Harish Chandra Dhaka

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Author: Laxman Burdak, IFS (R)

Harishchandra Dhaka, Dhakawali, Bahawalpur, Thakur Deshraj: Jat Itihas (Utpatti Aur Gaurav Khand), p.104

Harish Chandra Dhaka (चौधरी हरिश्चंद्र ढाका), from Nattha Singh Dhaka Ka Chak (नत्था सिंह ढाका का चक), Dhakawali, Bahawalpur (Pakistan), was a Social worker at Sangaria in Hanumangarh, Rajasthan. He and his brother Shivdatt Singh of Puri Udang had came to India after partition and alloted Agricultural land in village Dariyapur near Fatehabad (Haryana). He was one of the founder members in developing the Sangaria Jat High School. [1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....चौधरी हरिश्चंद्रजी ढाका - [p.143]: जिनका सर्वस्य पाकिस्तान ने हज्म कर लिया, बड़ी जिम्मेदारी और अच्छी खासी पूंजी, कुछ भी अपने साथ नहीं ला सके। कुछ ही मिनटों में जो साह से मोहताज हो गए उन चौधरी हरिश्चंद्र ढाका को भरतपुर में प्रवास करने की इच्छा से आया देखकर मैं सन्न रह गया। बहावलपुर रियासत में उनका और उनके छोटे भाई हरिदत्त सिंह का बड़ा पैसा रहा था। नदियों के पानी से सींचे जाने वाली हजारों बीघे जमीन उनके पास थी। मैंने देखा भरतपुर की जमीन में यह क्या कमा सकेंगे।


[p.144]:और भरतपुर का भाग्य स्वयं खतरे में है। इसलिए उन्हें भरतपुर में बसाने में मुझे कोई आनंद की झलक न दिखी। वह मुझसे कुछ नाराज से होकर लौट गए। आज मैं देखता हूं ठीक ही हुआ जो वह भरतपुर में न बसे। मत्स्य की कांग्रेसी मिनिस्ट्री तमाम प्रवासी जाटों के पीछे पड़ी है और भगाने पर कटिबंध है।

चौधरी हरिश्चंद्र जी का बहावलपुर राज्य में एक स्वतंत्र गांव था - नत्था सिंह ढाका का चक। इनके पिता जी का नाम चौधरी कुम्भा राम ढाका था। पूरे इलाके में इनका बहुत दबदबा था। अंग्रेजो के राज में कुछ भी आसानी से नहीं मिलता था तब इन्होंने समाज के लोगो का तन मन धन से मदद की। शानो शौकत में आजादी से पहले भी इनके पास फोर्ड कार और घोड़े थे। इसी प्रकार उनके भाई शिवदत्त सिंह जी [[Puri udang| पूरी उड़ांग] के मालिक थे।

उन्होंने अपने संपन्नता के समय में कौमी कामों में भरसक मदद की है। संगरिया जाट हाई स्कूल की इमारतें चिल्ला-चिल्लाकर कहते हैं कि हमें ऊंचा करने में चौधरी हरिश्चंद्र जी ढाका की पसीने की कमाई का एक अच्छा अंश लगा हुआ है।

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Source

चौधरी हरिश्चंद्र ढाका जी की शादी गांव बारेका तहसील फाजिल्का जिला फिरोजपुर के बहुत बड़े जमींदार चौधरी पदमा राम रिणवा (नंबरदार) की बेटी श्रीमती कृष्णा देवी के साथ हुआ। जिनसे इनके दो पुत्र थे एडवोकेट देवेंद्र सिंह (बड़े बेटे इनका परिवार पंचकूला में रहता हैं) इनके दो बेटे अनूप सिंह और संदीप कुमार है। और विजेंद्र सिंह जी इनके छोटे पुत्र थे इनके दो पुत्र चौधरी उदयवीर सिंह और जयवीर सिंह ढाका और दो पुत्री श्रीमती पुष्पा देवी और श्रीमती इंदु देवी हैं - इसी परिवार से हैं और वर्तमान में दरियापुर, फतेहाबाद, हरियाणा में रहते हैं। श्री विजेंद्र ढाका के दोहते उनकी बेटी पुष्पा देवी के पुत्र विकास भादू जो शेरेवाला, अबोहर, पंजाब में रहते हैं।

Gallery

References

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.143-144
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.143-144

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