Ladhaut
Ladhaut (लाढ़ौत) is a village of Deswal gotra in District Rohtak (Haryana).[1]
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History
The place of Origin of the Deshwal/Deswal Gotra is believed to be Village Ladhaut/ Ladhot, also Known as Ladhaut Bhayapur. It is believed to be one of the ancient villages in the region. It is in District Rohtak and about 7 Km from Sukhpura Chowk Rohtak and 10 km from Purani Anaj Mandi, Rohtak.
दलीपसिंह अहलावत लिखते हैं
जिला रोहतक में लाढौत गांव के महापुरुषों से पूछताछ से पता लगा है कि यह गांव महाभारत के समय से आबाद है। उनकी एवं अन्य लोगों की कहावत है कि हस्तिनापुर सूनी पड़ी, लाढौत में बाजें शंख दो। तात्पर्य है कि महाभारत युद्ध में हस्तिनापुर के वीर योद्धा कुरुक्षेत्र युद्ध क्षेत्र से चले गये थे तथा हस्तिनापुर मनुष्यों से खाली होई। उस समय लाढौत में एक राजा का और दूसरा एक साधु का शंख बजता था।
इस गांव में आज भी एक जोहड़ (तालाब) का नाम पाण्डु जोहड़ है। उनके नाम से एक उजड़खेड़ा भी है। इससे ज्ञात होता है कि पाण्डव इस स्थान पर ठहरे थे। देशवाल जाट उस समय इस गांव में आबाद थे और इनका यहां पर राज्य था। इनका कितने क्षेत्र पर राज्य था और राजा का क्या नाम था, यह एक खोज का विषय है। यह लाढौत गांव तब से अब तक कई बार अपना स्थान तथा आकार बदल चुका है। महाभारत युद्ध के बाद देशवाल जाटों का राज्य मध्यपूर्व में रहा। इसका एक प्रमाण यह है -
- सन् 41 में खरोष्टी भाषा में लिखा हुआ अरा (Ara) में शिलालेख है जो कि अटक के निकट है। उस पर लिखा है कि देशवहर (Dashavjara) ने अपने माता-पिता के सम्मान में एक कुंआ खुदवाया था। यह देशवाल वंशज जाट राजा था। यह जाट वंश पहले से अफगानिस्तान में आबाद था।[2]
Location
The village is surrounded by Kiloi, Dhamad, Makrauli Khurd, Makrauli Kalan, Bohar and Bhalaut. [3]
Prominent persons
- Acharya Haridatt - Founder and Patron, Gurukul Bhaiyapur Ladhot
- Suresh Deswal
Photo Gallery
External links
References
- ↑ Dndeswal 02:54, 22 March 2008 (EDT)
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter XI - Page 999.
- ↑ Sateypal Deshwal on Jatland
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