को भी मार दिया।
दुर्भाग्य से, एक गोली उनकी ग्रीवा को भेद गई और वह वहीं वीरगति को प्राप्त हो गए। उनके वीरतापूर्ण कृत्यों से भयभीत आतंकवादी अठ्ठाइस एके-56 राइफलें, एक स्वचालित मशीन गन, दो रॉकेट लॉंचर और पांच हजार से अधिक गोला-बारूद के राउंड छोड़कर भाग गए।
इस प्रकार, नायक हरि सिंह ने विशिष्ट साहस, वीरता और आत्म-बलिदान की भावना का प्रदर्शन किया। 26 जनवरी 1992 को उन्हें मरणोपरांत "कीर्ति चक्र" से सम्मानित किया गया ।
शहीद को सम्मान
चित्र गैलरी
स्रोत
बाहरी कड़ियाँ
संदर्भ
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