Madan Mohan Somatiya

From Jatland Wiki
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Madan Mohan Somatiya

Madan Mohan Somatiya (14.09.1922-10.11.2024) was a freedom fighter from Nathdwara in Rajsamand district of Rajasthan. His elder brothers Narendra Pal Singh Chaudhary and Rajendra Singh Chaudhary were also freedom fighters.

Brief Introduction

Madan Mohan Somatiya played a significant role in India's freedom struggle. He passed away at the age of 102 after a long illness in Rajsamand district, Rajasthan. Born on 14.09.1922 to Ramakrishna Jat and Nanaki Devi, Somatiya was a student at the Modern School. Somatiya was a key figure in the Mewar Praja Mandal and participated in the Quit India movement in 1942. He was inspired by his older brothers to participate in the freedom struggle. Among eight siblings, his two brothers, Narendra Pal Chaudhary and Rajendra Singh Chaudhary, were also freedom fighters. He was jailed multiple times during the fight for independence. He was imprisoned several times in Udaipur and other jails.

The freedom fighter received numerous awards and honors, including felicitations by the then Rajasthan Chief Ministers (1987, 2000, and 2023), the then Vice President Bhairon Singh Shekhawat (2009), and the then President Pranab Mukherjee (2013).[1]

Somatiya was admitted to the Shri Govindraj State Hospital in Rajsamand for the last two weeks of his life. He passed away surrounded by his family and was given a state funeral at the cremation ground in Nathdwara.

मदन मोहन सोमटिया का परिचय

स्रोत - ND TV Rajasthan, 10.11.2024

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मेवाड़ प्रजामंडल के योद्धा और राजसमंद जिले के अंतिम स्वतंत्रता सेनानी मदनमोहन सोमटिया का 10.11.2024 को रविवार सुबह निधन हो गया. सुबह करीब सवा सात बजे 102 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. इस दौरान उनके बेटे और पूरा परिवार उनके साथ था. 1 बेटे और 5 बेटियों के पिता सोमटिया लंबे समय से बीमार चल रहे थे. पिछले दो हफ़्तों से वह श्री गोवर्धन राजकीय जिला चिकित्साल में भर्ती थे. उन्हें दिल की बीमारी थी और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. मदनमोहन सोमटिया 11 भाई बहनों में सबसे छोटे थे, उनके दो बड़े भाई नरेंद्रपाल चौधरी और राजेन्द्र सिंह चौधरी भी स्वतंत्रता सेनानी थे.

2013 ने राष्ट्रपति ने किया था सम्मानित: मदनमोहन सोमटिया का जन्म 14 सितम्बर 1922 को मध्यम परिवार के रामकृष्ण जाट व नानकी बाई के घर मे हुआ. उनको देश की आजादी में योगदान के साथ ही सामाजिक कार्यों के लिए कई बार सम्मानित किया गया था.

पहली बार 02 अक्टूबर 1987 को ताम्रपत्र दिया गया,

दूसरी बार 14 सितंबर 2000 को उनके जन्मदिन पर ताम्रपत्र से सम्मनित किया गया था.

14 मई 2009 को उपराष्ट्रपति भैरूसिंह शेखावत ने उनके निवास पर पहुंचकर उन्हें सम्मानित किया था.

वर्ष 2023 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उनके निवास स्थान पर पहुंचे और उनको सम्मानित किया.

वर्ष 2013 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया. इसके अलावा राज्य व जिला स्तर पर अनेकों बार उन्हें सम्मनित किया गया था.

13 साल की उम्र में स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया, जेल भी गए: सोमटिया के पुत्र योगेश कुमार चौधरी ने बताया कि बाउजी आजादी लड़ाई में कई बार जेल गए थे, वे बताते थे कि कैसे उन्होंने अपने बड़े भाइयों की प्रेरणा से स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और देश को आजादी दिलाने में योगदान दिया. योगेश चौधरी ने बताया कि पिताजी बताते थे कि अप्रैल 1938 में मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना हुई थी, उस वक़्त उनकी उम्र करीब 13 - 14 वर्ष थी. लेकिन आजादी की ऐसी दीवानगी थी कि वे अपने बड़े भाइयों के साथ इस संग्राम के हिस्सा बन गए और फिर कई बार ब्रिटिश शासन द्वारा प्रताड़ित और गिरफ्तार भी किए गए. लेकिन कभी उनके इरादों में कमी नही आई.

1938 से 1942 तक वे कई बार पकड़े गए!: छात्र जीवन मे ही मेवाड़ प्रजामंडल से जुड़ना ओर लोगों को जागृत करने के लिए रैलियां - जुलूस निकालना, सभाओं में भाग लेना, स्वयं सेवक के रूप में कार्य करना और पत्र संदेश एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाना उनकी दैनिक जीवन का हिस्सा बन गया था. उन्होंने बताया कि 1938 से 1942 तक वे कई बार पकड़े गए. लेकिन हर बार उन्हें बालक समझ कर छोड़ दिया गया.

पहली बार वे 1942 में दो बार भारत छोड़ो आंदोलन में 6 महिने तक जेल में रहे.

स्वर्गवास

स्वतंत्रता सेनानी मदनमोहन सोमटिया का 10.11.2024 को रविवार सुबह निधन हो गया. मदनमोहन सोमटिया जी का अंतिम संस्कार नाथद्वारा स्थित शमशान में राजकीय सम्मान के साथ किया गया.

शहर के रावतों का दरवाजा स्थित उनके निवास से दोपहर 2 बजे अंतिम यात्रा प्रारंभ हुई. जो शहर के प्रमुख मार्गो से होते हुए बनारस किनारे स्थित श्मशान घाट पहुंची. यहां राजसमंद पुलिस के द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। उसके बाद उनकी पार्थिव देह से तिरंगा उतारा गया. इसके बाद इकलौते पुत्र योगेश चौधरी ने उनको मुखाग्नि दी. इस दौरान देवकीनंदन गुर्जर, भाजपा के नगर अध्यक्ष प्रदीप काबरा, कांग्रेस नगर अध्यक्ष दिनेश जोशी सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे. सभी ने उनकी पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित किया। वहीं जिला कलक्टर बालमुकुंद असावा, जिला पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी आदि ने प्रशासन की ओर से भी पुष्प चक्र अर्पित किया.[2]

चित्र गैलरी

मदन मोहन जी सोमटिया के स्वर्गगामी होने के समाचार

मदन मोहन जी सोमटिया के स्वर्गगामी होने पर शोक सभा मे राजस्थान की उपमुख्यमंत्री राजकुमारी दीया जी उनके आवास नाथद्वारा पर पधारीं और परिजनों को सांत्वना प्रदान की

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ


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