Khazan Singh Dalal

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Hon Capt Khazan Singh Dalal

Khazan Singh Dalal (Subedar) (born:15.12.1926-) (Veer Chakra) displayed gallantry in 1965 Indo-Pak war and retired from army as a Honorary Capt. He was from village Mandothi in Bahadurgarh tehsil of Jhajjar district of Haryana. He retired as Honourary Captain

Unit: 3 Jat Regiment.

सूबेदार खजान सिंह दलालका परिचय

सूबेदार खजान सिंह दलाल

यूनिट - 3 जाट रेजिमेंट (डोगराई पलटन)

डोगराई की पहली लड़ाई

ऑपरेशन रिडिल

भारत-पाक युद्ध 1965

सूबेदार खजान सिंह का जन्म 15 दिसंबर 1926 को अविभाजित पंजाब के रोहतक (अब झज्जर) जिले के मांडोठी गांव में चौधरी तुलसीराम दलाल के घर में हुआ था। यह गांव अब झज्जर जिले में है। गांव के हाई स्कूल से मैट्रिक पास करने के बाद खजान सिंह भारतीय सेना की 3 जाट रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। इसी बटालियन में उनके पिता और दादा ने गौरवमयी सेवा की थी।

5 और 6 सितंबर 1965 की मध्यरात्रि में डोगराई पर पहले हमले के समय सूबेदार खजान सिंह 3 जाट की B कंपनी की कमान संभाल रहे थे। जब कंपनी लक्ष्य के निकट पहुंची, तो वह पेड़ों के एक झुंड से आ रहे भारी मशीनगन फायर की चपेट में आ गई। भीषण गोलाबारी में सूबेदार खजान सिंह के सिर पर सीधी एक गोली लगी, जो उनके हेलमेट से टकरा कर छिटक गई, पर उससे गहरा घाव हो गया तथा वह कुछ समय के लिए अचेत हो गए। इस चोट से भले ही सूबेदार खजान सिंह अंदर तक हिल गए थे पर जैसे ही चेतना लौटी उन्होंने देखा कि एक दुश्मन मशीनगन कंपनी के लिए बाधा उत्पन्न कर रही है।

अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की पूर्ण अवहेलना करते हुए, वह अपनी बंदूक के साथ आगे बढ़े और मशीनगन गनर को मार कर उस मशीनगन को शांत कर दिया। इस मुठभेड़ में उनका दुश्मन के कंपनी कमांडर से सामना होने पर उसे भी मार गिराया। जब भीषण लड़ाई चल रही थी, तब नहर पुल क्षेत्र के दक्षिण की ओर से उनकी कंपनी को भारी गोलाबारी का सामना करना पड़ा। इससे विचलित हुए बिना सूबेदार खजान सिंह ने व्यक्तिगत रूप से दूसरे हमले का नेतृत्व किया। इस बार आमने-सामने की लड़ाई में सूबेदार खजान सिंह गंभीर रूप से घायल हुए व गिर गए, परंतु जल्दी ही वापस उठे तथा हमले से जुड़ गए। लगभग आधे घंटे की भयंकर लड़ाई के उपरांत एक एक खंदक से दुश्मन को खींच लिया गया। इस लड़ाई में 35 दुश्मन सैनिक मारे गए तथा B कंपनी ने न्यूनतम हताहतों के साथ सफलतापूर्वक लक्ष्य पर कब्जा कर लिया।

सूबेदार खजान सिंह को उनके प्रेरक नेतृत्व, अदम्य साहस और उच्च कोटि की वीरता के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

सूबेदार खजान सिंह ऑनरेरी कैप्टन के पद से सेना से रिटायर हुए।

सूबेदार खजान सिंह दलाल के शौर्य को देश युगों युगों तक याद रखेगा।

शहीद को सम्मान

सूबेदार खजान सिंह को उनके प्रेरक नेतृत्व, अदम्य साहस और उच्च कोटि की वीरता के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

स्रोत

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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