Kala Ram Dhatarwal

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Kala Ram Dhatarwal

Kala Ram Dhatarwal was a devotee of Gogaji. He was from Khattoo village in Pachpadra Tahsil of Barmer district in Rajasthan. He was born in VS 1832 (1775 AD) in the family of Ch. Maga Ram Dhatarwal and his wife Smt Madu Devi (Bhakar) of Khetasar in Barmer district of Rajasthan. His Chhatri was founded 21.02.2024 in the village.

कलारामजी धतरवाल का जीवन परिचय

राजस्थान की वीर भुमि में अनेक महापुरुषों, सन्तों, शुरमाओ , भक्तों ने समय-समय पर यहां की पावन धन्य धरा पर जन्म लेकर अपने सद्कर्मों से यहां की माटी को गौरवान्वित किया। उन्हीं में एक महान गोगाजी सेवक कलारामजी थे। जिन्होंने अपने जीवन काल में ऐसे कार्य किए जिसके कारण वे जनमानस में लोकप्रिय हो गए ।

ऐसे महान भक्त पुरुष,लोक जीवन के नायक, आस्था के प्रतीक, कलजी धतरवाल का जन्म बाड़मेर जिले के खटटु गांव में विक्रम संवत 1832 के आस-पास चौधरी मगाराम जी धतरवाल के घर हुआ। मां का नाम माडुदेवी भाकर ननिहाल खेतासर

कलजी धतरवाल जब 12 साल के हुए। तभी से गोगाजी महाराज की सेवा में लग गए। कई साल बीत जाने के बाद गोगाजी महाराज ने कलजी को मिणधारी रुप में दर्शन दिए और कहा सेवक तेरी भक्ति से मैं प्रसन्न हु जा तु ढीकाई दरबार के दर्शन कर, द्वार तेरे हाथो से खुलवाऊगा।

विक्रम संवत 1855 के लगभग कलजी सुबह उठ कर गोगाजी महाराज की जोत कर अपने साथ छोटा ऊंट का बच्छडा लेकर ढिकाई की तरफ रवाना हुए। रास्ते में कलजी को गोगाजी महाराज की छाया आई और चलते चलते ऊंट के बच्छडे के पैर उखड़ गए । रास्ते में कोई अनजान व्यक्ति आया और ऊंट के बच्छडे को अपने साथ ले गया। कलजी वहां से आगे निकल गए और कलजी ढिकाई पहुंचे तो मन्दिर के द्वार बन्द थे। तो कलजी ने पुजारी जी से कहा मन्दिर के दवार खोलो दर्शन करने है ।

{ पुजारी जी ने पुछा - किया देश रा कहिजो मानवी किया देश सु आया } {कलजी का जवाब - धोराधरती देश मालाणी कहीजे,गांव खटटु सु आया } {फिर पुजारी ने पुछा - काई थारो नाम कहिजे, किया देव ने धाया} {कलजी का जवाब - कलो जाट म्हारो नाम कहिजे,धर्मी राजा ने धाया}

जवाब सुन पुजारी जी ने दर्शन करने के लिए मना कर दिया ।और कहा तु सच्चा सेवक हैं तो परीक्षा लेके देखेगे पुजारियों ने ताजणे उठाए और बोले इस ताजणो से तुझे पिटा जाएगा ताजणो की मार झेल पाया तो ही तुझे दर्शन करवाएगे । कलजी ने कहा दर्शन के लिए मंजूर है। तभी पुजारियों ने ताजणे उठाए और जैसे ही कलजी की और बढे तो ताजणो के नाग बन गए और पुजारी ज्यो के त्यो ही रहे ? तब कलजी ने गोगाजी महाराज को याद कर परिक्रमा चालु की और तीन परिक्रमा लगने पर मन्दिर के द्वार अपने आप खुल गए चौथी परिक्रमा देने के बाद कलजी ने मन्दिर की और देखा तो अन्दर साक्षात गोंगाजी महाराज खड़े थे कलजी ने प्रणाम किया तब गोगाजी महाराज ने कहा सेवक वरदान माग। तब कलजी ने कहा आपकी इच्छा । गोगाजी महाराज ने कहा कलजी आप पांच भाई हो और तेरी पांचवीं पीढ़ी में पांच भाई होगे तभी से तेरी चमत्कारी देव के रूप में पुजा चालु होगी । बाद में गोंगाजी महाराज अन्तर्ध्यान हो गए । फिर वहां मौजूद लोगों से वार्तालाप शुरु हुई। मौजुद लोगों ने कहा आप हम कृपा करें व आपकी इस कला को समेटे, तभी कलजी ने कहा मैं आप जैसा आप मेरे जैसे यह कळा मेरी नहीं है। यह कला कंवरजी की है मैं और आप सभी कंवरजी के चरणों में पड़े तभी इस कला का समाधान होगा। सभी ने मिलकर कंवरजी महाराज को याद किया और माफी मांगी कंवरजी महाराज ने पुजारी जी को माफ किया ?

तभी कलजी ने कहा मालाणी से आने वाले भक्तों के लिए मन्दिर खुला रखें । बाद में कलजी घर आ गये।

आज कलारामजी पुजनीय है।

कलाराम जी धतरवाल की छतरी की स्थापना

विक्रम संवत 2080 री साल माघ सुदी बारस ने बुधवार, दिनांक - 21.02.2024 को कलाराम जी धतरवाल की छतरी की स्थापना की.

स्रोत: जोगा राम सारण

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