Jat Itihas Ki Bhumika/Pakistan Kya Hai
p.65 - 70
पाकिस्तान का जन्म:
[p.65]: आर०एस०एस० वाले कहते है कि पाकिस्तान ’भारत’ का दुश्मन देश है और हम जाट भी ऐसा ही मानते है कि पाकिस्तान भारत का दुश्मन है। आर०एस०एस० वालों से पूछा जाए कि पाकिस्तान भारत का दुश्मन क्यों है, तब ये कहते है कि पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है और इसका जन्म ही द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त पर हुआ है, जिससे हमारा देश हिन्दू बहुल होने की वजह से इस्लामी पाकिस्तान भारत का दुश्मन बना हुआ है।
इस बात को मैनें पिछले अध्याय में बताने की कोशिश की पाकिस्तान का जन्म द्वि राष्ट्र सिद्धान्त पर नही हुआ था बल्कि जाटों को बर्बाद करने के ब्राह्मणीय सिद्धान्त पर हुआ था, जिस असली कारण पर ध्यान बाटने के लिए ब्राह्मण द्वि राष्ट्र सिद्धान्त का राग अलापता है।
मैनें यह भी बताया था कि अगर द्वि राष्ट्र सिद्धान्त से पाकिस्तान का जन्म हुआ होता, तो पाकिस्तान के जन्म के केवल 23 वर्षों के थोडे से समय में ही इससे बंग्लादेश अलग नही हुआ होता। धर्म का जुडाव इतने थोडे से समय में खत्म नही हुआ करता।
अत: अगर मै यह कहता हूं कि पाकिस्तान का जन्म धर्म के नाम पर नही हुआ था, तो मै यह भी कहता हूं कि पाकिस्तान भारत पर धर्म की वजह से हमला नही करता। पाकिस्तान का जन्म जाति (जाट) को खत्म करने के उद्देश्य से हुआ था, इसके आक्रमक होने की वजह भी जाति (जाट) ही है।
[p.66]: 25 सितंबर 2016 को अंग्रेजी दैनिक Times of India के चण्डीगढ़ संस्करण में आकार पटेल का एक लेख प्रकाशित हुआ है, जिसका शीर्षक है – Blame caste for Pakistan’s violent streak, not faith. अर्थात पाकिस्तान की हिंसात्मक कार्यवाही के पीछे जाति कारण है धर्म नही।
इस लेख में पटेल साहब ने लिखा है:-
To really understand Pakistan, we must see it through the lens of caste, not religion. How does all of this related to the current crisis while we decided what our course of action shown be following the attack on uri, do we have sufficient analysis of why Pakistan behaves the way it does? Why does it seem unable to let go of violence, even when its self interest is damaged?
My view is that it does so because Pakistan Punjab, which is 60% of the country’s population and from where 80% of its army is recruited, does not have internal restraint….. What remains is a warlike peasant community that is jat-dominated in its thinking and insufficiently modern to escape its caste culture, landing a few blows on the enemy bring it honour ever through the long term consequence is that the economy is gutted.
आकार पटेल ने लिखा है कि पाकिस्तान भारत पर इसलिए हमला करता है क्योंकि पाकिस्तान एक Jat dominated state है, क्योंकि पाकिस्तान की आबादी का 60% हिस्सा पंजाब से आता है जंहा से इसकी 80% आर्मी की भर्ती होती है। दुश्मन पर हमला करने में जाट अपनी शान समझता है, इसलिए जाट पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की भी परवाह न करके भारत पर हमला करता है।
[p.67]: आकार पटेल ने पाकिस्तान की आक्रामकता का कारण वहां की आर्मी में जाटों की बहुलता को बताया है, ना कि धर्म को जिसे आर०एस०एस० वाले कारण बताते है। पाकिस्तान जाट भारत पर हमला करते है और भारत की जाट रेजिमेंट इनका मुकाबला करती है तो दोनों ही स्थितियों में लहू तो जाटों का ही बहता है। सैय्यद आसिफ शाहकार, जो पाकिस्तान मूल के जज है, ने 15-10-2016 के अपने लेख में इंसान का कत्ल करने वाले तो कातिल ही है, में लिखा है कि “जब एक पंजाबी जाट सिख वाघा बार्डर पार करके पश्चिमी पंजाब (यानि पाकिस्तान) आता है तो सभी के सभी पंजाबी, जिसमें मुसलमान जाट सबसे आगे होते है उसे गले लगाते है और उसकी खुशी के लिए हर प्रकार की व्यवस्था करते है और उसको भाई कहते कहते उनका चाव पूरा नही होता। जब पाकिस्तान का एक मुसलमान पंजाबी भारतीय यानी पूर्वी पंजाब में जाता है तो उसके साथ भी इसी तरह का स्नेहपूर्ण व्यवहार होता है। लेकिन जैसे ही युध्दघोष होता है तो बेशक इन पंजाबीयों का उससे कोई लेना देना ना हो पर एक दूसरे से गले मिलने वाले यही पंजाबी एक दूसरे को कत्ल करने के लिए बार्डर की तरफ चल पड़ते है और बहुत गर्व से एक दूसरे की हत्या करते है। ऐसे लोगो से बड़ा नाक कटा और कौन हो महेन्द्र सिंह चीमा वर्दी पहनकर मोहम्मद शरीफ चीमा को कत्ल कर रहा है। सिद्दीक रंधावा वर्दी पहनकर बलवंत रंधावा को गोली मारता है और तगमा हासिल करता है। सबसे अधिक नाक कटती है पंजाबी मां की जो जंग में मारे गए बेटे की लाश वसूल करके अभी फारिग नही हुई होती कि दूसरे बेटे को तैयार करके मोर्चे पर भेज देती है।
[p.68]: हिन्दूस्तान और पाकिस्तान की सीमा के दोनों तरफ एक पंजाबी को मारने वाला दूसरा पंजाबी कभी हीरो नही हो सकता, बल्कि कातिल है। बताओं कभी भाई का कातिल भी हीरो और शूरमा हो सकता है तथा मारा गया पंजाबी न तो शहीद होता है और न ही 'दुश्मन' का सिपाही बल्कि वह मकतूल है यानि कत्ल किया गया व्यक्ति। अंतिम बात यह है कि युध्द के पर्दे में छिप कर किसी भी जगह पर कोई भी व्यक्ति जो दूसरे इंसान की हत्या करता है वह सिर्फ और सिर्फ कातिल है और कुछ नही।
उपरोक्त चर्चा से यह बात पता चली कि भारत पाकिस्तान की जंग में नुकसान केवल पंजाब और जाट को ही हो रहा है। अब जाट को नुकसान हो और ब्राह्मण, बनिया, अरोडा-खञी पीछे रहे यह हो ही नही सकता, ये तो अगर जंग न हो तो भी करवा कर राजी रहते है। ये पाकिस्तान को खत्म करना नही चाहते और न ही पाकिस्तान से इनकी कोई दुश्मनी ही है क्योंकि पाकिस्तान के जन्मदाता तो यही लोग है, बल्कि ये तो भारत पाकिस्तान की जंग के बहाने WWE के खली की फाईट की तरह, गलेडियेटर बने भारत और पाकिस्तान के जाटों की मौतों का तमाशा देखना चाहते है। भारत पाकिस्तान की जंग हो, इनके बाप का क्या जाता है, इनका कोई फौज में भर्ती थोडें ही है। हां तब तो माने भी जब ब्राह्मणों की परशुराम रेजीमेंट और बनियों की महाराजा अग्रेसेन रेजीमेंट गठित की जाए तथा परशुराम रेजीमेंट को चीन बार्डर पर,मदनलाल धीगंडा रेजीमेंट को पाकिस्तान बार्डर पर और महाराजा अग्रसेन रेजीमेंट को बंग्लादेश बार्डर पर अग्रिम मोर्चों पर तैनात किया जाए। तब तो हम भी कहे कि अब पाकिस्तान और चीन के खिलाफ आर पार की जंग होने दो, तब हम भी देखे कि ये कच्छेधारी जिन्होने फरवरी
[p.69]: 2016 में हरियाणा मे हुए जाट आरक्षण आन्दोलन के बाद फुल पैन्ट पहन ली है वहॉ गुल खिलाते है। दोस्तों, एक बात समझ लो कि पाकिस्तान एक बहाना है, पुराना पंजाब निशाना है। ये ब्राह्मण बनिया सर छोटूराम कालीन संयुक्त पंजाब को बर्बाद करने के एतिहासिक मिशन में लगे हुए है, जब तक ये सारी जाट कौम को घुटनों के बल नही देख लेगे तब तक ये चैन से नही बैठेगे।
ये झूठे राष्ट्रवादी भारत पाकिस्तान की आर्मी को तो लडवा देते है, जब्कि खुद अति संवेदनशील समय में भी पाकिस्तान से व्यापार करते है। 2 अक्टूबर 2016 के times of India के चंडीगढ़ संस्करण में युध्दवीर राणा की रिपोर्ट छपी है जिसका शीर्षक है “Tension brews, but cross border trade is business as usual “ इस रिपोर्ट में युध्दवीर राणा ने लिखा है कि 18 सितंबर को उड़ी सेक्टर में भारत के सैन्य शिवर पर हुए हमले जिसमें 19 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, का बदला लेने के लिए, भारत ने 28-29 सितंबर की रात को पाकिस्तानी कश्मीर (POK) में घुसकर सर्जिकल स्ट्राईक की थी और 29 सितंबर को केन्द्रीय भारत सरकार के ग्रह मंत्रालय ने भारत पाकिस्तान बोर्डर से सटे 10 किमी० के गांवों को खाली करने के निर्देश दिए थे, बेशक इससे इन सीमावर्ती जाट आबादी बहुल गांवों के बच्चो की पढ़ाई का और इनकी हजारों एकड की धान की फसल का कितना ही नुकसान क्यों न हो जाए। इस अत्यधिक गर्माए हुए माहौल में भी 28 सितंबर को अटारी (भारत)-वाघा (पाकिस्तान) बार्डर से 51 भारतीय ट्रक पाकिस्तान गए थे और सामान से भरे 198 पाकिस्तानी ट्रक भारत आए थे।
[p.70]: 29 सितंबर को सामान से लदे 56 भारतीय ट्रक पाकिस्तान गए थे और 190 ट्रक पाकिस्तान से भारत आए थे। 30सितंबर को 66 भारतीय ट्रक पाकिस्तान गए और 196 ट्रक भारत आए।
यह आश्चर्य नही तो क्या है कि जिस पाकिस्तान को गालियां देकर सर्जिकल स्ट्राईक करके, बार्डर के गांवों को खाली करने के निर्देश देकर पाकिस्तानी कलाकारों को भगाने की धमकी देकर भारत और पाकिस्तान के जाटों का देशभक्ति के नाम पर जनसंहार करने की जिस वक्त तैयारियां की जा रही हो; उसी वक्त भारत की Federation of dry fruit and Haryana commercial Association पाकिस्तानी व्यापारियों से बदस्तूर व्यापार कर रही हो। देखा जाए तो यह आश्चर्य भी नही है क्योंकि हमेशा से यही तो होता आया है। आर्मी आर्मी को लड़वाया जाता है, जब्कि ब्राह्मण पत्रकारों और बनियों व्यापारियों का पाकिस्तान में आना जाना लगा रहता है।
एक कवि की चार पक्तियां जाट को जाट से लड़वाने की इस स्थिती पर मौजूं बैठती है:-
- उस कुल्हाडी के लोहे में उसी का
- एक टुकड़ा पिरोया था,
- वो पेड जब कटा बहुत रोया था।
p.71 - 80
[p.71]: पाकिस्तान को गाली देकर ब्राह्मण न केवल जाटों के खून की दलाली करता है बल्कि इस दलाली से हिन्दू वोटों का 'मुसलमानों' के खिलाफ धुव्रीकरण करके चुनाव जीतने की भी गोटियां फिट करता है।
28-29 सितंबर को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में की गई सर्जिकल स्ट्राईक जिसकी प्रेरणा रक्षा मंञी ब्राह्मण मनोहर पार्रिकर के देश देश दुनिया के सबसे बडे़ ब्राह्मण संगठन राष्ट्रीय स्ंवय सेवक संघ से मिली थी (18 अक्टूबर, 2016,पंजाब केसरी, पानीपत संस्करण), के बाद 29 सितंबर को केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने भारत -पाकिस्तान से लगती पूरी सीमा के 10 कि०मी० के दायरे के गांवों को खाली करने के फरमान पारित किए थे। ब्राह्मणों के इस कदम पर पंजाब कांग्रेश पार्टी अध्यक्ष कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिस पर Times of india के चंडीगंढ सस्करण, 2 अक्टूबर को Times region Punjab पृष्ठ पर जो खबर प्रकाशित हुई, उसका शीर्षक था :- BJP’s war hysteria aimed at UP polls, claims capt. सहशीर्षक था :- says villagers move back only if -Army moves forward विभोर मोहन की इस खबर/रिर्पोट में प्रकाशित हुआ है कि,
Punjab congress president Capt. Amarinder Singh on Sunday accused the BJP at center of creating unnecessary war hysteria and tension along the Punjab borders with an eye on Uttar Pradesh elections. He also said Punjab chief minister Prakash Singh Badal should have said a firm no to the diktat of evacuating lakhs of villagers…….. This was a political game, “my view is that they want Hindu consolidation in UP by creating this sort of hysteria here. We have become the sacrificial goats”…. “There was no mass evacuation in 1965 or 2002, during the Operation Prakram. I have given a detailed account of the situation
[p.72]: during the 1965 war in my books. The order for evacuation had come from the home, not defence ministry, he said.
“ my book on 1965 war talks about an incident where the army general I was accompanying saw a farmer working in his fields in the middle of tank battles and air bombings, when the general asked him why he was there, the farmer said he had no option but care for his fields” he said.
“If there was any movement on the Pakistani side, the Indian army would have reacted. However, our army today is in the peacetime location, none of the formations has moved out, not even the defensive formation, which are along the border, have taken up their position. So why are you harassing Punjabi farmers” he said.
इसमें कैप्टन अमरिन्द्र सिंह ने कहा है कि भारत सरकार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों मे हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए, भारत-पाकिस्तान के बार्डर पर युध्दोन्याद का माहौल बनाना चाह रही है और इसलिए पाकिस्तान सीमा से सटे पंजाब के किसानों को खड़ी फसल को छोडकर जाने को कहा जा रहा है, जब्कि धरातल पर ऐसी जंग की कोई संभावना नही है। उन्होने बताया कि 1965 की भारत-पाकिस्तान की जंग और 2002 के आप्रेशन पराक्रम में भी बोर्डर से सटे गांवों को खाली नही करवाया गया था।
कैप्टन सिंह ने बताया कि उन्होने तो 1965 की भारत पाकिस्तान की जंग में टैकों की लडाई और हवाई हमलों के बीच भी एक किसान को अपने खेत में काम करते देखा था।
अत: बीजेपी सरकार पंजाब के किसानों को यूपी का चुनाव जीतने के लिए बलि के बकरे की तरह इस्तेमाल कर रही है।
[p.73]: पंजाब ही नही भारतीय कश्मीर की पाकिस्तानी सीमा पर भी जाटों की बसासत है वहां भी जाटों के गावों है। इन सीमाई कश्मीरी गांवों में तो जाटों के और भी बुरे हालात है। यंहा के जाटों को तो भारतीय सरकार ने भारतीय नागरिकता भी नही दे रखी, ना ही इनके वोटर कार्ड बने हुए है और ना ही राशन कार्ड बने हुए है।
जाटों को यह बात समझ लेनी चाहिए कि ब्राह्मण का लक्ष्य केवल और केवल दक्षिण ऐशिया से जाटों को खत्म करना है। ये सर छोटूराम के 'सयुक्त पंजाब' की जाट नस्ल को खत्म करना चाहते है। पाकिस्तान में भी इन ब्राह्मणों की लडाई पूरे पाकिस्तान से ना होकर केवल पंजाब के खिलाफ है। वंहा भी ब्राह्मण अपनी खुफिया एंजेसी RAW(research and analysis wing) के माध्यम से सिंध, बलूचिस्तान, बालटीस्तान को पाकिस्तानी पंजाब के खिलाफ भड़का रहा है, जिससे पाकिस्तानी पंजाब को घेरा जा सकें। पाकिस्तानी पंजाब को इसलिए घेरना जरूरी है, क्योंकि आज भी पाकिस्तानी पंजाबी जाट; भारतीय ब्राह्मण की साम्राज्यवादी योजनाओं में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है।
प्रधानमंञी नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2016 के लालकिले से दिए अपमे संदेश में बलूचिस्तान की आजादी का समर्थन किया, जिससे प्ररेणा पाकर भारतीय ब्राह्मण खुलकर सामने आ गया है और पाकिस्तान के विद्रोही बलूचिस्तानी लीडरों को भारत में भी बुलाने लगा है जिससे स्पष्ट हो गया है कि जाट तो 'सोया ही हुआ है लेकिन 'ब्राह्मण' जाटों को खत्म
[p.74]: करने की अन्तर्राष्ट्रीय साजिशों को रच रहा है और कमाल की बात है कि ब्राह्मणों ने जाटों को मारने की अपनी शैतानी योजना को 'राष्ट्रवाद' का नाम दे रखा है।
मै भारत के जाटों से यह अपील करता हू कि वे ब्राह्मणों के राष्ट्रवाद के षडयंञ को समझें और इस ब्राह्मणवादी प्रोपगेण्डा का शिकार न होवे, बल्कि यह समझे के जाट चाहे भारत का हो या पाकिस्तान का, वह जाट पहले है क्योंकि खून का रिश्ता धर्म और देशों के रिश्ते से बड़ा होता है। धर्म बदला जा सकता है, देशों की नागरिकताएं बदली जा सकती है अथवा भूगोल बदले जा सकते है; लेकिन खून का रिश्ता कभी नही बदला जा सकता। इसलिए भारतीय जाट ब्राह्मणवादी मीडिया के अंधराष्ट्रवाद में बहकर कोई भी ऐसा काम करने की न सोचें, जिससे पाकिस्तानी जाट को नुकसान हो। अगर इस खून के रिश्ते की फिलासफी को समझना है तो ब्राह्मणों से ही सीख लो, ब्राह्मणो में इतनी एकता है कि अगर कश्मीर के ब्राह्मण को जुकाम होता है तो तमिलनांडू के ब्राह्मण को छींक आती है। यहूदियों में इतनी एकता है कि इन्होने पूरी दूनिया के यहूदियों के लिए इजराईल के दरवाजे खोल रखे है। पूरी दुनिया के यहूदी की आस्था पहले इजराईल में और यहूदी जाति में है, बाद में उस देश में जिसमें ये रह रहे है। अगर कोई यहूदी अमेरिका का नागरिक है तो भी अमेरिका उसका दूसरा देश है, और इजराईल उसका पहला देश है। इसी तरह ब्राह्मण भी पहले ब्राह्मण ही है, उसकी भारत में तो कोई आस्था ही नही है। भारत में उसकी आस्था हो भी कैसे, वह तो इस देश का मूलनागरिक भी नही है।
विडंबना यह है कि विदेशी ब्राह्मण, जाटों को देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे है और जाट उनकी सुन भी रहे है।
[p.75]: राखीगढ़ी सिन्धु सभ्यता को खत्म करने वाला ब्राह्मण; बुध्द के आन्दोलन को खत्म करने वाला ब्राह्मण; संत रविदास, महाराज हर्षवर्धन की हत्या करने वाला ब्राह्मण; राजा बृहदरथ की हत्या करने वाला ब्राह्मण; सिख विरोधी दंगे कराने वाला ब्राह्मण; गुजरात गोधरा और मुज्जफरनगर में दंगे करवाने वाला ब्राह्मण; जाटों को कहता है कि भारत माता की जय कहो और जाट भी इनके सुर में सुर मिलाते है। जाटों को ब्राह्मणों से साफ शब्दों में कह देना चाहिए कि देशभक्ति का ढोग करना बंद करें, क्योंकि अब हम तुम्हारी देशभक्ति की आड में जाट को बर्बाद करने के षड्यंत्र को बखूबी समझ चुके है, तुम्हारे मुंह से देशभक्ति की बाते शोभा नही देती, तुम मुख में राम बगल में छूरी रखते हो।
बलूचिस्तान, पाकिस्तान के कथित आजादी आन्दोलन से जुडी प्रोफेसर नाइला ब्लूच जो कनाडा की एक यनीवर्सिटी में पढ़ रही है। दिनांक 15 अक्टूबर 2016 को आर०एस०एस० के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश के साथ कैथल पहुची थी । यहां प्रोफेसर नाइला ने अरुण सर्राध के प्रतिष्ठान पर पत्रकारों से बातचीत की। इस बातचीत में प्रो० नाइला ने कहा कि :-
1.पाकिस्तान दुनिया का नर्क है।
2.उनके अधीन कोई भी नही रहना चाहता। बलूचिस्तान के अलावा, बाल्टिस्तान, पाक अधिकृत कश्मीर और सिंध सहित सभी लोग पाकिस्तान से मुक्ति चाहते है।
3. बलूचिस्तान को आजादी भारत ही दिलवा सकता है। पाकिस्तान पर भारत, बांग्लादेश और अफगानिस्तान एक साथ सर्जिकल स्ट्राईक करें। इसके बाद पाकिस्तान का नामोनिशान मिट जाएगा।
[p.76]: 4.भारतीय मुसलमानों को भारत माता की जय बोलनी चाहिए और तीम तलाक की लडाई छोडकर बलूचिस्तान को आजाद करवाने में सहयोग करना चाहिए।
5.अगर बलूचिस्तान आजाद हो गया तो यह आजादी भारतीय उद्योग के लिए सेन्ट्रल एशिया के रास्ते खोल देगी।
6.भारतीयों को चीनी माल का बहिष्कार करना चाहिए, क्योंकि चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा सहयोगी देश है। (संदर्भ दैनिक ट्रीब्यून, दै०भास्कर 16 अक्टूबर 2016)
अगर हम नाईला बलोच की, जो भारत में आर०एस०एस० की एजेंट की तरह आई हुई है कि बातों की सही व्याख्या करें ,तो सार यह निकलता है कि भारत को अफगानिस्तान, बाग्लादेश के साथ मिलकर पाकिस्तान के पंजाब पर हमला कर देना चाहिए, जिससे पाकिस्तानी पंजाब का जाट मारा जाए। अगर पाकिस्तान जाट को तबहा करके, बलूचिस्तान अलग देश बन जाता है तो यह जाट विरोधी बलूचिस्तान भारतीय बनियों के लिए सेन्ट्रल एशिया को लूटने के दरवाजे खोल देगा ,जिस दरवाजे पर पाकिस्तानी जाट लट्ठ लेकर खड़ा है।
भारतीय मुसलमानों को भी जाटों की बर्बादी की इस लडाई में ब्राह्मणों का साथ देना चाहिए तीन तलाक कोई मुद्दा नही; मुद्दा तो बस पाकिस्तानी पंजाब के जाटों का विनाश करने का है।
ब्राह्मणों ने अल्लाह नाज़र, नाईला बलोच, करीमा बलोच, व्रद्हदागा बुगती, महरम मारी जैसे जाट विरोधी मुर्ख बलोचों से अपने विदेशों में संगठन ओवरसीज फ्रैडंस आफ द बीजेपी (O.F.B.J.P) के माध्यम से
[p.77]: तारतम्य (co-ordination) स्थापित कर लिया है और अब ये मुर्ख बलोच विभिषण बनकर भारत में भी जाटों को देशभक्ति के नाम पर भ्रमित करने के लिए आने लगे है।
अत: भारतीय जाटों को 'बलूचिस्तान’ के नाम पर की जा रही ब्राह्मणों की राजनीति को समझना चाहिए।
ब्राह्मणों की रणनीति पर अगर पूरा अमल किया जाए तो यह होगा :-
1 भारत-पाकिस्तान मे जंग होगी।
2 इस जंग में दोनों तरफ जाट मारे जाएगे।
3 पाकिस्तानी पंजाब बर्बाद हो जाएगा।
4 आजाद बलूचिस्तान भारतीय बनियों के लिए सोने की मुर्गी की तरह काम करेगा।
5 ब्राह्मण; भारत-पाकिस्तान की जंग से चुनाव जीतकर अपनी सत्ता को मजबूत करेगा।
कोई बताए कि जाटों को बलूचिस्तान के चक्कर में पड़कर क्या फायदा हो रहा है। बलूचिस्तान आजाद होने से ब्राह्मण बनिया को तो फायदा है, जाटों का कोई फायदा नही है। सर छोटूराम जी कहा करते थे कि, जिस खेत से दहकां को, मय्यसर न हो रोजी, उस खेत के हरेक गोशएं गंदुम को जला दो। अर्थात उस खेत को आग लगा दो, जिस खेत से किसान को ही रोजी नसीब न हो। किसान खेती करें, फिर भी भूखा सोए तो ऐसे घाटे के खेत में आग लगा दो।
[p.78]: अगर बलूचिस्तान का खेत जाटों को फायदा न देकर, इसके दुश्मनों ब्राह्मण बनियों को फायदा देता है तो जाटों को इस आग में अपनी पूंछ जलवाने की जरूरत नही है। इसके साथ ही पाकिस्तान के बलोचों को भी समझना होगा कि जिस पाकिस्तान को आज वे पानी पी पीकर गालियाँ दे रहे है, उस पाकिस्तान को जाटों ने नही बनवाया था, वरन जाटों की पार्टी पंजाब यूनियनिष्ट पार्टी ने तो अपनी अंतिम सांस तक पाकिस्तान निर्माण का विरोध किया था। सर छोटूराम पाकिस्तान निर्माण के विरोध में ही शहीद हुए थे; सर मलिक खिज़र हयात खान टीवाना जहां तक पार बसाई वंहा तक पाकिस्तान निर्माण के विरूध जूझते रहे थे। पाकिस्तान सर छोटूराम की लाश पर बना था, बनिया गांधी फिर भी जिन्दा रहा था। पाकिस्तानी बलोचों को समझना होगा कि वे जिन ब्राह्मणों के बहकावे में आकर पाकिस्तान के जाटों(पंजाब) के खिलाफ हो चले है, तो यह ब्राह्मण आखिर में छोडे़गा बलोचों को भी नही।
आपने उस मूर्ख मेढ़क की कहानी तो सुनी होगी, जो अपने परिजनों से बदला लेने के लिए सांप को कुएं में बुला लाया था। सांप ने उसके परिजनों को खाकर इस मूर्ख मेढ़क से पूछा कि अब किसे खाऊ तो उस मेढ़क ने कहा, अब किसी को नही खाना, काम खत्म हो गया है, अब चले जाओ। लेकिन सांप ने कंहा मेरी भूख अभी खत्म नही हुई है और सांप उस मेढ़क को खा गया। बलोचिस्तान के कुछ मूर्ख बलोच इस मूर्ख मेढ़क के भाई बने हुए है, ये नही जानते कि ब्राह्मण सांप से भी खतरनाक होता है। इन बलूचों को सन् 1947 से पहले के संयुक्त पंजाब का भी अध्ययन करना चाहिए कि सन् 1947 के दंगों में हरियाणा-पंजाब के बलूचों के
[p.79]: गांवों को किसने उजाडा था। झज्जर हरियाणा, में बलूचों के चार गांव थे, बलूचपुर और खेतावास के नाम मुझे ध्यान है। इन गांवों में बहुत ही बड़े दिलवाले बलूच बसते थे, जो गांव के दलितों-गरीबों को अपने बच्चों की तरह रखते थे। मैने खेतावास गांव में खुद जाकर उस जमाने के एक नाई बजुर्ग का इन्टरव्यू लिया है, जो youtube पर भी है। इस बजुर्ग ने बताया था कि बलूच महान जाति है। मेरा संपर्क इस खेतावास गांव से ही पाकिस्तान गई पीढी की तीसरी पीढी में से एक नौजवान अजमल बलूच से इन्टरनेट के माध्यम से हुआ, जो बलूचिस्तान में S.P है। इन्होने भी अपने पूर्वजों की, जो 1947 में हरियाणा से पाकिस्तान गए थे के विडियों इन्टरव्यू Youtube पर अपलोड कर रखे है, जिसमें ये बलूच बजुर्ग बता रहे है कि वे सर छोटूराम के समर्थक थे और उनका पाकिस्तान में मन नही लग रहा, क्योंकि उन्हे अपने खेतावास गांव की याद आती है।
क्या प्रो०नाईला बलोच बताएगी कि खेतावास बलोचपुर आदि गांवों को किसने उजाड़ा था? यह गांव इन्ही ब्राह्मण महामंडलेश्वरों ने उजाडे थे, जिनके सुर में सुर मिलाकर आज यह बात कर रही है। बलोचो के ये पाकिस्तानी मूर्ख नेता, पाकिस्तान के जाटों के खिलाफ ठीक उसी तरह प्लांटिड है जैसे हरियाणा में ब्राह्मणों ने जाटों के खिलाफ राजकुमार सैनी को प्लांट कर रखा है।
बलूचिस्तान पर जारी इस विमर्श से मुझे यह बात भी समझ में आई है कि इन्दिरा गांधी, ब्राह्मणी ने सन् 1971 की भारत पाकिस्तान की जंग
[p.80]: में सुनियोजित तरीके से बाग्ंलादेश मुक्ति वाहिनी की मदद करके पूर्वी पाकिस्तान को Punjab dominated Pakistan से अलग क्यों करवाया था।
असल में भारत से जो पान खाने वाले यूपी, बिहार के उर्दु भाषी मुसलमान हीजरत करके 'कान में बीडी मुंह में पान, लेके रहेगे पाकिस्तान’ का नारा लगाते हुए, पाकिस्तान गए थे, तो इन मुहाजिरों ने उर्दू भाषा को पाकिस्तान की राजकीय भाषा बनवा दिया था।
ये मुहाजिर आज तक पाकिस्तानी संस्कृति में नही रच बस पाए है, ठीक वैसे ही जैसे 1947 में पाकिस्तान से भारत आए, अरोड़ा-खञी रिफ्यूजी हरियाणा की संस्कृति में नही समा पाए है। पाकिस्तान गए इन यूपी बिहार के मुहाजिरों ने नये नये बने पाकिस्तान की प्रमुख संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा कर लिया था, ठीक वैसे ही जैसे आज पाकिस्तान से आए मनोहर लाल खट्टर जी हरियाणा के माननीय मुख्यमंञी बन गए है। जब पाकिस्तान पर इनका प्रभुत्व बढ़ा तो इन्होने 'उर्दूजुबान' की लाठी पूर्वी पाकिस्तान, जो बाद में बग्ंलादेश बना को चढ़ानी शुरू की। पूर्वी पाकिस्तान ने इसे अपनी स्थानीय बंग्ला भाषा का अपमान माना और इसे पाकिस्तान की तानाशाही का नाम देना शुरू किया।
पूर्वी पाकिस्तान के पाकिस्तान में बने रहने से जाटों को यह फायदा था कि भारत पाकिस्तान की युध्द की स्थिती में केवल लाहौर और अमृतसर ही आमने सामने नही होते थे, वरन् भारत के पूर्वी फ्रंट बंगाल में भी युध्द का मोर्चा खुलता था। पाकिस्तान को पूर्वी पाकिस्तान के रहने के कारण पूर्वी और पश्चिमी दोनो फ्रंटो से भारत के खिलाफ युध्दरत होना पड़ता था, जिससे
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[p.81]: पाकिस्तान आर्मी की ताकत दो भागों में बंट जाती थी (जनरल जैकब, जिन्होने बंग्लादेश निर्माण में अहम सैन्य भूमिका निभायी थी, ने भी बाद में एक इन्टरव्यू में इस तथ्य को स्वीकार किया है। परंतु ब्राह्मणी इन्दिरा गांधी को इस बात से मतलब नही था, वह तो भारत पाकिस्तान युध्द का केवल एक मोर्चा, जिसमें केवल जाट का नुकसान हो रखना चाहती थी जबकि पाकिस्तान के पंजाब के जाट, युध्द की स्थिती में पूर्वी पाकिस्तान के मोर्चो पर अधिक सैन्यबल तैनात करके उत्तरभारत के जाटों को राहत दिया करते थे। इन्दिरा ब्राह्मणी ने लाहौर-अमृतसर के जाटों को आमने-सामने करने के लिए बंग्लादेश बनाने का मन बनाया और इसमें इन्दिरा गांधी की मदद भारत से पाकिस्तान गए यूपी बिहार के मुहाजिरों ने भी की (इन्होने जानबूझकर पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान से ऐसे कार्य करने शुरू किए, जिससे आम पूर्वी पाकिस्तानी असुरक्षित महसूस करने लगा। उसकी इस असुरक्षा को भी भारतीय ब्राह्मणों ने फंडिग दी, जिससे पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तान के विरूध माहौल तैयार हुआ। पाकिस्तानी आर्मी ने अपने इस पूर्वी फ्रंट को बचाने की भरपूर कोशिश भी की, लेकिन स्थानीय स्तर पर सहानुभूति खो चुकने के कारण सन् 1971 की जंग में पाकिस्तान आर्मी के हाथों से पूर्वी पाकिस्तान निकल गया और बंग्लादेश का जन्म हुआ।
बंग्लादेश बनने से अब भारत-पाकिस्तान के युध्द का केवल एक फ्रंट रह गया है, जोकि भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों में जाट बहुल क्षेत्र है। इन्दिरा ब्राह्मणी के पिता पण्डित जवाहर लाल नहरू ने संयुक्त पंजाब को तोडा था, इन्दिरा ने इन टूटे हुए हिस्सों को जमीनी तौर पर आमने सामने खड़ा कर दिया।
[p.82]: पाकिस्तानी पंजाब और भारतीय पंजाब के आमने सामने आने से जंग के हालात में केवल और केवल जाटों को चोट पहुचेगी। शेष भारत तो केवल तमाशा देखेगा, अत: महाराष्ट्र के बाल ठाकरे, राज ठाकरे को जंग की बाते करने से कोई फर्क नही पड़ता। मराठों को बेवकूफ बनाकर राजनीति करने वाले राजठाकरे और उध्दव ठाकरे तो आपसी बातचीत में यह भी जरूर कहते होगे कि भारत पाकिस्तान की जंग में साला अपुण के बाप का क्या जाता है, पाकिस्तान की मिसाईल तो हरियाणा पंजाब तक ही रह जाएगी। यही बात सुदूर बंगाल में बैठा बंगाली ब्राह्मण कहता होगा कि भारत-पाकिस्तान की जंग में पंजाब उजडेगा, हमको क्या, अच्छा ही है।
डा० दुष्यंत, चर्चित हिन्दी कवि और गीतकार की एक कविता की चन्द लाईनें इस प्रकार है:-
- मेरे पुरखे रहते थे, सरहद के उसपार कही,
- मेरे बच्चे रहते है, सरहद के इस पार कही,
- तेरे पुरखे रहते थे, सरहद के इसपार कही,
- तेरे बच्चे रहते है, सरहद के उसपार कही…….
- तुम जीतो या हम जीते, जंग में नस्ले हारेगी ।
- बारूद से खेतों की, पकती फसलें हारेगी।।
- याद नही क्या सरहद पर, सीने होते है छलनी।
- भूल गए क्या फिर नस्लें, सदियों रहती है रोती।।
[p.83]:
- जंग कही भी जंग कभी भी, बात का हल देती है क्या।
- तोपो की आवाज भी, बेहतर कल देती है क्या? ।।
- आने वाली नस्लों को, देगें क्या सौगात यंहा? ।
- उजले-उजले से दिन या, काली-काली रात यंहा।।
- तुम जीतो, या हम जीतें, जंग में नस्ले हारेगी………
इसलिए जंग का नुकसान केवल और केवल जाट नस्ल को ही झेलना पडेगा, सो जाटों को जंग की नही शान्ति की सोच रखनी चाहिए। कोई ब्राह्मण-बनिया-अरोडा-खत्री अगर जंग के लिए उतावला दिखाई दे तो भावनाओं मे मत बहना, क्योंकि ये लोग ड्रामें करके प्रदर्शन करके, पुतला फूंककर, शवयाञाएं निकालकर, धरने देकर, मोमबत्तियां जलाकर भावनाएं उकसाने में माहिर है। ये शहरी लोग अपनी ब्राह्मणवादी मीडिया में ऐसा शोर मचाते है कि झूठ सच लगने लगता है और सच का हमें पता ही नही होता। कोई शहरी व्यापारी युध्द की बाते करे तो उसे कहना हमने तो 1948,1962,1965,1971 और कारगिल की लडाईयां लड़ी है, अगर तुम्हे इतना ही शौक है तो एकाध जंग तुम भी लड़कर देखो। आर०एस०एस० की निक्कर पहनकर विजयदशमी वाले दिन तो तुम शस्त्रपूजन करके, हाथ में डण्डे बन्दूक लेकर जूलूस भी निकालते हो, अच्छा है थोडी मर्दानगी बोर्डर पर भी दिखाओं। जाटों को मोहब्बत का पैगाम देना होगा, तभी यह ब्राह्मण बनियों द्वारा बनाई गई झूठी नफरत की दीवार गिरेगी।
भारत-पाकिस्तान की समस्या का समाधान जंग से नही होगा, सियासत से नही होगा, वरन् सर छोटूराम और सर फजले हुसैन की यूनियनिष्ट विचारधारा पर अमल करके होगा।
[p.84]: भारत-पाकिस्तान की समस्या का समाधान ब्राह्मण-बनिया नही करेगें, ये तो चाहते ही है कि यह समस्या बनी रहें, जाट बर्बाद होता रहे, हिन्दू वोटो का ध्रुवीकरण होता रहे, भारतीय मुसलमानों पर पाकिस्तान परस्ती का इलजाम लगता रहे, और ये ब्राह्मण-बनिया पाकिस्तान का डर दिखा कर, अमेरिका, फ्रांस, रूस और इजराईल से मंहगे रक्षा हथियार, फाईटर प्लेन, पनडुब्बियां, मिसाईल, मिसाईल डिफेंस सिस्टम, हेलिकाफ्टर खरीद कर दलाली खाते रहें, उस दलाली के पैसे को स्विस बैकों में जमा करवाते रहे और फिर लोकसभा चुनावों के नजदीक उसी स्विस बैंक में जमा अपने पैसे को भारत में वाप्स लाने के जुमले बेचकर, जनता को भावनाओं में बहाकर देश के हुक्मरान बनते रहे।
भारत-पाकिस्तान विवाद को जाट ही खत्म करेगा और मुहब्बत से खत्म करेगा।
- उनका जो काम है, वह अहले सियासत जाने।
- अपना पैगाम मोहब्बत है, जंहा तक पहुंचे।।
साहिर लुधियानवी की चंद पक्तियां है:-
- जंग तो खुद एक मसला है,
- जंग क्या मसलों का हल देगी,
- आग और खून आज बख्शेगी,
- भूख और मुफलिसी कल देगी,
- इसलिए ऐ शरीफ इंसानों,
[p.85]:
- जंग टलती रहे तो बेहतर है,
- आप और हम सभी के आंगन में,
- शमा जलती रहे तो बेहतर है।
इसलिए जाटों को यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि जो भी ब्राह्मण-बनिया जंग की बात करता है, वह जाट कौम का पक्का दुश्मन है।
मै सोचता हू कि अगर सर छोटूराम की यूनियनिष्ट फिलासफी पर भारत की विदेश नीति बनती तो एशिया में भारत-पाकिस्तान-चीन का ऐसा खूबसूरत भाईचारे का ञिभुज (Triangle) बनता कि ये तीनों महान् देश मिलकर पूरी दूनिया पर हुकूमत करते और विश्व शान्ति कायम करते। आप कल्पना करे अगर भारत-पाकिस्तान-चीन आपस में सौहार्दपूर्ण रिश्ता बनाकर आगे बढ़े तो क्या कुछ नही कर सकते।
लेकिन याद रहे यह काम तब तक नही हो सकता, जब तक भारत की सत्ता पर और सवैधानिक पदों पर ब्राह्मण-बनिया-अरोडा-खत्रियों का कब्जा रहेगा।
भारत देश पर जब तक ब्राह्मण बनियों की सत्ता कायम रहेगी, तब तक ये Punjab dominated Pakistan और बौध्दमय चीन को दुश्मन बनाकर ही रखेगें और अमेरिका इजराईल की गुलामी करते रहेगें। इनकी विदेश नीति जंग पर आधारित है हमारी विदेश नीति मुहब्बत पर आधारित होगी। इनकी विदेश नीति पडोसियों से बिगाडने की है, हमारी विदेश नीति रिश्ते सुधारने की होगी। इनकी विदेश नीति अमेरिका इजराईल की चापलूसी करने की है, हमारी विदेश नीति खुदी पर
[p.86]: आधारित होगी। इनकी विदेश नीति से भारत कमजोर हुआ है, हमारी विदेश नीति से भारत मजबूत होगा। इनकी विदेश नीति टाटा, बिडला, अंबानी, अडानी, को फायदा पहुचानें की है, हमारी विदेशनीति का केन्द्रिय तत्व कमेरा वर्ग होगा। इनकी विदेशनीति कौटिल्य अर्थशास्ञ पर आधारित है, हमारी विदेश नीति यूनियनिष्ट सिध्दांतो पर आधारित होगी। इसलिए जाटों अपना हित पहचानों इन ब्राह्मण बनियों के चक्कर में अपने ही हाथों अपना नुकसान मत करो। पाकिस्तानी शायर बाबा नज़मी ने गोली शीर्षक से बहुत ही शानदार कविता लिखी है, जो यूनियनिष्ट दर्शन को दर्शाती है।
- गोली अन्नी, गूंगी, बोली,
- संगियो एहदा संग नई चंगा।
- एहदा कोई भी रंग नई चंगा,
- एहदा कोई भी फायदा नही जे,
- गोली एहना वल्लो चल्ले,
- गोली ओहना वल्लो चल्ले।
- गोली नाल पुआडा पैदा, गोली नाल उजाडा पैदा,
- एधर वी एह बंदा मारे, ओधर वी एह बंदा मारे।
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- आपणे बंदे मारण नालों, कबरा विच उतारण नालों।
- मेरे मन्नो, मेरे चन्नो, इक-दूजे दे सीने लग्गो।
- फुल्लां दे गुलदस्ते लब्यो, बंदे खाणी गोली दब्बो।
इस वर्ष 2016 में फर्जी राष्ट्रवादियों ने दिवाली पर चीनी सामान न खरीदने का आहवान किया है। फर्जी राष्ट्रवादियों ने सोशल मीडिया पर चीनी सामान न खरीदने की जबरदस्त मुहिम छेड रखी है। इस मुहिम के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि चीन भारत में आतंकवाद फैलाने में पाकिस्तान की मदद कर रहा है सो हमें चीनी सामान का विरोध करना चाहिए। कभी सभी बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विरोध करने वाले स्वदेशी जागरण मंच जैसे संगठन केवल चीन के विरोध तक ही सिमट गए है। फर्जी राष्ट्रवादी चीनी सामान का विरोध इसलिए नही कर रहे कि चीन आंतकवाद फैलाने में पाकिस्तान की मदद कर रहा है, क्योंकि फर्जी राष्ट्रवादी तो चाहते ही यही है कि भारत में आतंकवाद फैले, जिससे ये मुल्क में इस्लाम का फोबिया खडा करके चुनाव जीतते रहें। फर्जी राष्ट्रवादी भारत में कोई ऐसा काम कभी नही करते, जिससे मुसलमान देश की विकासधारा से जुडे बल्कि ये जानबूझकर मुसलमानों को पिन मारते रहते है कि प्रतिक्रिया स्वरूप मुसलमान नवयुवक तालीम की राह छोडकर आंतकवाद की राह पर चले। बीजेपी हरियाणा सरकार ने गुडगांव नूह पुलिस को बिरयानी बेचने वाले गरीब मुसलमानों की बिरयानी के
[p.88]: सैंपल जांचने के जो आदेश दिए है, यह सब क्या है। यह मुसलमान युवको को पिन मारना है। अत: यह कहना कि चीन आंतकवाद फैलाने में पाकिस्तान का सहयोगी है इसलिए चीनी सामान का बहिष्कार किया जाए, केवल आईवाशॅ है। सच्चाई यह है कि चीन पाकिस्तान में 46 बिलियन डालर वाली वन बेल्ट वन रोड परियोजना(ग्वादर पोर्ट परियोजना) पर काम कर रहा है, जिसे पाकिस्तानी आर्मी सुरक्षा प्रदान कर रही है।
इस परियोजना को पाकिस्तान और चीन द्वारा एक ऐसी परिकल्पना के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है जो सभी पूर्व गणनाओं को उलटा पुलटा करके रख देगी। वास्तव में यह अनेक परियोजनाओं का संग्रह है जो रेलवे लाईनो ,गैस पाइप लाइनों तथा सड़को के नेटवर्क के माध्यम से पाकिस्तान के आधारभूत ढांचे को न केवल तेजी से विस्तार देगा बल्कि इसको अपग्रेड भी करेगा। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (C.P.E.C.) पाकिस्तान की ग्वादर बंदरगाह को उत्तर पश्चिमी चीन के समवायतशासी इलाके झिनझियांग के साथ जोड देगा। यह ऊर्जा और बिजली की उस दीर्धकालीन समस्या का भी हल करेगा जिससे पाकिस्तान सदा परेशान रहा है। इसके फलस्वरूप पाकिस्तान के आर्थिक क्षेत्र में भारी मात्रा में विदेशी निवेश आकर्षित होगा। यह अनुमान लगाया गया है कि सी०पी०ई०सी० के अनर्गत तत्कालिक रूप में फलवती होने वाली योजनाओ की बदौलत पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 2018 तक सात प्रतिशत वृध्दि होने की उम्मीद है। जैसे जैसे सी०पी०ई०सी० की परियोजना साकार होती जाएगी, चीन और पाकिस्तान दोनों के मामले में हमारी सामरिक कमजोरिया बढ़ती जाएगी। (साभार:- कस्तिंदर जौहर, पंजाब केसरी, हिन्दी दैनिक, पानीपत संस्करंण 22-10-2016 ) । पाकिस्तान
[p.89]: चीन की इस बृहद् परियोजना से सबसे अधिक फायदा पाकिस्तान के जाटों को होना है क्योंकि इस वृहद् परियोजना के अतर्गत पाकिस्तानी पंजाब प्रान्त की झोली में 176 परियोजनाएं गई है। साथ ही, पिछले तीन सालों से जनरल राहिल शरीफ (जाट) पाकिस्तान की विदेश नीति और आंतरिक सुरक्षा मामलों का नियंत्रण अपने हाथों में लिए हुए है। (जी० पार्थसारथी, शरीफो के बीच शह-मात का खेल, दैनिक ट्रिब्यून, गुडगांव 20 अक्टूबर 2016)
इन तीन सालों में जनरल राहिल शरीफ ने पाकिस्तान की विदेशनीति में क्रांतिकारी बदलाव किए है तथा पाकिस्तान को यहूदी अमेरिका चाटूकारिता से हटाकर, पडोसी बौध्द धर्मी चीन से नजदीकियां बढाई है। इसी क्रम मे पाकिस्तान चीनी भाईचारे को स्थायी आधारभूत ढांचा प्रदान करने के उद्देश्य से चीन पाकिस्तान में 46 बिलियन डालर की परियोजना पर काम चल रहा है। पाकिस्तानी जाटों और बौध्दधर्मी चीन की बढ़ती ताकत से अमेरिका (यहूदी) घबरा गया है सो अपने घबराए हुए अकंल सैम की चिन्ताओं को बाटने के लिए भारतीय ब्राह्मण, इस दिवाली पर चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मुहिम चला रहा है। भारतीय ब्राह्मण यहूदी अमेरिका के प्रति अपनी वफादारी दर्शाने के लिए तथा पाकिस्तानी जाटों की बढती ताकत से घबराकर चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर रहा है। चीन भी इस हकीकत को समझता है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाईम्स ने इस बहिष्कार का संज्ञान लेते हुए लिखा है कि अमेरिका किसी का दोस्त नही है। चीन को घेरने के लिए अमेरिका भारत को दुलार रहा है।
चीनी अखबार ने यंहा तक लिखा है कि भारत के लोग मेहनती नही, सिर्फ हल्ला करते है; प्रोडक्ट हमारा ही खरीदेगे। (संदर्भ:- 20 अक्टूबर
[p.90]: 2016, दैनिक भास्कर, रोहतक हरियाणा संस्करण) चीन जानता है कि भारत से बनिया ब्राह्मण अरोडा खत्री ही चीनी माल का सबसे बड़ा इंपोर्टर है तथा अब यही लोग केवल दिखावा कर रहे है। इनके दिखावे से चीनी उद्योग जगत पर कोई फर्क नही पडेगा।
यह भी सत्य है कि इन ब्राह्मण बनियों के हो हल्ला करने से चीन पर कोई फर्क नही पडेगा, लेकिन जाति विभाजित भारतीय समाज में इस हो-हल्ले का असर जाटों और गरीब बहुजन समाज पर जरूर पडेगा। दिनांक 9-10-2016 को पंजाब केसरी हिन्दी दैनिक के पानीपत संस्करण में पञकार रविश कुमार का छोटा सा लेख छपा है, जिसका शीर्षक है “ इस दीवाली चीन का माल जरूर खरीदें “ :-
लेख इस प्रकार है - रेहडी पटरी पर बैठकर सस्ता माल बेचने वालों ध्यान से सुनो। मुझे पता है आपके पास खबरों का कूडेदान यानी अखबार पढने और चैनल देखने का वक्त नही है। जिनके पास फेसबुक और टिवटर पर उल्टियां करने का वक्त है वे आपके माल की जात पता करना चाहते है। जोर शोर से अभियान चला रहे है कि इस दीवाली चीन का माल नही खरीदेगें। पाकिस्तान के साथी चीन को सबक सिखाने के लिए इन लोगों ने आपके पेट पर लात मारने की योजना बनाई है। थोक बाजार से अपना माल खरीद कर आप अपने अपने जिले और कस्बों की और निकल चुके होगे। चीन का माल आपकी गठरी में आ गया होगा कि इस दीवाली कुछ कमाकर बच्चों के नए कपड़े बनवाएगें। बच्चों की फीस भरेगें। फर्जी राष्ट्रवादीयों की नजर आपकी कमाई खत्म करने पर है। ये लोग नुक्कड पर बैठी उस महिला की कमाई पर नजर गडाए बैठे है, जो हजार दो हजार की फुलझडियां बेचकर अपने नाती पोतो के लिए कुछ कमाना
p.91 - 94
[p.91]: चाहती है। चीन का माल नही खरीदना है तो इन्हे भारत सरकार से आयात पर प्रतिबंध लगा दे। भारत में काम कर रही चीनी कम्पनीयों को भगा दे। कारोबारियों का गला पकडे कि वे चीन का माल ना लाए। अरबो रूपये उनके भी दाव पर लग गए है मगर वे तो छोटे दुकानदार को बेचकर निकल चुके है। फिर जो माल बचा है उसे मंडी में जलाकर दिखा सकते है कि वे राष्ट्रवाद के आगे पैसे की परवाह नही करते। क्या ऐसा होगा? कभी नही होगा। लेकिन मोहल्ले में जो आपने पुलिस को कुछ लेदेकर पटरियां लगाई है कि इस दीवाली कुछ कमाएगे उन पर इन लोगो की नजर है। चीन के खिलाफ अभियान ही चलाना है तो यह भी चले कि किस किस कंपनी का निवेश चीन में है। पूरी लिस्ट आए कि इनका माल नही खरीदेगें और खरीद लिया है तो उसे कूडेदान में फैक देगे।“
जाटों को इस चीन विरोधी मुहिम का नुकसान यह होगा कि पढे़ लिखे जाटों के युवक जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करना चाहते है वे जाने अनजाने सोशल मीडिया पर अपनी फेसबुक ट्वीटर प्रोफाईल पर चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने संबधी विचार लिखेगें, तो आजकल रिक्रुटमेंट (नौकरी देने) का ट्रैण्ड यह है कि कंपनियां किसी भी आदमी को नौकरी पर रखने से पहले, उस व्यक्ति को बिना बताएं उसकी सोशल मीडिया की प्रोफाईल को स्टडी करती है। इसके लिए कंपनियो ने अपने हयूमन रिसोर्स (HR) डिपार्टमेंट को विशेष निर्देश दिए हुए होते है।
चीन विश्व की एक महान उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। आप इसका अन्दाजा इसी बात से लगा सकते है कि दुनिया का आबादी के लिहाज से दूसरे नंबर का देश भारत चीन से जितना आयात करता है वह चीन के पूरे दुनिया को होने वाले निर्यात का केवल माञ तीन फीसदी ही है। और चीन ने यह सब अपनी मेहनत से अर्जित किया है।
[p.92]: 1990 के दशक में प्रति व्यक्ति आय मामले में भारत और चीन एक ही जगह पर खडे थे और दोनो देशों में उदारीकरण की प्रक्रिया भी लगभग एक ही समय शुरू हुई थी। 1993 में विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 0.6 % थी जबकि चीन की हिस्सेदारी 2.1 फीसदी। वर्ष 2015 में भारत ने 1.7 फीसदी के आकड़े को छूआ जबकि चीन की हिस्सेदारी बढ़कर 14.2 फीसदी हो गई। (संदर्भ:- शंकर अय्यर, वरिष्ठ पत्रकार 18अक्टूबर 2016, अमर उजाला, रोहतक हरियाणा) । चीन ने यह तरक्की इसलिए की क्योंकि चीन ने वह किया जो जरूरी था जबकि भारत में बसे ब्राह्मण-बनिया-अरोडा-खत्री ने देश को अपनी जातिवादी मानसिकता के कारण गन्दी राजनीति में उलझा दिया। इसलिए दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई चीनी कंपनियों का जाटों को विरोध नही करना चाहिए, वरन् मन बनाकर इन चीनी कंपनियों में एडजस्ट होने का प्रयास करना चाहिए। याद रहे, अगर जाट इस तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में पीछे छूट गए तो ऐसी अंधेरी खाई में गिर जाएगें, जहां से बाहर निकलने का कोई उपाय नही होगा।
ब्राह्मण बनिया यही चाहते है कि जाट फर्जी देशभक्ति के नारों के बहकावे में आकर non issues को issue मानकर अपनी उर्जा व्यर्थ करते रहें और इस बीच इन शहरियों के लड़के विदेशी कंपनियों में स्थापित होने के one-point Agenda के साथ आगे बढ़ते रहे। सर छोटूराम के समय में भी ये ब्राह्मण-बनिया-अरोडा-खत्री जाटों को देशभक्ति का पाठ पढाकर बरगलाया करते थे कि अग्रेंजी हुकूमत में सरकारी नौकरी गुलामी की निशानी है जिसे करना क्षञियों को शोभा नही देता; जबकि खुद ये बैकडोर से अंग्रेजी सरकार में सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए ऐसे ऐसे चाटुकारिता के गन्दे काम किया करते थे कि सर
[p.93]: छोटूराम ने अपने अखबार 'जाट गजट' में लिखा था कि उन कामों को बताना भी शोभा नही देता। दुख की बात यह है कि मुर्ख लोगों का जमावड़ा बन चुकी खाप पंचायतें भी चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर रही है और दर्शाना चाहती है कि वे भी ब्राह्मण बनियों से ज्यादा देशभक्त है। सांगवान खाप ने तथा कुछ और खापों ने चीनी माल नही खरीदने का प्रस्ताव पारित किया है। इन खाप चौधरियों के चक्कर में न पड़कर जाट नौजवानों को अपने भविष्य की फिक्र खुद करनी पड़ेगी, तभी काम चलेगा। मै चीन के उद्योग चैंबर और चीनी औद्यौगिक संगठनों से भी इस लेख के माध्यम से अपील करता हू कि वे अपनी कंपनियों में भारत की दलित पिछडी जातियों, अल्पसख्यकों और जाटों के लिए 85 प्रतिशत आरक्षण लागू करें, क्योंकि ब्राह्मण-बनिया-अरोडा-खञी को अपनी कंपनी में रखने का कोई फायदा नही है, ये जिस थाली में खाते है उसी में छेद करते है। मै चीनी कंपनियों को विश्वास दिलाता हू कि अगर आप ऐसी शुरूआत करते है, तो आपको नुकसान नही होगा, क्योंकि इस देश के बहुजन मूलनिवासी समाज के खून में गद्दारी नही है। अगर आप ऐसा करते है तो हम आपको विश्वास दिलाते है कि फिर, हम आपका सामान भी ज्यादा खरीदेगे। अभी आप FMCG(Fast Moving consumer foods) की मार्किट में भारत में अपना स्पेस नही बना पाए है जिसमें बाबा रामदेव अपनी कंपनी पतंजलि को स्थापित करने में कामयाब हुआ है और Hindustan Unilever जैसी पुरानी कंपनियों का टक्कर दे रहा है। अगर आप हमारे लोगों पर ध्यान देगें तो हम बाबा रामदेव का नही आपका सामान खरीदेगे, लेकिन आप शुरूआत कीजिए।
[p.94]: इसे आप इसलिए भी कीजिए, क्योंकि जाटों का और आपका धर्म का भी रिश्ता है। समस्त जाट जाति प्रच्छन्न बौध्द है और आपका देश भी महात्मा बुध्द के कल्याणकारी सिध्दान्तों में विश्वास करता है।
दलित समाज में तो डा० बाबासाहब अंबेडकर ने अमानवीय ब्राह्मणवादी हिन्दू धर्म छोडकर और मूल बौध्द धम्म अपनाकर दुनिया को राह दिखाई ही है। जबकि दूसरी और ब्राह्मण-बनिया-अरोड़ा-खत्री बौध्द धम्म के हत्यारे है, इन्ही की वजह से भारत में बुध्द धम्म खत्म हुआ है।