Phulera
Phulera (फुलेरा) is the name of a tahsil of Jaipur district with Hq. Sambhar in Rajasthan.
Location
Phulera is located at 26°52′N 75°14′E / 26.87°N 75.23°E / 26.87; 75.23. It has an average elevation of 387 metres (1269 feet).
Population
As per 2001 India census, Phulera had a population of 21,639. Males constitute 52% of the population and females 48%. Phulera has an average literacy rate of 73%, higher than the national average of 59.5%: male literacy is 83%, and female literacy is 62%. In Phulera, 13% of the population is under 6 years of age.
Villages in Phulera tahsil
Abhaipura (अभयपुरा), Agarpura (अगरपुरा), Aidan Ka Bas (आइदान का बास जोबनेर), Aidan Ka Bas (आइदान का बास भैंसलाना), Akoda (आकोदा), Ameepura (अमीपुरा), Anantpura (अनंतपुरा साम्भर), Asalpur (आसलपुर), Baberwalan Ki Dhani (बबेरवालों की ढाणी), Badhal (बधाल), Badhmathuradas (बाढ़ मथुरादास), Bag Ki Dhani (बाग़ की ढाणी), Bagawas (बागावास), Baghpura (बाघपुरा), Bagron Ka Bas (बागडों का बास), Bajiyon Ka Bas (बाजियो का बास), Bamniyawas (बामनियावास), Banshipura (बंशीपुरा), Basri Kalan (बासड़ी कलां), Basri Khurd (बासड़ी खुर्द), Bassi Jhajhra (बस्सी झाझडा), Bassinaga (बस्सी नागा), Beniya Ka Bas (बेणिया का बास), Bhadwa (भादवा), Bhagwatpura Phulera (भगवतपुरा), Bhainsawa (भैंसावा), Bhainslana (भैंसलाना), Bhasinghpura (भासिंहपुरा), Bhawasa (भावसा), Bhikhawas (भीखावास), Bhirawata (भिरावता), Bhojpura Kalan (भोजपुरा कलां), Bhojpura Khurd (भोजपुरा खुर्द), Bhookhron Ki Dhani (भूखरों की ढाणी), Bijarniyon Ka Bas (बिजारणियों का बास), Bobas (बोबास), Budhji Ka Bas (बुधजी का बास), Chainpura (चैनपुरा उर्फ चूल्यास), Chak Budhji Ka Bas (चक बुधजी का बास), Chak Jobner (चक जोबनेर), Chandpura (चन्दपुरा), Charanwas (चारणवास भोजपुरा कलां), Charanwas (चारणवास मुन्डियागढ़), Charanwas (चारणवास कन्देवली), Charanwas (चारणवास बासडी खुर्द), Charanwas (चारणवास डूंगरी कलां), Chhapri (छापरी), Chirnotiya (चिरनोटिया), Dakaniyawas (डाकनियावास), Deeppura (दीपपुरा), Deesa (डीसा), Dehra (डेहरा), Deva Ka Bas (देवा का बास), Devalya (देवल्या), Dhana Ka Bas (धाना का बास), Dhani Boraj (ढाणी बोराज), Dhani Chandpura (ढाणी चन्दपुरा), Dhani Nagan (ढाणी नागान), Dhinda (ढीण्डा), Dholya Ka Bas (धोल्या का बास), Dobri (दोबड़ी), Dodwadiyon Ka Bas (डोडवाड़ियों का बास), Dodwara (डोडवाडा), Dogiwalon Ka Bas (डोगीवालों का बास), Doongarsi Ka Bas (डूंगरसी का बास), Doongri (डूंगरी), Doongri Kalan (डूंगरी कलां), Doongri Khurd (डूंगरी खुर्द), Dyodhi (ड्योढ़ी), Gadri (गाडरी), Geeda Ka Bas (गीडा का बास), Gokulpura (गोकुलपुरा), Gopalpura Phulera (गोपालपुरा), Govindpura (गोविन्दपुरा), Gumanpura (गुमानपुरा माल्यावास), Gumanpura (गुमानपुरा करणसर), Gurha Kumawatan (गुढ़ा कुमावतान), Gurha Mansingh (गुढ़ा मानसिंह), Habaspura (हबसपुरा), Hachookra (हचूकड़ा), Haripura (हरीपुरा शार्दुलपुरा), Haripura (हरीपुरा कालख), Harnathpura (हरनाथपुरा), Harsoli (हरसोली), Hingoniya (हिंगोनिया), Hirnoda (हिरनोदा), Itawa Badhal (इटावा बधाल) or Itawa Renwal (इटावा रेनवाल), Itawa Tejya Ka Bas (इटावा तेज्या का बास), Jagmalpura (जगमालपुरा), Jaisinghpura (जयसिंहपुरा), Jaitpura (जैतपुरा), Janiyon Ka Bas (जाणियों का बास), Jawli (जावली), Jhalra (झालरा), Jobner, (M) (जोबनेर), Jorpura (जोरपुरा), Jorpura Jobner (जोरपुरा जोबनेर), Joshiwas (जोशीवास), Junsya Kalan (जुन्स्या कलां), Junsya Khurd (जुन्स्या खुर्द), Kabron Ka Bas (काबरों का बास), Kalakh (कालख), Kalyan (काल्याँ), Kanchroda (काचरोदा), Kandeoli (कन्देवली), Kanwarasa (कंवरासा), Kanwarpura (कंवरपुरा बोबास), Kanwarpura (कंवरपुरा रेनवाल), Karansar (करणसर), Kazipura (काजीपुरा), Kesa Ka Bas (केसा का बास), Khandel (खंडेल), Khatwari Kalan (खतवाड़ी कलां), Khatwari Khurd (खतवाड़ी खुर्द), Kheerwa (खीरवा), Khejrawas (खेजड़ावास), Kheri Aloopha (खेडी अलूफा), Kheri Milak (खेडी मिलक), Kheriram (खेडीराम), Khijooriya (खिजूरिया), Kishangarh Renwal, (M) (किशनगढ़ रेनवाल) Kishanpura @ Nathi Ka Bas (किशनपुरा नाथी का बास), Kochya Ki Dhani (कोच्या की ढाणी), Korhi (कोढ़ी), Korseena (कोरसीना), Kothera (कोठेड़ा), Kuchyawas (कूच्यावास), Kudiyon Ka Bas (कुड़ियों का बास), Lalasar (लालासर), Laxmipura (लक्ष्मीपुरा), Loharwara (लोहरवाड़ा), Looniyawas (लूणियावास), Machhar Khani (माछर खानी), Maheshwas (महेशवास), Majipura (माजीपुरा), Malikpura (मलिकपुरा), Malyawas (माल्यावास), Manda Bhimsingh (मंडा भीमसिंह), Mandpi (मंडपी), Manoharpura (मनोहरपुरा), Matera (मातेड़ा), Medpura (), Meendi (मीण्डी), Midkya (मिण्डक्या), Mohan Ka Bas (मोहन का बास), Mohanpura (मोहनपुरा), Moondoti (मून्डोती), Moondwara (मूण्डवाड़ा), Mordi Khurd (मोरड़ी खुर्द), Morooda (मोरूदा), Morsar (मोरसर), Mundiya Garh (मुंडिया गढ़), Murlipura (मुरलीपुरा), Nandri (नांदरी), Nangal (नांगल), Naradpura (नारदपुरा), Narayana (नरायणा), Nodalon Ki Dhani (नोदलों की ढाणी) Norangpura Sambhar (नौरंगपुरा), Pachkodiya (पचकोडिया), Paharpura (पहाड़पुरा), Palbas (पालवास), Panwa (पानवा), Peepli Ka Bas (पीपली का बास), Peethyawas (पीथ्यावास), Phulera, (M) (फुलेरा), Pratap Pura (प्रताप पुरा ड्योढ़ी), Pratap pura (प्रताप पुरा मून्डोती), Pratappura (प्रतापपुरा जोबनेर), Prempura Phulera (प्रेमपुरा), Prithvipura (पृथ्वीपुरा), Raghunandan Pura (रघुनन्दन पुरा), Ralawata (रलावता), Ramjipura Kalan (रामजीपुरा कलां), Ramjipura Khurd (रामजीपुरा खुर्द), Ramnagar (रामनगर), Rampura (रामपुरा मलिकपुरा), Rampura (रामपुरा बोबास), Rampura (रामपुरा करणसर), Ramsinghpura (रामसिंहपुरा), Ramsinghpura @ Sanga Ka Bas (रामसिंहपुरा सांगा का बास), Rasoolpura (रसूलपुरा), Ringi (रिणगी), Rojri (रोजड़ी), Roopsingh Ka Bas (रूपसिंह का बास), Salagrampura (सालागरामपुरा), Salehadi Pura (सलेहदी पुरा), Samalpura (सामलपुरा), Sambhar (M) (साम्भर लेक), Samdari (समदड़ी), Samota Ka Bas (सामोता का बास), Sankhla Ka Bas (सांखला का बास), Sanwat Ka Bas (सांवत का बास), Sardarpura (सरदारपुरा ढाकावाला), Sarthala (सरथला), Shambhoopura (शम्भूपुरा), Shardulpura (शार्दुलपुरा), Shekhpura (शेखपुरा), Shivaniya (शिवानिया), Sholawata (सोलावता), Shri Rampura (श्री रामपुरा), Shyami Ki Dhani (श्यामी की ढाणी), Shyampura (श्यामपुरा), Shyosinghpura (श्योसिंहपुरा फुलेरा), Shyosinghpura (श्योसिंहपुरा गुजरों का बास), Singhpuri (सिंहपुरी), Singla (सिंगला), Sinodiya (सिनोदिया), Sirohi Khurd (सिरोही खुर्द), Sitarampura (सीतारामपुरा), Sukhalpura (सुखालपुरा), Sunda Ki Dhani (सुंडा की ढाणी), Sundariyawas (सुन्दरियावास), Sunderpura (सुन्दरपुरा), Sundon Ka Bas (सुन्डों का बास), Surpura (सुरपुरा), Sursinghpura (सुरसिंहपुरा), Tejya Ka Bas (तेज्या का बास), Thakursi Ka Bas (ठाकुरसी का बास), Tibariya (तिबारिया), Turkyawas (तुरक्याबास जोबनेर), Turkyawas (तुरक्यावास रेनवाल), Tyod (त्योद साम्भर), Tyoda (त्योदा साम्भर), Vijai Govindpura (विजय गोविन्दपुरा),
Jat Gotras
History
जाटों का तैमूर से युद्ध
दलीप सिंह अहलावत[1] ने लिखा है कि मध्यएशिया में जाटों को परास्त करके तैमूर ने अपनी राजधानी समरकन्द में स्थापित की। उसने अपनी विशाल सेना से तुर्किस्तान, फारस, अफगानिस्तान आदि देशों को जीतकर भारत पर आक्रमण करने का निश्चय किया जो उस समय बड़ी अव्यवस्थित दशा में था। दिल्ली सल्तनत पर तुगलक वंश का अन्तिम बादशाह महमूद तुगलक था जो कि एक निर्बल शासक था। भारत में फैली हुई अराजकता को दबाने में वह असफल था। इस दशा से लाभ उठाते हुए तैमूर ने भारत पर आक्रमण कर दिया।
तैमूर ने सबसे पहले अपने पौत्र पीर मुहम्मद को सेना के अग्रभाग का सेनापति बनाकर भेजा। उसने सिन्ध को पार कर कच्छ को जीत लिया। उसने आगे बढ़कर मुलतान, दिपालपुर और पाकपटन को जीत लिया। इसके बाद वह सतलुज नदी तक पहुंच गया जहां वह अपने दादा के आने की प्रतीक्षा करने लगा। तैमूर ने 92000 घुड़सवारों के साथ 24 सितम्बर 1398 ई० में हिन्दुकुश मे मार्ग से आकर सिन्ध को पार किया। वह पेशावर से मुलतान पहुंचा। वहां से आगे बढ़ने पर खोखर जाटों से इसकी सख्त टक्कर हुई जिनको परास्त करके वह सतलुज नदी पर अपने पौत्र से जा मिला। मुलतान युद्ध में तथा आगे मार्ग में जाटों ने तैमूर का बड़ी वीरता से मुकाबला किया था। अब उसने भटनेर पर आक्रमण कर दिया जहां से उस पर जाटों का आक्रमण होने का डर
जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-377
था। भटनेर की स्थिति भटिण्डा से बीकानेर जाने वाले मार्ग पर थी[2]।
वाक़ए-राजपूताना, जिल्द 3 में लेखक मुंशी ज्वालासहाय ने लिखा है कि “भटनेर जो अब रियासत बीकानेर का भाग है, पुराने जमाने में जाटों के दूसरे समूह की राजधानी थी। ये जाट ऐसे प्रबल थे कि उत्थान के समय में बादशाहों का मुक़ाबला किया और जब आपत्ति आई, हाथ संभाले। भाटी जाटों की आबादी की वजह से इस इलाके का नाम भटनेर हुआ है। जो लोग मध्यएशिया से भारत पर आक्रमण करते थे, उनके मार्ग में स्थित होने से भटनेर ने इतिहास में प्रसिद्धि प्राप्त की है। तैमूर के आक्रमण का भी मुकाबिला किया।”
तैमूर ने भटनेर को जीत लिया और यहां पर अपने हाकिम चिगात खां को नियुक्त करके आगे को बढ़ा। इस हमले के थोड़े दिन बाद जाटों ने अपने राज्य को वापिस लेने हेतु अपने सरदार वीरसिंह या वैरीसाल के नेतृत्व में मारोट और फूलरा से निकलकर भटनेर पर आक्रमण कर दिया। विजय प्राप्त करके फिर से भटनेर को अपने अधिकार में ले लिया। [3]
वैरीसाल ने सत्ताईस वर्ष हुकुमत की और उसका बेटा भारू उसके बाद भटनेर का शासक हुआ। वैरीसाल के समय में चगताखां ने दिल्ली के बादशाह से मदद लेकर भटनेर पर चढ़ाई की। दो बार तो उन्हें हारकर लौटना पड़ा। तीसरी बार फिर चढ़ाई की। भटनेर के लोग हमलों से तंग आ गये थे, इसलिए भारू ने सुलह के लिए प्रार्थना की। कहा जाता है कि आखिर में भारू और उसके साथी मुसलमान हो गए। जब राठौर प्रबल हुए तो उनके सरदार रायसिंह ने भटनेर को जीत लिया। [4]
तैमूर के साथ जाटों ने बड़ी वीरता से युद्ध किए। इसीलिए तो उसने कहा था कि
- “जाट एक अत्यन्त मज़बूत जाति है। देखने में वे दैत्य जैसे, चींटी और टिड्डियों की तरह बहुत संख्या वाले और शत्रुओं के लिए सच्ची महामारी हैं।”
शाह तैमूर दस हजार चुनींदा सवारों के साथ जंगलों से भरे मार्गों से होकर टोहाना गांव में पहुंचा वह अपने विजय संस्मरणों में लिखता है कि
- “टोहाना पहुंचने पर मुझे पता लगा कि यहां के निवासी वज्र देहधारी जाति के हैं और ये जाट कहलाते हैं। ये केवल नाम से मुसलमान हैं, लेकिन डकैती और राहज़नी में इनके मुकाबिले की अन्य कोई जाति नहीं है। ये जाट कबीले सड़कों पर आने-जाने वाले कारवां को लूटते हैं और इन लोगों ने मुसलमान अथवा यात्रियों के हृदय में भय उत्पन्न कर दिया है।”
प्रथम अभियान में तैमूर जाटों को शान्त नहीं कर सका और उसे आगे बढ़कर अधिक सैनिक शक्ति का प्रयोग करना पड़ा। आगे वह लिखता है कि
- “वास्तव में हिन्दुस्तान विजय का मेरा उद्देश्य मूर्तिपूजक हिन्दुओं के विरुद्ध धर्मयुद्ध संचालन करने तथा मुहम्मद के आदेश अनुसार इस्लाम धर्म कबूल करवाने का रहा है। अतः यह आवश्यक था कि मैं इन जाटों की हस्ती मिटा दूं।”
तैमूर ने 2000 दैत्याकार जाटों का वध किया। उनकी पत्नी तथा बच्चों को बन्दी बनाया। पशु और धन सम्पत्ति लूटी। उनको दबाकर सन्तोष की श्वास ली। [5]
Notable persons
External links
References
- ↑ जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठ.377-378
- ↑ सहायक पुस्तक - मध्यकालीन भारत का संक्षिप्त इतिहास पृ० 161-163 लेखक ईश्वरीप्रसाद; हिन्दुस्तान का इतिहास उर्दू पृ० 186-189; जाटों का उत्कर्ष पृ० 115 लेखक योगेन्द्रपाल शास्त्री; जाट इतिहास पृ० 596-598, लेखक ठा० देशराज।
- ↑ Jat History Thakur Deshraj/Chapter_IX, p.602
- ↑ Jat History Thakur Deshraj/Chapter_IX, p.602
- ↑ ई० तथा डा० तुजुके तैमूरी भाग 3, पृ० 429 और शरफद्दीन अली यज्दी कृत जफ़रनामा, भाग 3, पृ० 492-493)।
Back to Rajasthan