Mahendra Pal Jat

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शहीद महेन्द्रपाल नराधनियां

Sepoy Mahendra Naradhania (16.1.1984- 13.11.2012) is a martyr of Militancy in Jammu and Kashmir. He fell fighting against the militants on 13 November 2012 during Operation Rakshaka fighting with the terrorists. He was in 17 Jat Regiment of the Indian Army.

अमर शहीद महेन्द्रपाल नराधनियां

पारिवारिक परिचय

शहीद महेन्द्रपाल नराधनियां का जन्म नागौर जिले के गाँव नराधना मेँ 16 जनवरी 1984 को पिता श्री धर्माराम जी के घर माता श्रीमति बाऊदेवी की कोख से हुआ । आपके एकमात्र बडे भाई हरदीन राम है । आपके पिताजी का देहांत जब आप मात्र 25 दिन के थे तभी हो गया था । तत्पश्चात आपका लालन-पालन व शिक्षा की सम्पूर्ण जिम्मेदारी आपके बड़े भाई हरदीन राम जी ने उठाई । आपका विवाह मूंडवा निवासी श्री रामनिवास मुंडेल की पुत्री निरमा देवी के साथ सम्पन्न हुआ । आपके पुत्र का नाम जतिन (8वर्ष) है ।

शिक्षा

शहीद महेन्द्रपाल ने प्रथम वर्ष तक शिक्षा ग्रहण की थी । राजकीय प्राथमिक विधालय, नराधना से प्राथमिक शिक्षा ली तत्पश्चात ग्राम कुचेरा से आठवीं तक पढे । कक्षा 9-12 की शिक्षा आपने संत विनोबा भावे विधालय, झुंझूनू से ली । आपने राजस्थान विश्वविधालय, जयपुर से प्रथम वर्ष किया इस दौरान आप जवाहर जाट छात्रावास में रहते थे ।

सेना में चयन

अध्यापन काल के दौरान ही आपने सेना मेँ जाकर भारत माँ की सेवा करने को अपना लक्ष्य बना लिया । प्रथम वर्ष तक शिक्षा करने के पश्चात आप सेना मेँ चयन हेतु जी-तोड़ मेहनत करने लगे और इस तरह वर्ष 2002 मेँ आपका चयन भारतीय सेना की 17 जाट रेजिमेँट मेँ सिपाही के रूप मेँ हुआ । 2 जून, 2002 को आपने अपना नियुक्ती पत्र ग्रहण किया । 17 जाट रेजिमेँट मेँ आपकी पहली पोस्टींग लेह-लद्दाख में हुई । आपका चयन सन् 2010 में शांती सेना में हुआ, इस दौरान आपने सूडान देश में सेवा प्रदान की । इस दल में आपके साथ शहीद भूपेन्द्र कालिराणा भी थे ।

देशसेवा में बलिदान

वर्ष 2012 मेँ आप श्रीनगर के नौगांव सैक्टर मेँ तैनात किये गये । उस दिन दिपावली की रात थी । सारा देश जहां दीपोत्सव की खुशियां मना रहा था वहीँ भारत माँ के ये अनमोल बेटे अँधेरे से ढकी बर्फ से आच्छादित पहाड़ियोँ पर बैठे देश सेवा का धर्म निभा रहे थे । रात्री के लगभग 10 बजे इन्हेँ सूचना मिली की 9 सबूरी की घाटियों से कुछ आतंकी सीमा मेँ प्रवेश कर रहे हैँ । देश की सबसे भीषण जंगी जाट रेजिमेंट के ये जाबांज जान की परवाह किये बगैर "ऑपरेशन रक्षक" के तहत आंतकियों का सर्वनाश करने निकल पड़े । लगभग 4 घंटे चली आमने सामने की मुठभेड़ मेँ सभी घुसपेठिये मारे गये । दुश्मन की गोली लगने के कारण जाट रेजिमेँट का जाबांज सिपाही महेन्द्रपाल नराधनियां अपने साथी भूपेन्द्र कालीराणा के साथ भारत माता के आँचल मेँ चिरनिद्रा में सौ गया ।

17 जाट रेजीमेँट के सिपाही शहीद महेन्द्रपाल नराधनियां दिवाली की रात 13 नवम्बर 2012 को आतंकवादियोँ के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए ।

"किसी का चिह्न वोटोँ पे,
किसी का चित्र नोटोँ पे,
शहीदोँ तुम ह्रदय मेँ हो,
तुम्हारा नाम होठोँ पे"

शहीद का अंतिम संस्कार

दिनांक 17 नवम्बर 2012 को प्रात: 10:00 बजे शहीद महेन्द्रपाल का शव उनके पैतृक गांव नराधना लाया गया । समस्त ग्रामवासीयोँ की आँखे इस बेटे का मुख देखकर छलछला उठी । शहीद के अंतिम संस्कार मेँ हजारोँ की तादाद मेँ लोग इक्कठे हुए । नागौर जिले के पदाधिकारी, राजनितिक शख्सियतोँ ने अंतिम यात्रा मेँ सम्मिलित हो शहीद को विदाई दी । शहीद महेन्द्रपाल की अंतिम यात्रा मेँ किसान नेता स्व. रूपाराम डूडी, हनुमान बेनिवाल, पूर्व मंत्री हरेन्द्र मिर्धा, हबीबुरहमान, ज्योती मिर्धा, रिछपाल मिर्धा, मंजू मेघवाल, नागौर जिला कलक्टर व नागौर SP सहित क्षेत्र के हजारोँ लोग सम्मिलित हुए । शहीद महेन्द्रपाल का अंतिम संस्कार दोपहर 12:00 बजे किया गया । नागौर विधायक ने पीड़ित परिवार को चार लाख की सहायता राशि प्रदान की ।

मूर्ति अनावरण

भारतीय सेना ने ग्राम नराधना मेँ शहीद महेन्द्रपाल की मूर्ति लगाने का निश्चय किया और शहीद की द्वितीय पुण्यतिथि पर दिनांक 13 नवम्बर 2014 को भव्य व विशाल मूर्ति का अनावरण किया गया ।

समस्त देशवासियोँ को इन वीर सैनिको पर नाज है, जो अपने प्राणोँ की आहूति दे कर करोड़ोँ जानोँ की हिफाजत करते हैँ । शहीद महेन्द्रपाल की शहादत को देश युगोँ युगोँ तक याद रखेगा ।

॥ जय हिँद ॥

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लेखक

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References

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