Hira Lal Patel
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स्व. हीरालाल पटेल, गोत्र आकोदिया, गांव पहेला, तहसील कराहल, जिला श्योपुर, मध्य प्रदेश के निवासी थे। श्री हीरालाल पटेल एक सम्पन्न जमींदार थे। आपने आजादी आन्दोलन में सक्रिय योगदान किया। इस परिवार ने 300 बीघा जमीन विनोवा भावे के भूदान-आंदोलन में पहेला गाँव में दान में दी थी। गांव पहेला में इनकी छत्री बनी हुई है।
जीवन परिचय
श्यौपुर जिले के गांव पहेला के जमींदार स्व. हीरालाल पटेल गोत्र आकोदिया की जानकारी प्रस्तुत है। गांव पहेला मे मेरी (गिरिर्राजसिंह चौधरी गांव राडेप जिला श्यौपुर) माता जी का ननिहाल होने से बचपन से आना जाना था। जमींदार समय के किस्से भी सुन रखे थे। श्री रणवीर सिंह जी सेवा निवृत्त एडीशनल सी ई ग्वालियर की प्रेरणा से पहेला गांव गया। जब उनके वारिस राकेश जी से घर पर कुछ पुराने कागजात दिखाये तो मेरी आंख नम हो गई और पता चला इस महान स्वतंत्रता सेनानी के साथ कितना अन्याय हुआ है। यहाँ उपलब्ध 1940 के पूर्व के चांदी के सिक्के, अखिल भारतीय कांग्रेस को दान 1 लाख रूपये का आजाद हिंद फौज का राशि बिहारी बोस का चित्र सहित बांड जो दान है या बांड है देखा लेकिन कहीं उनके योगदान का उल्लेख नहीं है।
श्री हीरालाल पटेल एक सम्पन्न जमींदार थे, ग्वालियर रियासत का गांव जिसमें 1500 बीघा जमीन कोटा रियासत गांव अमलोरा अमलोरी गोवर्धनपुरा के भी जमींदार थे। आपके पास 20 घोड़े थे, एक दर्जन घोडे सिंधिया स्टेंट के रहते आवश्यकता पड़ने पर ग्वालियर भिजवाना होते थे। तथा 50 हल चलते यानी 100 बैल रहते तथा खेती जमींदार के अलावा चीड-गोंद, कत्थे, कोयले का व्यापार दिल्ली तक करते थे। गाय भैंस इतनी थी की 25 किलो घी एक दिन में तैयार हो जाता।
एक समय ग्वालियर महाराज माधो महाराज सिंधिया दौरे पर आये और गोरस डाक बंगले पर ठहरे। सभी जागीरदार जमींदार पहुचे, नजराने के सभी ने चांदी के सिक्के महाराज को भेंट किये । जब पहेला गांव के जाट जमींदार हीरालाल पटेल ने महाराज को 14 सोने की मोहर नजराने मे दी, माधो महाराज सिंधिया इतने खुश हुये कि हीरालाल पटेल को ग्वालियर महल में बुलाया। रेल पर ही महल से घोड़ा बगी से आये दरबार हाल में बराबर बैठाकर सभी राजाओं से परिचय करवाया।
महाराज सिंधिया ने जमींदार से जागीरदार बनाने के प्रस्ताव को हीरालाल पटेल ने इस कारण से अस्वीकार कर दिया- इन के कुल गुरु के वचन थे कि जमींदार ही रहना जागीर दार मत बनना। जाट जमींदार हीरालाल पटेल बडे धार्मिक आस्था वाले थे , साधु सन्तों के भण्डार रोज ही करते तथा मन्दिर निर्माण भी करवाया जो आज भी सुरक्षित है।
300 बीघा जमीन विनोवा भावे के भूदान मे दान इस परिवार ने गांव पहेला मे दी थी। जाट जमींदार हीरालाल पटेल आजादी आन्दोलन में योग दान करते रहे , पर आजादी नहीं देख पाये और 1943 में गांव पहेला में देहांत हो गया। गांव पहेला में इनकी छत्री भी बनी हुई है।
हीरालाल पटेल गोत्र आकोदिया की वंशावली
- बलदेव सिंह के बेटे -
- हीरालाल व कल्लाराम
- हीरालाल पटेल (सिधिंया स्टेट के समय एक खास स्थान )
- हीरालाल पटेल के रघुनाथ पटेल
- रघुनाथ पटेल के तुलसीराम पटेल
- तुलसीराम पटेल के हरीसिंह
- हरीसिंह के राकेशसिंह व पुष्पेन्द्रसिंह
- कल्लाराम के गोवर्धनसिंह ,देवीराम ,तुलाराम
- गोवर्धनसिंह के शम्भूसिंह व तेजपालसिंह
- देवीराम के भंवरलाल ,मोहन ,श्याम ,घनश्याम ,हरचरण
- तुलाराम के जगदीश ,रामजीलाल ,गोपाल
- देवलाल के रामनारायण ,तोताराम ,
- रामनारायण के मांगीलाल
- तोताराम के गब्बी व भगतसिंह
जानकारी स्रोत
जानकारी स्रोत: गिरिर्राज सिंह चौधरी, गांव राडेप, जिला, श्यौपुर मध्यप्रदेश, मो. 9826237445
बाहरी कड़ियाँ
चित्र गैलरी
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गांव पहेला जिला श्यौपुर म.प्र., हीरालाल पटेल की हवेली
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गांव पहेला जिला श्यौपुर म.प्र., हीरालाल पटेल द्वारा निर्माणति मन्दिर व परिसर
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गांव पहेला जिला श्यौपुर म.प्र., हीरालाल पटेल छतरी
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गांव पहेला जिला श्यौपुर म.प्र., हीरालाल पटेल के परिवार से प्राप्त दस्तावेज की छाया प्रति
संदर्भ
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