Jayas
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Jayas (जायस) or Jais is a city in Amethi district (formerly in Raebareli district) in the Indian state of Uttar Pradesh.
Variants
- Jais
- Ujalikanagara (उजालिक नगर) = Jayasa (जायस) (AS, p.87)
- Jayasa जायस (जिला रायबरेली, उ.प्र.) (AS, p.363)
- Ujalikapura (उजालिकपुर) (AS, p.363)
Location
Jais is located at 26.25°N 81.53°E. It has an average elevation of 101 metres (331 feet).
Origin
Jat clans
History
H.A. Rose[1] writes....Jaiswara (जैसवारा), a Purbia caste. In the United Provinces a Jaiswara, section is found in many castes, such as the Chamar, Dhanak, Kalal, Kurmi, Teli, Bania and Rajput. The name is supposed to be derived from the town of Jais in Oudh. The Jaiswara of the Punjab cantonments is probably a Chamar, and many of them are grooms or grass-cutters, though a few take service as bearers.
जायस
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...जायस (AS, p.363) रायबरेली ज़िला (अब अमेठी), उत्तर प्रदेश में जायस स्टेशन के पास एक प्राचीन क़स्बा है। यह क़स्बा हिन्दी के कवि मलिक मुहम्मद जायसी से संबंध के कारण प्रसिद्ध है। मलिक मुहम्म्द जायसी ने यहीं पर अपना सुप्रसिद्ध ग्रंथ 'पद्मावत' लिखा था। जायस में रहने के कारण ही ये 'जायसी' कहलाए थे। 'पद्मावत' के 23वें दोहे की प्रथम चौपाई में कवि ने स्वयं ही कहा है- 'जायस नगर धरम-असथानू, तहां आय कवि कीन्ह बखानू'
इससे ज्ञात होता है कि जायस उस समय संभवत: मुस्लिमों के लिए पवित्र स्थान माना जाता था और जायसी यहाँ किसी और स्थान से आकर बसे थे तथा 'पद्मावत' की रचना भी उन्होंने यहीं की थी। 'पद्मावत' में उसका रचना काल 927 हिजरी अर्थात् 1527 ई. दिया गया है। उजालिकपुर, जायस का दूसरा और संभवत: अधिक प्राचीन नाम है।
सिंहल
सिंहल (AS, p.963): विजयेन्द्र कुमार माथुर [3] ने लेख किया है ...1. आधुनिक श्रीलंका का ही प्राचीन बौद्धकालीन नाम. सिंहल के पाली में लिखे प्राचीन बौद्ध ग्रंथ महावंश में उल्लिखित जनश्रुतियों के अनुसार लंका के प्रथम भारतीय नरेश की उत्पत्ति सिंह से होने के कारण इस देश को सिंहल कहा जाता था। सिंहल के बौद्धकालीन इतिहास का विस्तार से वर्णन महवंश में है. इस ग्रंथ में वर्णित है कि मौर्य सम्राट् अशोक के पुत्र महेंद्र और संघमित्रा ने सिंहद्वीप पहुँचकर [p.964]: वहाँ प्रथम बार बौद्ध मत का प्रचार किया था.
गुप्तकाल में समुद्रगुप्त के साम्राज्य की सीमा सिंहल द्वीप तक मानी जाती थी. हरिषेण रचित समुद्रगुप्त की प्रयागप्रशस्ति में सैंहलकों का गुप्त सम्राट् के लिए भेंट उपहार आदि लेकर उपस्थित होने का वर्णन आया है--'देवपुत्रषाहीषाहनुषाहि-शकमुरुंडै:सैंहलकादिभिश्च'. बौद्धगया से प्राप्त एक अभिलेख से यह भी सूचित होता है कि समुद्रगुप्त के शासनकाल में सिंहल नरेश मेघवर्णन द्वारा इस पुण्यस्थान पर एक विहार बनवाया था.
मध्यकाल की अनेक लोक कथाओं में सिंहल का उल्लेख है. जायसी रचित पद्मावत में सिंहल की राजकुमारी पद्मावती की प्रसिद्ध कहानी वर्णित है. लोककथाओं में सिंहल देश को धनधान्यपूर्ण रत्नप्रसविनी भूमि माना गया है जहां की सुंदरी राजकुमारी से विवाह करने के लिए भारत के अनेक नरेश इच्छुक रहते थे. सिलोन सिंहल का ही अंग्रेजी रूपांतर है. लंका के अतिरिक्त सिंहल के पारसमुद्र, ताम्रद्वीप, ताम्रपर्णी तथा धर्मद्वीप आदि नाम भी बौद्ध साहित्य में प्राप्त होते हैं.
2. कलिंग का एक नगर जिसका वर्णन महावस्तु में है. (दे. कलिंग)
Notable persons
- Malik Mohammad Jayasi - A famous Jais poet is Malik Mohammad Jayasi, who wrote Padmavat and Akhravat. In Padmavat Jayasi expresses his deep reverence to Chishti Sufi Master Syed Ashraf Jahangir Semnani and his descendants.[4] "Jayasi Samarak" has been constructed in his memory.
External links
References
- ↑ A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/J,p.349
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.363
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.963-964
- ↑ Love's subtle magic: An Indian Islamic Literary Tradition, 1379-1545; Oxford University Press 2012 by Aditya Behl