Jetpur
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Jetpur (जेतपुर) or Jaitpur is a historical village in Mahoba district of Uttar Pradesh.
Origin
Variants
- Jetpur (जेतपुर) (बुंदेलखंड, जिला महोबा, उ.प्र.) (AS, p.369)
- Jaitpur State (जैतपुर रियासत)
History
Jaitpur State was a princely state in the Bundelkhand region. It was centered on Jaitpur, in present-day Mahoba district, Uttar Pradesh, which was the capital of the state. There were two forts in the area. The last Raja died without issue and Jaitpur State was subsequently annexed by the British Raj.
Jaitpur state was founded in 1731 by Jagat Rai, son of the famous Bundela leader Chhatrasal, as a division of Panna State. In 1765 Ajaigarh State was separated from Jaitpur. Following the British occupation of Central India Jaitpur became a British protectorate in 1807. When Khet Singh, the state's last ruler, died without issue in 1849, the principality was annexed by the British.[1] The rulers of Jaitpur State bore the title 'Raja'.[2]
जेतपुर
विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...जेतपुर (AS, p.369) बुंदेलखंड, हमीरपुर ज़िला, उत्तर प्रदेश में स्थित ऐतिहासिक स्थान है। इस स्थान के निकट बुंदेला नरेश महाराज छत्रसाल और महाराष्ट्र प्रमुख पेशवा बाजीराव प्रथम की संयुक्त सेना के साथ इलाहाबाद के सूबेदार मुहम्मद बंगश की विशाल फ़ौज का घोर युद्ध हुआ था, जिसमें मुस्लिम सेना की भारी हार हुई थी। जैतपुर का क़िला पहले मुहम्मद बंगश ने फ़तेह कर लिया था। मराठों और बुंदेलों ने क़िले का घेरा डाल दिया और जब रसद समाप्त हो गई तो बंगश की फ़ौज को आत्म समर्पण कर देना पड़ा। इस क़िले को वापस लेने और इस पर अपना अधिकार करने में छत्रसाल [p.370]: को छ: महीने लगे थे। इस युद्ध में बुंदेलों को मराठों की सहायता से बहुत उत्साह मिला। छत्रसाल के पुत्रों ने भी युद्ध में बहुत वीरता दिखाई। कहा जाता है कि जब मुहम्मद बंगश ने भारी फ़ौज के साथ बुंदेला राज्य पर आक्रमण करने की तैयारियाँ शुरू कीं तो घबरा कर छत्रसाल ने बाजीराव प्रथम के पास निम्न दोहा लिखकर भेजा और सहायता मांगी- 'जो गति गज की ग्राह सों, सो गति भई है आज, बाजी जात बुंदेल की राखो बाजी लाज।'
पेशवा बाजीराव प्रथम ने, जिसकी शक्ति इस समय बहुत बड़ी-चड़ी थी, तत्काल ही छत्रसाल की सहायता की, जिसके कारण छत्रसाल को शत्रु पर भारी विजय प्राप्त हुई। विजय के उपहार-स्वरूप छत्रसाल ने झांसी का इलाका पेशवा को दे दिया, जहाँ कालान्तर में मराठा रियासत स्थापित हो गई। झांसी का राज्य रानी लक्ष्मीबाई के समय तक (1858 ई.) चलता रहा।
सरीला (बुंदेलखंड)
सरीला (AS, p.943): बुंदेलखंड में अंग्रेज़ी शासन काल के अन्त तक एक छोटी-सी रियासत थी। महाराज छत्रसाल के पौत्र पहाड़सिंह को विरासत में जैतपुर का राज्य मिला था। पहाड़सिंह के पुत्र गजसिंह ने जैतपुर की रियासत में से सरीला अपने भाई अमानसिंह को जागीर में दिया था। कालांतर में सरीला स्वतंत्र रियासत स्थापित हो गई थी। [4]
External links
References
- ↑ Great Britain India Office. The Imperial Gazetteer of India. Oxford: Clarendon Press, 1908.
- ↑ Princely States of India
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.369-370
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.943