Bhupendra Kalirana

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शहीद भूपेन्द्र कालीराणा

Sepoy Bhupendra Kalirana, from Budkiya, Bhopalgarh, Jodhpur, is a martyr of Militancy in Jammu and Kashmir. He fell fighting against the militant terrorists on 13 November 2012 during Operation Rakshaka. He was in 17 Jat Regiment of the Indian Army.

भूपेंद्र कालीराणा की शहादत पर गर्व

डांवर राम के घर घोङा सूरज का रुका था, मथुरादेवी की कोख के आगे आसमां झुका था। धन्य धरा बुङकिया जो भूपेन्द्र सा पूत पाया, वो जो काल बनकर दुश्मनों पर था छाया। उसकी दास्तां विरांगना गुङिया से सुनो यारों, कहती हैँ सूर्या व प्रकाश देश के लिए हैं प्यारों...

पारीवारिक परिचय

शहीद भूपेन्द्र कालीराणा का जन्म जोधपुर जिले की भोपालगढ़ तहसिल के गाँव बुड़किया मेँ 1 अक्टूबर 1987 को पिता श्री डावर राम (Ex.BSF) के घर माता श्रीमति मथुरा देवी की कोख से हुआ । आपके दो भाई जगदीश जाट (BSF) व राजेन्द्र जाट (9 जाट रेजीमेंट) में अपनी सेवाएँ दे रहे हैँ । आपका विवाह पूनियाँ की ढाणी खेड़ी चारणान निवासी श्री बलदेव पूनियां (Ex Army) की पुत्री गुडी देवी के साथ 12 मार्च 2011 को सम्पन्न हुआ । जिनसे आपको दो पुत्ररत्नों की प्राप्ति हुई । बड़ा पुत्र सूर्या आपकी शहादत के वक्त नो माह का था तथा छोटा पुत्र प्रकाश का जन्म आपकी शहादत के दो माह पश्चात हुआ ।

शिक्षा

शहीद भूपेन्द्र ने बाहरवीँ कक्षा तक शिक्षा ग्रहण की थी । राजकीय प्राथमिक विधालय, बंधिया नाडा से प्राथमिक शिक्षा ली तत्पश्चात राजकीय विधालय, ग्राम बुड़किया से उच्च माध्यमिक शिक्षा पूर्ण की ।

सेना में चयन

आपके पिताजी सीमा सुरक्षा बल के सिपाही रह चुके थे । इसलिए बचपन से ही आपमेँ देशभक्ति की भावना कूट कूट के भरी थी । इसलिए आपने पिताजी की तरह सेना मेँ जाकर भारत माँ की सेवा करने को अपना लक्ष्य बना लिया । बारहवीं तक शिक्षा करने के पश्चात आप सेना मेँ चयन हेतु जी-तोड़ मेहनत करने लगे और इस तरह वर्ष 2006 मेँ आपका चयन भारतीय सेना की 17 जाट रेजिमेंट मेँ सिपाही के रूप मेँ हुआ । 9 अक्टूबर 2006 को आपने अपना नियुक्ति पत्र ग्रहण किया । 17 जाट रेजिमेँट मेँ आपका सिपाही नं. 3202981A था ।

देशसेवा में बलिदान

वर्ष 2012 में आप श्रीनगर के नौगांव सैक्टर मेँ तैनात किये गये । उस दिन दिपावली की रात थी । सारा देश जहां दीपोत्सव की खुशियां मना रहा था वहीँ भारत माँ के ये अनमोल बेटे अँधेरे से ढकी बर्फ से आच्छादित पहाड़ियों पर बैठे देश सेवा का धर्म निभा रहे थे । रात्रि के लगभग 10 बजे इन्हेँ सूचना मिली की 9 सबूरी की घाटियों से कुछ आतंकी सीमा मेँ प्रवेश कर रहे हैँ । देश की सबसे भीषण जंगी जाट रेजिमेंट के ये जाबांज जान की परवाह किये बगैर "ऑपरेशन रक्षक" के तहत आतंकियों का सर्वनाश करने निकल पड़े । लगभग 4 घंटे चली आमने सामने की मुठभेड़ में सभी घुसपेठिये मारे गये । दुश्मन की गोली लगने के कारण जाट रेजिमेँट का जाबांज सिपाही भूपेन्द्र कालीराणा अपने साथी महेन्द्रपाल जाट के साथ भारत माता के आँचल मेँ चिरनिद्रा में सो गया ।

17 जाट रेजीमेंट के सिपाही शहीद भूपेन्द्र कालीराणा दिवाली की रात 13 नवम्बर 2012 को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए ।

"किसी का चिह्न वोटों पे,

तो किसी का चित्र नोटों पे ।

शहीदोँ तुम ह्रदय में हो,

तुम्हारा नाम होठों पे" ।।

शहीद का अंतिम संस्कार

दिनांक 17 नवम्बर 2012 को प्रात: 06:00 बजे शहीद भूपेन्द्र का शव उनके पैतृक गांव बुङकिया लाया गया । समस्त ग्रामवासियों की आँखे इस बेटे का मुख देखकर छलछला उठी । शहीद के अंतिम संस्कार मेँ हजारोँ की तादाद मेँ लोग इक्कठे हुए । जोधपुर संभाग के पदाधिकारी, राजनितिक शख्सियतों ने अंतिम यात्रा में सम्मिलित हो शहीद को विदाई दी । शहीद भूपेन्द्र की अंतिम यात्रा मेँ किसान नेता रामनारायण डूडी, पाली के पूर्व सांसद बद्रीराम जाखङ, पूर्व मंत्री राजेन्द्र चौधरी, हीरालाल मुंडेल, नारायण राम बेडा, भोपालगढ़ विधायक कमसा मेघवाल, जोधपुर जिला प्रमुख दुर्गा बलाई, महापौर रामेश्वर दाधीच, जिला कलेक्टर गौरव गोयल, युवा नेता भागीरथ नैण सहित क्षेत्र के हजारों लोग सम्मिलित हुए ।

मूर्ति अनावरण

ग्राम बुङकिया में शहीद भूपेन्द्र की प्रथम पुण्यतिथि पर दिनांक 13 नवम्बर 2013 को माननीय कर्नल रोबी जॉर्ज व ब्रिगेडियर N.M. सिंघवी की अध्यक्षता में शहीद की भव्य व विशाल मूर्ति का अनावरण किया गया ।

समस्त देशवासियोँ को इन वीर सैनिकों पर नाज है, जो अपने प्राणों की आहूति दे कर करोड़ोँ जानोँ की हिफाजत करते हैं । शहीद भूपेन्द्र की शहादत को देश युगोँ युगोँ तक याद रखेगा ।

॥जय हिँद॥

शहादत पर गर्व

शहीद कभी मरते नही हैं अमर होते हैं..!! शहीदो की चिताओं पर लगेंगे हर बरस युही मेले वतन पर मिटने वाली का बाक़ी यही निशाँ होगा..!!

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References


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