Lakkundi
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Lakkundi लकुंडी) is a village in Gadag District of Karnataka on the way to Hampi (Hosapete) from Hubballi.
Location
Lakkundi 11 km from Gadag in the east. It is 14 km from Dambal and 25 km from Mahadeva Temple (Itagi).
Variants
History
Lakkundi, is full of ruined temples[1] like Mallikarjuna, Virabhadra, Manikeshwara, Nanneshwara, Lakshminarayana, Someshwara, Nilakanteshwara and many more.
Lakkundi is a place of antiquarian interest with as many as 50 temples, 101 stepped wells (called Kalyani or Pushkarni) and 29 inscriptions, spread over the period of the later Chalukyas, Kalachuris, Seuna and the Hoysalas. A great center of Kalyani Chalukyas art, there are several temples of note here. Among them the Kasivisvesvara temple, Lakkundi is the most ornate and elaborately furnished. There is also the Brahma Jinalaya, a Jain temple, the largest and oldest shrine at Lakkundi. There is sculpture gallery (Museum) maintained by the ASI (Archaeological Survey of India).
Lakkundi also has a Darga of Zindeshah Wali.
लकुंडी
लकुंडी (AS, p.809) मैसूर, कर्नाटक में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। गदग स्टेशन से आठ मील की दूरी पर पूर्व की ओर लोकोकंडी या प्राचीन लंकुडी की बस्ती है। यहाँ 'विश्वनाथ' और 'मल्लिकार्जुन' नामक भगवान शिव के मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से उच्च कोटि के माने जाते हैं। उपरोक्त दोनों मंदिर बहुत प्राचीन हैं। [2]
लकुंडी परिचय
होस्पेट से 53 मील आगे गदग स्टेशन है। वहां से 8 मील दक्षिण पूर्व दिशा में लकुंडी बस्ती है। इस स्थान का पुराना नाम लोकोकंडी था। यहां प्राचीन मंदिर बहुत हैं। नगर के पश्चिम द्वार के पास दो मंदिर हैं। इनमें काशी विश्वनाथ का मंदिर स्थापत्य कला का अच्छा नमूना है। पश्चिमी द्वार के बाहर एक सरोवर है। उसके पास नंदीश्वर शिव मंदिर है। सरोवर के पूर्वी किनारे पर वासेश्वर मंदिर है। नगर में मल्लिकार्जुन शिव मंदिर मुख्य है। वहां से समिति एक बावली है। उसमें तीन और सीढ़ियां बनी हुई हैं। बावली से पश्चिम की ओर कुछ दूरी पर मणि केशव (श्रीकृष्ण) का मंदिर है। मंदिर के समीप ही एक सरोवर है। लकुंडी के मंदिर बहुत प्राचीन है। अब जीर्ण दशा में हैं किंतु उनकी निर्माण कला उत्तम है।[3]