Losal
Losal (लोसल) is municipal board in Danta Ramgarh tehsil of Sikar district in Rajasthan.
Location
Losal is located at 27.4° N 74.92° E[1]
Founder
Losal was founded in 1164 AD by Thalod Jats and it was their capital.
History
Chaudhari Babal Ji Thalor came from Dhamana and founded Losal Kheri in 1164 AD on Chaitra Badi 2 VS 1221. Their kulvevi is Kuwan Mata. Thalod Jats founded the town Losal in Sikar district which was their capital.
Historical Monuments
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Losal Fort
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Losal Inscription VS 1711, 1815, 1972
थालोड़ गोत्र का इतिहास
थालोड़ गोत्र के रेकोर्ड उनके बडवा गोपालराव (मोबा - 09828173479) गाँव श्रीनगर, तहसील राजगढ़, जिला अलवर द्वारा रखे जाते हैं. इनके अनुसार थालोड़ गोत्र की उत्पति चौहान वंश में आबू पर्वत से मानी गयी है. इनके पहिचान चिन्ह हैं - सफ़ेद झंडा, नगारा बेरीसाल, वृक्ष चंपा, निशान घोडा सफ़ेद.
बडवा गोपालराव के बही अनुसार चौधरी बाबलजी धमाणा से आये और चैत बदी दूज संवत 1221 (1164 AD) में लोसल-खेड़ा गाँव बसाया. पक्का कुआ करवाया. कुआं चिनते समय तीन आदमी दब गये. थालोड़ लोग खुवान माता को मानते है. बाबल को खुवान माता का दर्शाव हुआ. बाबल ने तीनों लोगों को जिन्दा निकाल दिया. तब से थालोड़ खुवान माता की पूजा करते हैं. खुवान माता ने प्रण करवाया कि कोई भी थालोड़ जाया कुए पर जूती नहीं ले जायेगा, शिकार नहीं करेगा, मांस नहीं खायेगा, सफ़ेद बकरी नहीं बेचेगा, न सफ़ेद बकरी का दूध खायेगा, न इसके दूध का बिलोवणा करेगा, हरा मुरायला नहीं काटेगा. यदि ये काम कोई करेगा तो उसका वंश नहीं चलेगा.
इनके कुल देवता शकल जी उर्फ़ सावल जी हैं. शकलजी का जन्म थालोड़ गोत्र में गाँव खुडी में पिता तहराजजी के घर चैत बदी 5 संवत 1652 (1595 AD) को हुआ. इनकी माताजी का नाम राजादेवी था और वे गाँव भोजासर के कानजी ढाका की पुत्री थी. राजादेवी के दो भाई थे - कोलाजी और दूदाजी.
शकलजी ने गायों को बचाने के लिए प्राण दिए. मुसलमान गायों को चुरा कर ले जा रहे थे. शकल जी ने चोरों का पीछा किया और छुड़ा कर सिधराणा जोड़ा में गायें ले आये. गायों को छुड़ाने में संघर्ष हुआ और उन्होंने 5 लोगों का क़त्ल किया. वे में लड़ाई में जुझार हुए. सिधराणा जोड़ा में शकलजी की देवली जेठ सुदी 11 संवत 1671 में चिनवाई. इनकी याद में बैसाख माह की चानणी 11 को मेला लगता है. पशुओं को रोग होने पर शकलजी की तांती बांधी जाती है. मस्से होने पर भुवारी चढ़ाई जाती है. यह मान्यता है की 2-3 दिन में मस्से ठीक हो जाते हैं.
सिधराणा जोड़ा खुडी से पहले सांवलोदा बस-स्टैंड से पूर्व में तथा राष्ट्रीय राजमार्ग-11 से आधा किमी पूर्व में स्थित है. वर्त्तमान में थालोड़ गोत्र के लोगों द्वारा शकलजी का एक सुन्दर मंदिर बनाया जा रहा है. शकलजी का एक मंदिर फतेहपुर से 8 किमी दूरी पर रतनगढ़ जाने वाली सड़क पर गाँव गोविन्दपुरा में बना है. यह मंदिर गाँव के श्री रिछपाल थालोड़ (गाँव गोविन्दपुरा, मोबा: 09829061961) द्वारा बनाया गया है.
Demographics
As of 2001 census the population of town is 25361 out of them 3681 are SC and 25 are ST. Its Pin code is 332025. Males constitute 50% of the population and females 50%. Losal has an average literacy rate of 56%, lower than the national average of 59.5%: male literacy is 68%, and female literacy is 44%. In Losal, 19% of the population is under 6 years of age.
Jat Gotras in Losal
Bajiya, Bhakhar, Bhamu, Bugalia, Burdak, Dhaka, Dhudhwal, Godara, Jakhar, Mahla, Ranwa , Rulaniya, Sheshma, Thalor,
Notable persons
- Govind Ram Mahla - Mob:9950562382
- Nopa Ram Bhakhar - Mob:9461055326
- Anil Rulaniya - Scored ninth Rank in Board of Secondary Education, Rajasthan, Secondary School Examination-2010. He is from village Losal in Sikar district in Rajasthan.[2]
External links
References
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- Jat Villages
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- Jat Villages in Rajasthan
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- Jat History
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- Cities and towns by Jats
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