Khanwa
Author:Laxman Burdak, IFS (Retd.) |
Khanwa (खानवा) is a village in tehsil Rupbas of District Bharatpur in Rajasthan. Khanwa is about 60 km west of the city of Agra in India. It was the scene of a famous battle in the history of north India, and a 16 kms from Fatehpur Sikri.[1]
Variants
- Kanava (कनवा) = Khanava (खानवा) (AS, p.130)
- Khanwa (खानवा)
- Khanuwa/Khanua (खानुवा)
- Khanuwan (खानुवां)
- Khanuan (खानुवां)
- Kanawa/Kanwa (कनवा)
Location
It is located 23 KM towards South from District head quarters Bharatpur and 7 KM from Rupbas in north. Khanwa PIN Code: 321420.
Jat Gotras
History
The Battle of Khanua was fought on March 16, (1527), between Babur, founder of the Mughal empire in India on the one hand and a combined Rajput army led by Rana Sanga, ruler of Mewar, on the other. It was the second of the series of three major battles, victories in which gave Babur overlordship over north India. The First Battle of Panipat was the first of the series, the Battle of Ghaghra was the last.[2][3]
खानवा
विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...खानवा (AS, p.130) राजस्थान में भरतपुर से 13 मील दक्षिण तथा फतेहपुर सीकरी से 1 मील दूर वह प्रसिद्ध युद्ध-स्थली है जहाँ 1527 ई. में मेवाड़ के महाराणा संग्रामसिंह से बाबर का युद्ध हुआ था तथा जिसमें राजपूतों की हार हुई थी. राजपूतों की हार का एक कारण पवार राजपूतों की सेना का ठीक युद्ध के समय महाराणा को छोड़कर बाबर से जा मिलना था। इस युद्ध के पश्चात् बाबर के क़दम भारत में पूरी तरह से जम गए, जिससे भावी महान् मुग़ल साम्राज्य की नींव पड़ी। 'कनवा' के युद्ध के पूर्व बाबर ने अपने घबराये हुये सैनिकों को प्रोत्साहन देने के लिए एक जोशीला भाषण दिया था जो इतिहास में प्रसिद्ध है. कनवा की रण-स्थली फतेहपुर-सीकरी के भवनों से दूर पर दिखाई देती है.
खानवा का युद्ध
खानवा राजस्थान में भरतपुर के निकट एक ग्राम है, जो फतेहपुर सीकरी से 10 मील (लगभग 16 कि.मी.) उत्तर-पश्चिम में स्थित है। 'भारतीय इतिहास' में प्रसिद्ध 'खानवा का युद्ध' मेवाड़ के राणा साँगा और बाबर के मध्य इसी स्थान पर शनिवार, 17 मार्च, 1527 ई. को हुआ था। 'खानवा का युद्ध' जो कोई दस घंटे चला, अविस्मरणीय युद्धों में से एक है। यद्यपि राजपूत वीरता से लड़े, किंतु विजयश्री बाबर को हासिल हुई। शायद ही कोई दूसरा ऐसा घमासान युद्ध हुआ हो, जिसका निर्णय अंतिम घड़ी तक तुला में लटका रहा। पानीपत युद्ध का कार्य खानवा के युद्ध ने पूरा किया। बाबर द्वारा राणा साँगा पर विजय प्राप्ति ने बाबर एवं उसके सैनिकों की चिंता समाप्त कर दी और वे अब भारत विजय के सपने को साकार कर सकते थे। खानवा की विजय ने मुग़ल साम्राज्यवाद के बीजारोपण के मार्ग से बहुत बड़ी बाधा हटा दी थी। राजपूतों की हार का एक कारण पवार राजपूतों की सेना का ठीक युद्ध के समय महाराणा को छोड़कर बाबर से जा मिलना था। इस युद्ध के पश्चात् बाबर के क़दम भारत में पूरी तरह से जम गए, जिससे भावी महान् मुग़ल साम्राज्य की नींव पड़ी। खानवा को 'कनवा' नाम से भी जाना जाता है।[5]
Population
Notable persons
External links
References
- ↑ Smith, Vincent Arthur (1917). Akbar the Great Mogul, 1542-1605. Oxford at The Clarendon Press.p.12
- ↑ Smith, Vincent Arthur (1917). Akbar the Great Mogul, 1542-1605. Oxford at The Clarendon Press.p.12
- ↑ Havell, E. B. (1904). A handbook to Agra and the Taj, Sikandra, Fatehpur-Sikri and the neighbourhood (1904). Longmans, Greens & Co., London.p.11
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.130-131
- ↑ भारतकोश-खानवा
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