Nawab Singh Tomar
Nawab Singh Tomar (Naik) became martyr of militancy in Badgam district of Jammu and Kashmir. He was awarded Kirti Chakra (posthumous) for his act of bravery. He was from Dhikana village in Baraut tahsil of Bagpat district in Uttar Pradesh.
Unit - 11 Rajputana Rifles
नायक नवाब सिंह तोमर
नायक नवाब सिंह तोमर
2874977P
कीर्ति चक्र (मरणोपरांत)
यूनिट - 11 राजपुताना राइफल्स
वीरांगना - श्रीमती कमलेश देवी
आतंकवाद विरोधी अभियान
नायक नवाब सिंह का जन्म उत्तरप्रदेश के मेरठ (वर्तमान बागपत) जिले की बड़ौत तहसील के ढिकाना गांव में श्री आलम सिंह तोमर एवं श्रीमती फूलवती देवी के परिवार में हुआ था। शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात वह भारतीय सेना की राजपुताना राइफल्स रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 11 राजरिफ बटालियन में राइफलमैन के पद पर नियुक्त किया गया था।
अपनी बटालियन में विभिन्न परिचालन परिस्थितियों और स्थानों पर सेवाएं देते हुए वह नायक के पद पर पदोन्नत हो गए थे। वर्ष 1993 में वह जम्मू-कश्मीर में तैनात थे।
9 अप्रैल 1993 को जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले के पोहर गांव में आतंकवादियों के छिपे होने की विश्वसनीय सूचना प्राप्त होने पर 11 राजपुताना राइफल्स बटालियन के सैनिकों ने घेरा और अन्वेषण (CORDON & SEARCH) अभियान चलाया। बटालियन की राइफल कंपनियों और कमांडो प्लाटून ने चार भिन्न-भिन्न दिशाओं से गांव में प्रवेश किया।
अपरान्ह लगभग 2:00 बजे आतंकवादियों की ओर से कमांडो प्लाटून पर प्रचंड गोली वर्षा की गई, जिसका प्लाटून के नेतृत्वकर्ता नायक नवाब सिंह तोमर ने तत्क्षण गोलियां चलाकर प्रत्युत्तर दिया। जब उन्होंने अवलोकन किया कि आतंकवादियों का एक समूह घेरा तोड़कर भागने का प्रयास कर रहा है, तो उन्होंने आतंकवादियों को भागने से रोकने के लिए अपने दल को अन्य स्थिति लेने का आदेश दिया।
अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की घोर उपेक्षा करते और भीषण फायरिंग में नायक नवाब सिंह ने गोलियां चलाकर एक आतंकवादी को मार दिया।
किंतु, इस भयानक प्रक्रिया में आतंकवादी द्वारा चलाई गोली उनके दांए हाथ में लग गई। भागने के लिए मरने पर उतारू आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं और भागने लगे। इस वीर सैनिक ने एक बार पुनः आतंकवादियों का पीछा किया और पेट में अनेक गोलियां लग जाने पर भी, उन्होंने आतंकवादियों पर आक्रमण किया और उनमें से दो को वहीं पर ही मार दिया।
इस प्रकार नायक नवाब सिंह ने अदम्य साहस और समर्पण के साथ युद्ध किया और निर्भीकता से सर्वोच्च बलिदान दिया। 26 जनवरी 1994 को उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र सम्मान दिया गया।
शहीद को सम्मान
चित्र गैलरी
स्रोत
संदर्भ
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