Mahakali
Mahakali (महाकाली) is the goddess of time and death in the goddess-centric tradition of Shaktism. She is also known as the supreme being in various Tantras and Puranas.
Variants
Jat Gotras Namesake
- Kali (Jat clan) = Mahākāli (महाकाली) - Pujaripali Stone Inscription of Gopaladeva mentions ....(V.15) - Vindhyavāsinī (विंध्यवासिनी) (L.8) dwelling on the mountain, Mahāmāyā (महामाया) (L.8) (and) Mahākāli (महाकाली) (L.8) were worshiped by Gôpâla. [1] Pujaripali (पुजारीपली) is village in Sarangarh tahsil in Raigarh district in Chhattisgarh.
Consort of Bhairava
She is the consort of Bhairava, the god of consciousness, the basis of reality and existence.
Fierce goddess
Similar to Kali, Mahakali is a fierce goddess associated with universal power, time, life, death, and both rebirth and liberation.
Mahakali, in Sanskrit, is etymologically the feminised variant of Mahakala, or Great Time (which is also interpreted as Death), an epithet of the deities Narasimha and Shiva in Hinduism.
Mahakali is most often depicted in blue/black complexion in popular Indian art.
Several scriptures also state that Mahakali is the primordial being.
महाकाली शक्तिपीठ
शिव पुराण में इसका वर्णन मिलता है कि एक बार सती के पिता दक्ष प्रजापति ने यज्ञ का आयोजन किया। इस अवसर पर सती व उसके पति शिव के अतिरिक्त सभी देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों को बुलाया गया। जब सती को इस बात का पता चला तो वह अनुचरों के साथ पिता के घर पहुंची। तो वहां भी दक्ष ने उनका किसी प्रकार से आदर नहीं किया और क्रोध में आ कर शिव की निंदा करने लगे। सती अपने पति का अपमान सहन न कर पाई और स्वयं को हवन कुंड में अपने आप होम कर डाला। भगवान शिव जब सती की मृत देह को लेकर ब्राह्मांड में घूमने लगे तो भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 52 हिस्सों में बांट दिया। जहां-जहां सती के अंग गिरे वहां-वहां पर शक्ति पीठ स्थापित हुए। कांगड़ा के स्थान पर माता का वक्षस्थल गिरा था जिसके कारण माता वज्रेश्वरी कहलाई। इसी प्रकार कलकत्ता मे केश गिरने से महाकाली, असम मे कोख गिरने से कामाख्या, मस्तिष्क का अग्रभाग गिरने से मनसा देवी, जिह्वा गिरने से ज्वालामुखी देवी, सहारनपुर के पास शीश गिरने से शाकम्भरीदेवी, ब्रह्मरंध्र गिरने से हिंगलाज देवी आदि शक्तिपीठ भक्तों की आस्था के केन्द्र बन गये।
References
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