Karapya

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Karapya (कराप्या) Karapaya (कारापाया) Gotra Jats live in Tonk district in Rajasthan.

Origin

History

जाटों का विदेशों में जाना

ठाकुर देशराज[1] ने लिखा है .... उत्तरोत्तर संख्या वृद्धि के साथ ही वंश (कुल) वृद्धि भी होती गई और प्राचीन जातियां मे से एक-एक के सैंकड़ों वंश हो गए। साम्राज्य की लपेट से बचने के लिए कृष्ण ने इनके सामने भी यही प्रस्ताव रखा कि कुल राज्यों की बजाए ज्ञाति राज्य कायम का डालो। ....द्वारिका के जाट-राष्ट्र पर हम दो विपत्तियों का आक्रमण एक साथ देख कर प्रभास क्षेत्र में यादवों का आपसी महायुद्ध और द्वारिका का जल में डूब जाना। अतः स्वभावतः शेष बचे जाटों को दूसरी जगह तलाश करने के लिए बढ़ना पड़ा। .... बाल्हीकों ने अफगानिस्तान में बलख नाम से पुकारे जाने वाले नगर को अपनी राजधानी बनाया था। एक समूह ईरान में भी इनका बढ़ गया था जो आजकल आजकल बलिक कबीले के नाम से मशहूर है। याद रहे कबीला जत्थे और वंश को कहते हैं। यह बलिक आजकल मुसलमान हैं और सिदव प्रांत में रहते हैं। अच्छे घुड़सवार समझे जाते हैं। काश्यप गोत्री जाटों का एक जत्था इन्हीं बलिकों के पड़ोस में रहता है जो आजकल कास्पी कहलाता है। ईरान के सोलहुज जिले में कारापाया एक कबिला है। यह कारपश्व लोगों में से हैं। ये कारपश्व जाट मथुरा जिले से उठकर गए थे जहांकि उनकी राजधानी आजकल के कारब में रही थी। अफगानिस्तान में हमें महावन नामक परगना भी मिलता है। इसका नामकरण मालूम होता है इन्हीं कारपश्व लोगों ने किया होगा। फिर बिचारे वहां से भी सोलहुज जिला (ईरान) में चले गए होंगे। कारपाया लोग बड़े अच्छे घुड़सवार गिने जाते हैं। कहा जाता है कि आरंभ में यह इस जिले में केवल 800 कुटुंब लेकर आबाद हुए थे। आजकल भी यह इस सोलहुज जिले के अधिकारी हैं और मुसलमान धर्म का पालन करते हैं।

Distribution in Rajasthan

Villages in Tonk district

Karapya (कराप्या) Jats live in: Hindola (1),

Notable Persons

See also

External Links

References


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