Naliasar

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Author:Laxman Burdak, IFS (Retd.)

Location of Naliasar Lake is in west of Phulera shown in blue

Naliasar (नलियासर) is an ancient archeological site in Phulera tahsil of Jaipur district in Rajasthan.

Origin

Location

Naliasar is an archeological site situated on Sambhar-Naraina Road, 4 km south of Sambhar Lake, in Jaipur District of Rajasthan. Sambhar Lake Railway Station is the nearest railway station. Naliasar Lake is in west of Phulera.

Jat clans

History

Sambhar is known for the Salt lake, the tirtha of Devayani and Shakambhari temple.[1] On the banks of Sambhar lake three towns are located 1. Sambhar on the east bank, 2. Nawa on the northwest bank and 3. Gudha in between these villages. The people of these village depend on salt Industry. [2] Archaeology department had done excavation at Sambhar on site called Naliasar which indicated its antiquity.[3]

Remains of several buildings and other antiquities such as coins, pottery, terracotta and shell objects have been discovered on the site. The excavations exposed six layers of occupation. Excavations have revealed evidences of well-planned settlements during Kushan and Gupta periods. Several sculptures and terra-cotta figurines has been excavated from here. A big vessel belonging to the 2nd century was excavated from this site and is placed at the Hawa Mahal Museum.[4]

नलियासर

नलियासर एक ऐतिहासिक स्थान है जो जयपुर से 83 किमी पश्चिम में सांभर झील से लगभग 3 मील पर स्थित है। नलियासर के एक टीले पर की गई खुदाई में ईसा पूर्व की तीसरी शताब्दी से लेकर 10वीं शताब्दी ई. के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस खुदाई से चौहान युग से पूर्व काल पर भी अच्छा प्रकाश पड़ा है। खुदाई से प्राप्त सामग्री में आहत मुद्राएँ, उत्तर इण्डोसासेनियन सिक्के, हुविष्क के सिक्के, इण्डोग्रीक सिक्के,यौधेयों के सिक्के प्रमुख हैं। गुप्तकालीन चाँदी के सिक्के, सोने तथा ताँबे की वस्तुएँ मिली हैं, जिनमें सोने का हार सोने से निर्मित मनक और एक हृदय के आकार की वस्तु है, जिनके दोनों ओर सींग के रुप में की एक आकृति है, जो कि तुरही हो सकती है। नलियासर में सोने से खुदा हुआ सिंह भी प्राप्त हुआ है। ताँबे की वस्तुओं में घण्टिका, चम्मच, छोटे पात्र आदि प्रमुख हैं। अन्य सामग्री में बड़ी गेंद, छोटी गेंद, मिट्टी की तलवार, झुनझुने, तवे के समान वस्तुएँ, पूजा हेतु पात्र, मनके आदि प्राप्त हुए हैं। शीशे की चूड़ियों के साथ हड्डी का पासा, काँसे से बने बच्चों के कड़े आदि उल्लेखनीय हैं।[5]

नलियासर की ऐतिहासिक सामग्री में 105 ताँबे की मुद्राएँ महत्त्वपूर्ण है, जो कुषाणकालीन राजस्थान की स्थिति पर प्रकाश डालती हैं। नलियासर में एक लेख मिला है, जो ईसा की दूसरी शती से ईसा की चौथी शती के मध्य का हो सकता है। यह संस्कृत भाषा में है, और इसकी लिपि ब्राह्मी है। यहाँ से एक काँसे की मुहर भी मिली है, जिस पर ब्राह्मी लिपि में कुछ लिखा है। अक्षरों की बनावट के आधार पर इसे ईसा की तीसरी शताब्दी का माना जा सकता है। इस प्राप्त सामग्री के अध्ययन से पता चलता है कि सांभर की संस्कृति ईसा पूर्व की तीसरी शताब्दी में जन्मी व विकसित हुई, किंतु ईसा की छठी शती से पूर्व ही लुप्त हो गई। यहाँ एक कृति मिली है, जो शिव के मुकुट में डमरु तथा गले में सर्प माल धारण किये प्रस्तुत करती है। एक कृति विचित्र देवी की है, जिसके बायें हाथ में एक पात्र है। हाथ से बनी अन्य कृतियों में एक पुरुषाकृति है तथा दूसरी ऐसी तोंदधारी मानव की है, जो कि शाखा के साथ-साथ यज्ञोपवीत धारण किये है। एक कृति में महिषासुर का अंकन है। इसमें माला धारण किये या तो महिषासुर है या भैंसे पर आरुढ यम है। उल्लेखनीय सामग्री में यक्षणियों की आकृतियाँ उमा-महेश्वर, पात्रधारी, कुबेर एवं मिट्टी तथा हड्डी से बने चौपड़ के पासे प्राप्त हुए हैं। लोहे से बनी वस्तुओं में हँसिया, लौहार, के प्रयोग के कई औजार, लटकने, वाले दीप मुख्य हैं। नलियासर (सांभर) में कुषाण एवं गुप्तकालीन भवनों के अवशेष भी प्राप्त हुये हैं। इन भवनों के प्रारुप को देखने से स्पष्ट ज्ञात होता है कि ई.पू की द्वितीय शताब्दी से लेकर नौवीं शताब्दी तक किस प्रकार के घरों में लोग निवास किया करते थे। जयपुर पुरातत्त्व विभाग द्वारा की गई खुदाई से पूर्व भी सांभर में लगभग सौ वर्ष पूर्व खुदाई की गई थी, जो अनुमानत: ई.पू तीसरी शताब्दी की थी। इस प्रकार सांभर में ईसा पूर्व की तीसरी शताब्दी से लेकर चौहान युग तक यहाँ संस्कृति पनपी एवं विकसित हुई। [6]

Jat Gotras

Notable persons

External Links

References

  1. Dr. Raghavendra Singh Manohar:Rajasthan Ke Prachin Nagar Aur Kasbe, 2010,p. 78
  2. Dr. Raghavendra Singh Manohar:Rajasthan Ke Prachin Nagar Aur Kasbe, 2010,p. 80
  3. Dr. Raghavendra Singh Manohar:Rajasthan Ke Prachin Nagar Aur Kasbe, 2010,p. 80
  4. https://www.india9.com/i9show/Naliasar-63178.htm
  5. भारतकोश-नलियासर
  6. भारतकोश-नलियासर