Khet Ram Jayhotra
Author:Laxman Burdak, IFS (R), Jaipur |
Khet Ram Jayhotra (चौधरी खेतराम जयहोत्रा), from village Narhad, was a leading Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan. [1]
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....चौधरी खेतराम - [पृ.410]: शेखावाटी में नरहड़ नवाबी शासन में एक प्रसिद्ध कस्बा रहा है। उसी नरहड़ में संवत 1958 (1901 ई.) को चौधरी रामदयाल जी गोत्र जयहोत्रा के यहां आपका जन्म हुआ। बाल्यकाल में साधारण सी शिक्षा आपने प्राप्त की।
जब आप 20 वर्ष के थे सन् 1919 में फौज में भर्ती हो गए। चीन की राजधानी हांगकांग की रक्षा के लिए जो फौजी टुकड़ियां भारत से चीन गई थी वहाँ सन् 1925 में आप हवलदार हो गए। हांगकांग में आप सन 1922 से 1925 तक 3 साल 2 माह तक रहे।
सन् 1928 के मई महीने में मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर आप डिस्चार्ज हो गए। आप स्वाभिमानी सदैव से हैं। कमांडिंग के अनुचित व्यवहार के कारण उसके साथ आप का झगड़ा हो गया। इसलिए पेंशन के आपके हक जप्त कर लिए गए।
सन् 1925 में जिन दिनों पुष्कर में ऑल इंडिया जाट महासभा का जलसा हो रहा था उन्हीं दिनों आपकी फौज नसीराबाद में आ चुकी थी। आप जलसे में शरीक हुए। तभी से ही कौमी सेवा की भावनाएं आपके अंदर जाग उठी।
सन् 1931 से आपने कुंवर पन्ने सिंह के साथ जातीय सेवा का काम आरंभ कर दिया। तबसे बराबर जाट बोर्डिंग हाउस झुंझुनू, सीकर महयज्ञ और शेखावाटी किसान पंचायत में काम करते रहे।
प्रजामंडल में सन 1939 से काम कर रहे हैं। आप चार भाई हैं: बड़े पातीराम जी, मजले बूझनराम जी और
[पृ 411]: चौथे सूरजमल जी। लड़के आपके तीन हैं: 1. किशन सिंह 2. सरदार सिंह और 3. हरी सिंह।
हवलदार खेतराम जी उन आदमियों में से हैं जो अपने नेता को खुद की कुर्बानी करके भी ऊंचा उठाते हैं। और श्रेय तथा अर्थ दोनों से जीवन भर वंचित रहे हैं।
खेतराम जी की सेवायें ही अमूल्य है। न वह कभी अखबारों की पीठ पर आने के शौकीन हैं न तारीफ सुनने के अभिलाषी। उनसे मेहनती और कर्मठ आदमी बहुत ही कम किसी इलाके में होते हैं।
वे प्रजामंडललिस्ट होते हुए भी कौम की अधोगति से सदैव चिंतित रहते हैं और एक लोक सेवक अपनी कौम को भी जिस भांति ऊंचा करने की कोशिश कर सकता है उस तरह वह भी करने को उत्सुक रहते हैं।
जीवन परिचय
सहयोगी
ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है ....कालूराम जी देवरोड़ - [पृ.435]: संवत 1931 (1874 ई.) बैशाख में आपका जन्म हुआ। आपके पिता का नाम रामसुख व माता का नाम हीरा था। आप सब मिलकर चार भाई हैं। सबसे बड़े आप हैं। आप से छोटा शिवनारायण, उन से छोटा ईश्वर, व इससे छोटा लालाराम है।
आपने झुंझुनू सभा में कुंवर पन्नेसिंह जी के साथ कार्य किया। बहुत सी बार जाट सभा के कार्य के लिए जयपुर भी गए। सदैव कुंवर पन्नेसिंह साहब के साथ काम किया। कुछ दिन तक खेतराम जी के साथ चंदा इकट्ठा किया। आपने जाट सभा की तन मन से सेवा की व अब भी कर रहे हैं। आपका देशप्रेम अकथनीय है। आपके तीन लड़के थे। परंतु अब एक की मृत्यु हो गई है। अब दो लड़के हैं, बड़े का नाम खूबाराम है, छोटे का नाम मालाराम है। आप का गोत्र पिलानिया है।
संदर्भ
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.410-411
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.410-411
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.435
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