Jai Prakash Janu

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Col Jai Prakash Janu

Jai Prakash Janu (Col) (22.01.1955 - 01.03.2001) became Martyr during Operation Rakshaka againt militants in Anantnag district of Jammu and Kashmir on 01.03.2001. He was from Mohanpura village in district Jhunjhunu of Rajasthan.

कर्नल जयप्रकाश जानू का जीवन परिचय

कर्नल जयप्रकाश जानू

22-01-1955 - 01-03-2001

वीरांगना - श्रीमती पुष्पा देवी

यूनिट - 6 बिहार रेजिमेंट, 120 बटालियन Territorial Army

ऑपरेशन रक्षक

कर्नल जयप्रकाश जानू जन्म 22 जनवरी 1955 को श्री ख्याली राम जानू एवं श्रीमती किशोरी देवी के परिवार में हुआ था। वह राजस्थान के झुंझुनू जिले के मोहनपुर गांव के निवासी थे। उनके सात अन्य भाई-बहन थे। युवावस्था में कर्नल जयप्रकाश शिक्षा में उत्कृष्ट थे। इसलिए वर्ष 1966 में उन्होंने सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में प्रवेश लिया। इस स्कूल में, उनके भविष्य के सेना कैरियर की नींव रखी गई और अंततः वर्ष 1973 में उनका प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में प्रवेश के लिए चयन हुआ। 15 दिसंबर 1976 को उन्हें भारतीय सेना की बिहार रेजिमेंट में सेकिंड लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त हुआ। उन्हें 6 बिहार बटालियन में नियुक्त किया गया।

पहली नियुक्ति के रूप में, उन्हें लद्दाख के लेह में तैनात किया गया। जहां उन्होंने कुछ वर्षों तक सेवाएं दीं। वर्ष 1980 में उन्हें कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया और फिर 1981 में इंफेंट्री स्कूल बेलगाम में कमांडो प्रशिक्षक के रूप में तैनात किया गया। इसके पश्चात उन्होंने सिक्किम और जम्मू-कश्मीर में सेवाएं दी। फिर वह तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित प्रतिष्ठित रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (DSSC) में स्टाफ कोर्स के लिए चुने गए। इसके पश्चात उन्होंने पंजाब और सियाचिन ग्लेशियर में सेवाएं दी और वर्ष 1996 में "ऑपरेशन राइनो" में भी भाग लिया था। वर्ष 2001 तक, वह कर्नल के पद पर पदोन्नत हो चुके थे। उन्हें 120 इंफेंट्री बटालियन (Territorial Army) के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया गया था।

मार्च 2001 में, कर्नल जयप्रकाश जानू Territorial Army की 120 इंफेंट्री बटालियन की कमान संभाल रहे थे और उन्हें जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में तैनात किया गया था। चूंकि इस बटालियन का संचालन क्षेत्र उग्रवाद प्रभावित था, इसलिए यूनिट के सैनिक नियमित रुप से आतंकवादियों के विरुद्ध ऑपरेशन चलाते रहते थे। सैनिक अत्यधिक सतर्कता रखते थे और सुरक्षा कारणों से प्रायः CONVOY के साथ चलते थे।

01 मार्च 2001 को कर्नल जानू ब्रिगेडियर बिक्रम सिंह, कमांडिंग 1 राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर और अन्य सैनिकों के साथ CONVOY द्वारा ऐसे ही एक ऑपरेशन में जा रहे थे। परंतु श्रीनगर से 55 किलोमीटर दूर मंडी जंगलात में इस CONVOY पर भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने शाम के लगभग 4 बजे घात लगाकर हमला किया।

यद्यपि यह हमला अचानक और अप्रत्याशित रुप से किया गया था, फिर भी सैनिकों ने त्वरित कार्रवाई की और पलटवार किया। इसके पश्चात वहां दोनों ओर से भयानक गोलीबारी हुई। कर्नल जानू को कई गोलियां लगीं परंतु साहस के दुर्लभ प्रदर्शन में हमलावर आतंकवादियों से बंदूक छीनने के लिए उन्होंने हमला किया। गंभीर रूप से घायल होने के उपरांत, भी कर्नल जानू अंतिम सांस तक अपने सैनिकों को हमले के निर्देश देते रहे और अंततः वीरगति को प्राप्त हुए।

कर्नल जयप्रकाश जानू के सम्मान में झुंझुनूं शहर में एक विद्यालय का नाम शहीद कर्नल जयप्रकाश जानू राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, झुंझुनूं किया गया है।

कर्नल जयप्रकाश जानू के बलिदान को भारत में युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा।

शहीद को सम्मान

कर्नल जयप्रकाश जानू के सम्मान में झुंझुनूं शहर में एक विद्यालय का नाम शहीद कर्नल जयप्रकाश जानू राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, झुंझुनूं किया गया है।

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गैलरी

स्रोत

संदर्भ

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