Kumbakonam
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Kumbakonam (कुंभकोणम्) is a town in the Thanjavur district of Tamilnadu.
Variants
- Kamakoshnapuri (कामकोष्णपुरी) (AS, p.167)
- Kumbhakonam (कुंभकोणम्) (मद्रास) (AS, p.198)
- Kumbhaghona (कुम्भघोण) (AS, p.198)
- Bhaskarakshetra (भास्कर क्षेत्र) = Bhaskarapuram भास्करपुरम, दे. Karura करूर (p.667)
Location
It is located 40 km from Thanjavur and 273 km from Chennai. Kumbakonam is known as a "temple town" due to the prevalence of a number of temples here and is noted for its Mahamaham festival which attracts people from all over the country. It is the third largest city in Central Tamil Nadu region next to Tiruchirappalli and Thanjavur.
Origin
The name "Kumbakonam", roughly translated in English as the "Pot's Corner",[1] is believed to be an allusion to the mythical pot (kumbha) of the Hindu god Brahma that contained the seed of all living beings on earth. The kumbha is believed to have been displaced by a pralaya (dissolution of the universe) and ultimately came to rest at the spot where the town of Kumbakonam now stands. This event is now commemorated in the Mahamaham festival held every 12 years. Kumbakonam is also known as Baskarashetram[2] and Kumbham[3] from time immemorial and as Kudanthai in ancient times.[4] Kumbakonam is also spelt as Coombaconum in the records of British India.[5] Kumbakonam was also formerly known by the Tamil name of Kudamukku.[6] Kumbakonam is also identified with the Sangam age settlement of Kudavayil.[7]
History
Kumbakonam dates back to the Sangam period and was ruled by the Early Cholas, Pallavas, Medieval Cholas, Later Cholas, Pandyas, the Vijayanagar Empire, Madurai Nayaks, Thanjavur Nayaks and the Thanjavur Marathas. It rose to be a prominent city between the 7th and 9th centuries AD, when it served as a capital of the Medieval Cholas. The town reached the zenith of its prosperity during the British Raj when it was a prominent centre of European education and Hindu culture; and it acquired the cultural name, the "Cambridge of South India".
कामकोष्णपुरी
विजयेन्द्र कुमार माथुर[8] ने लेख किया है ...कामकोष्णपुरी (AS, p.167) पुराणों में प्रसिद्ध कामकोष्णपुरी वर्तमान कुंभकोणम् (मद्रास) है. यह नगरी कावेरी के तट पर बसी हुई है और कुंभेश्वर, शार्गापाणि और रामास्वामी के मंदिर, जिनमें श्री राम की विविध लीलाएं भित्ति चित्र में आलेखित हैं, के लिए प्रख्यात है. (देखें कुंभकोणम्)
कुम्भकोणम्
विजयेन्द्र कुमार माथुर[9] ने लेख किया है ...कुम्भकोणम् (AS, p.198) तमिलनाडु प्रदेश में कावेरी नदी के तट पर मायावरम् से 20 मील (लगभग 32 कि.मी.) की दूरी पर स्थित एक प्राचीन नगर है। कुम्भकोणम् का संस्कृत में शुद्ध नाम 'कुम्भघोण' है। इसके विषय में एक किंवदंती है --'कुंभस्य घोणतो यास्मिन सुधापुरं विनिस्सृतम्, तस्मात्तुतत्प्रदं लोके कुम्भघोणं वदंति ह'. यह स्थान कावेरी नदी के निकट है और द्रविड़ शैली में निर्मित 17वीं शती के मंदिर के लिए उल्लेखनीय है. यहाँ का पुण्यस्थल महामाध्य-सरोवर है.
कुम्भकोणम् परिचय
प्राचीन समय में यह नगर शिक्षा का महान् केन्द्र हुआ करता था। यह स्थान दक्षिण भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ पर कुम्भ मेले का आयोजन भी होता है।
मान्यता: कुम्भकोणम को संस्कृत में 'कुम्भघोणम' कहा जाता है। दक्षिण भारत की इस पावन भूमि पर प्रत्येक बारह वर्ष के पश्चात् कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है। एक मान्यता के अनुसार यह माना जाता है की ब्रह्मा ने अमृत से भरे कुम्भ को इसी स्थल पर रखा था। इस अमृत कुम्भ से कुछ बूंदे बाहर छलक कर गिर गई थीं, जिस कारण यहाँ की भूमि पवित्र हो गई। इसलिए इस स्थान को कुम्भकोणम के नाम से जाना जाता है।
प्रसिद्ध तीर्थ: तमिलनाडु के इस प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के समीप अनेक मंदिरों को देखा जा सकता है। यहाँ पर सौ से भी ज़्यादा मंदिर स्थापित हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मंदिर, जैसे की नदी के तट पर ही महाकालेश्वर तथा अन्य कई देव मंदिर हैं, जिसमें सुन्दरेश्वर शिवलिंग तथा मीनाक्षी जो माँ पार्वती हैं, की सुन्दर प्रतिमाएँ स्थापित हैं। इसके समीप ही महामाया का मंदिर है। लोगों की विचारधार अनुसार महामाया के मंदिर में स्थापित मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी।
मुख्य दर्शनीय स्थल: महाधरम सरोवर में कुम्भेश्वर मंदिर के पास ही नागेश्वर मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में भगवान शंकर लिंग रूप में प्रतिष्ठित हैं। यहाँ के परिक्रमा मार्ग में अन्य मूर्तियाँ भी हैं, जो सभी को आकर्षित करती हैं। यहाँ सूर्य भगवान का मंदिर भी स्थापित है। किंवदंती है की भगवान सूर्य ने यहाँ भगवान शिव की आराधना की थी, जिसका एक चमत्कारी पहलू देखने को मिलता है, जिसमें नागेश्वर लिंग पर वर्ष के एक दिन सूर्य की किरणें पड़ती हुई देखी जा सकती हैं। यहाँ के दर्शनीय स्थलों में प्रमुख हैं- 1. महाधरम सरोवर, 2. कुम्भेश्वर मन्दिर, 3. रामस्वामी मन्दिर, 4. शांगपाणि मन्दिर, 5. वेदनारायण मन्दिर
कुम्भकोणम में इन मन्दिरों के अलावा कालहर्सीश्वर, बाणेश्वर, गौतमेश्वर, सोमेश्वर आदि मन्दिर भी स्थापित हैं। सड़क मार्ग द्वारा कुम्भकोणम दक्षिण भारत के सभी नगरों से जुड़ा हुआ है।
संदर्भ: भारतकोशकुम्भकोणम
External links
References
- ↑ Herbermann, Charles George; Edward Aloysius Pace; Condé Bénoist Pallen; Thomas Joseph Shahan; John Joseph Wynne (1934). The Catholic encyclopedia: an international work of reference on the constitution, doctrine, discipline, and history of the Catholic church, Volume 8. The Catholic Encyclopedia Inc. p. 710.
- ↑ Sastri, Sambamurthy S. (1991). Paramacharya: life of Sri Chandrasekharendra Saraswathi of Sri Kanchi Kamakoti Peetam. Jina kalan. p. 73.
- ↑ Gnanasundaram (12 April 2005). "History of Kumbakonam". The Hindu.
- ↑ The Indian advertising year book. Our India Directories and Publications. 1962. p. 169.
- ↑ N., Raghunathan (1970). Sotto voce: a social and political commentary, Volume 2. B. G. Paul. p. 146.
- ↑ Ayyar, Jagadisa P. V. (1920). South Indian shrines: illustrated. Madras Times Printing and Pub. Co. p. 320
- ↑ Pillai, Sivaraja K.N. The Chronology of the Early Tamils – Based on the Synchronistic Tables of Their Kings, Chieftains and Poets Appearing in the Sangam Literature. p. 88.
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.167
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.198