Machri

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Location of Machri is near Umren, Alwar

Machri (माचड़ी) is a village in Umren tahsil in Alwar district, Rajasthan.

Variants

Location

Machri is a small Village in Umren Tehsil in Alwar District of Rajasthan State, India. It comes under Machri Panchayath. It belongs to Jaipur Division . It is located 13 KM towards South from District head quarters Alwar. 2 KM from Umren. 113 KM from State capital Jaipur. Machri Pin code is 301001 and postal head office is Alwar.[1]

History

साहित्यिक ग्रंथों और शिलालेखों में इसे माचाडी या मत्स्यपुरी इत्यादि नामों से उल्लेखित किया गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह मत्स्य जनपद के अंतर्गत एक प्रमुख नगर और विराटनगर (बैराठ) की स्थापना से पूर्व उसकी राजधानी था. ऐतिहासिक साक्ष्यों से प्रकट होता है कि इस प्राचीन नगर की स्थापना बड़गुजर नरेश मत्स्यदेव ने 13 वीं शताब्दी के लगभग की थी तथा सम्भवतः अपने इस संस्थापक के नाम पर मत्स्यपुरी अथवा माचेड़ी के नाम से प्रसिद्ध हुआ.[2]

हेमचंद्र विक्रमादित्य हेमू

हेमचंद्र विक्रमादित्य हेमू का रेवाड़ी से गहरा नाता रहा है। दिल्ली सल्तनत पर काबिज रहे हेमंचद्र विक्रमादित्य का जन्म जिले के समीपवर्ती राज्य राजस्थान के अलवर जिले के मछेरी नामक गांव में जन्म हुआ था, परंतु उनकी कर्मस्थली रेवाड़ी थी। सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य हेमू का जन्म 1501 में राजस्थान के अलवर जिले में मछेरी नामक एक गांव में रायपूर्णदास के यहां हुआ था। इनके पिता पुरोहित का कार्य करते थे। सन 1516 में वे व्यापार करने के लिए मछेरी से रेवाड़ी चले आए। उन दिनों रेवाड़ी व्यापार का केंद्र था। रायपूर्णदास रेवाड़ी के कुतुबपुर नामक गांव वर्तमान में कुतुबपुर मोहल्ला में बस गए। रेवाड़ी में रहते हुए ही हेमू ने अपनी शिक्षा ग्रहण की और विभिन्न भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। हेमू ने शेरशाह सूरी की सेना को कई प्रकार के साजो सामान की आपूर्ति आरंभ कर दी। खाद्य सामग्री के साथ साथ उन्होंने शेरशाह सूरी की सेना को शोरे की आपूर्ति भी प्रारंभ कर दी। यह शोरा वह पुर्तगालियों से आयात करते थे जो तोपों के लिए बारूद बनाने में प्रयोग किया जाता था। उन्होंने तोपें बनाने के लिए रेवाड़ी में पीतल की ढलाई का उद्योग भी प्रारंभ किया था।

हेमचंद्र विक्रमादित्य को आज भी उनमें वीरताएं रणनीतिक कौशल और राजनीतिक दूरदृष्टि में अछूत मेल के कारण याद किया जाता है। लगभग साढ़े चार सौ साल पहले मध्यकालीन भारतीय इतिहास में 22 युद्धों में लगातार विजयी रहे व अकबर की फौजों को हराकर दिल्ली की गद्दी पर बैठे थे। हेमू के जीवन और उनके इतिहास के बारे में जानकारी रखने वाले इतिहासकारों का मानना है कि इतिहास में हेमू को जो वह स्थान नहीं मिला जो उन्हें मिलना चाहिए था। इसके लिए व्यापक स्तर पर कार्ययोजना और परीक्षण करने की जरूरत है। रेवाड़ी के मोहल्ला कुतुबपुर में स्थित हवेली सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य की याद दिलाती है।

संदर्भ: जागरण, 06 Oct 2016

Machri Inscription of Badgujar 1382 AD

माचेड़ी की बावली का लेख 1382 ई. - माचेड़ी (अलवर जिला) की बावली वाले वि.सं. 1439 के शिलालेख[3] में बड़गूजर शब्द का प्रयोग पहले पहल प्रयुक्त हुआ है. इस लेख से पता लगता है कि उक्त सम्वत में वैशाख सुदि 6 को सुल्तान फ़ीरोजसाह तुगलक के शासनकाल में माचेड़ी पर बड़गूजर वंश के राजा आसलदेव के पुत्र महाराजाधिराज गोगदेव का राज्य था. इस बावड़ी का निर्माण खंडेलवाल महाजन कुटुंब ने बनवाई थी.

इस शिलालेख में तत्कालीन सुलतान फिरोजशाह तुग़लक़ का उल्लेख होने से यह आभास होता है कि सम्भवतः माचेड़ी के राजा गोगादेव ने उसकी अधीनता स्वीकार करली थी. तदुपरांत माचेड़ी के बड़गुजर राजवंश में ईश्वरसेन अन्य प्रमुख शासक हुए हैं जिनकी रानी चम्पादेवी ने 1458 ई. में माचेड़ी में एक विशाल और भव्य निर्माण करवाया.[4]

Notable persons

Population

External Links

References

  1. http://www.onefivenine.com/india/villages/Alwar/Umren/Machri
  2. Dr. Raghavendra Singh Manohar:Rajasthan Ke Prachin Nagar Aur Kasbe, 2010,p. 31
  3. डॉ गोपीनाथ शर्मा: 'राजस्थान के इतिहास के स्त्रोत', 1983, पृ.128
  4. Dr. Raghavendra Singh Manohar:Rajasthan Ke Prachin Nagar Aur Kasbe, 2010,p. 32

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