Nilagiri

From Jatland Wiki
(Redirected from Nilachala)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Nilagiri (नीलगिरि) is name of a place in Orissa, a district and a mountain in Tamilnadu

Origin

Variants

Jat Gotras

History

Nilagiri Odisha

Nilagiri is a town and a notified area committee in Balasore district in the Indian state of Odisha. Nilgiri is a very small town but replete with rich history and heritage. Its history can be traced back to paleolithic age. Its modern history is known for the growing consciousness of democracy and self-rule. At the dawn of the 20th century, peasants began to rise against the despotic king but such uprisings were crushed with brutal methods. However, those uprisings gained momentum with able leaderships and led to the first peasant movement of India.

Odisha freedom fighters like Balaram Raj, Shyamsundar Parida, Kailashchandra Mohanty, Banamali Das, Baishnab Patnaik, Brundaban Chandra Sadangi, Satish Chanrdra Das and Nanda Kishore Patnaik violently fought against the local prince and forced him to surrender to newly formed Indian National Government. This was the beginning of the process of 576 princely states joining Republic of India and thus the making of modern political India. In Odisha, people of Nilagiri celebrate this as "The Victorious Uprising of Nilagiri".[1]

नीलगिरि

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...1. नीलगिरि (AS, p.505): जैन संप्रदाय से संबंधित गुफाएं भुवनेश्वर से चार-पांच मील पर स्थित हैं. इनका निर्माण कार्य तीसरी सती ईसा पूर्व माना गया है. गुफाओं के पास घना वन्य प्रदेश है. नीलगिरि, खंडगिरि और उदयगिरि नामक गुफा समूह में 66 गुफाएं हैं जो दो पहाड़ियों पर स्थित हैं.

2. नीलगिरि (AS, p.505): दे. नलगोंडा

3. नीलगिरि (AS, p.505): सुदूर दक्षिण की प्रसिद्ध पर्वत श्रेणी. प्राचीन काल में यह है श्रेणी मलयपर्वत में सम्मिलित थी. कुछ विद्वानों का अनुमान है कि महाभारत, वनपर्व 254, 15 ('स केरलं रणे चैव नीलं चापि महीपतिम्') में कर्ण की दिग्विजय के प्रसंग में केरल तथा तत्पश्चात नील नरेश के विजित होने का जो उल्लेख है उससे इस राजा का नील पर्वत के प्रदेश में होना सूचित होता है.

4. नीलगिरि (AS, p.505): गुवाहाटी (असम) के निकट कामाख्या देवी के मंदिर की पहाड़ी जिसे नीलगिरि या नीलपर्वत कहते हैं.

5. नीलगिरि (AS, p.505) = नील (1) तथा (2)

नीलगिरि ज़िला

नीलगिरि एक भारतीय ज़िला है, जो मद्रास राज्य (वर्तमान चैन्नई) के पश्चिम भाग में है। इसका मुख्यालय ओत्तकमंदु है। इस ज़िले से पूर्व में मुख्यत: नीलगिरि के पर्वतीय क्षेत्र हैं। इसमें अनेक पहाड़ी नदियाँ हैं। यहाँ की पहाड़ी नदियाँ मोयार तथा भवानी नदियों में गिरती हैं। यह ज़िला शीतोष्ण कंटिबंधीय तथा तरकारियों के उद्यानों एवं प्रायोगिक कृषि क्षेत्रों से सुशोभित है। यहाँ मक्का, बाजरा, गेहूँ तथा जौ की खेती होती है। यहाँ सिनकोना के बाग़ान हैं। सिनकोना से कुनैन निकालने का कारखाना नाडुबट्टम में है। नीलगिरि ज़िला यूकेलिप्टस, चाय तथा कॉफ़ी के बाग़ानों से परिपूर्ण है। पायकारा जलविद्युत केंद्र प्रणाली का हेडवर्क यहीं पर है। यहाँ के प्रसिद्ध नगरों में ओत्तकमंदु, कूनूर तथा कोटागिरि मुख्य हैं। इस ज़िले की जनसंख्या का 30 प्रतिशत पहाड़ी जातियों का है, जिनमें कोटा तथा टोडा प्रमुख हैं। इसी नाम की एक देशी रियासत उड़ीसा में भी थी, जिसकी राजधानी का नाम 'राज नीलगिरि' था।[3]

नीलगिरि पहाड़ियाँ

नीलगिरि पहाड़ियाँ तमिलनाडु राज्य का पर्वतीय क्षेत्र है। यह सुदूर दक्षिण की पर्वत श्रेणी है। इन पहाड़ियों पर पश्चिमी एवं पूर्वी घाटों का संगम होता है। प्राचीन काल में यह श्रेणी मलय पर्वत में सम्मिलित थी। कुछ विद्वानों का अनुमान है कि महाभारत, वनपर्व 254, 15 ('स केरलं रणे चैव नीलं चापि महीपतिम्') में कर्ण की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में केरल तथा तत्पश्चात् नील नरेश के विजित होने का जो उल्लेख है, उससे इस राजा का नील पर्वत के प्रदेश में होना सूचित होता है।

भौगोलिक तथ्य: दोदाबेटा नीलगिरि पहाड़ियों की सर्वोच्च चोटियों में गिनी जाती है। भारत की टोडा जनजाति इस पर्वत श्रेणी के ढलानों पर रहती है। नीलगिरि पहाड़ियों को 'ब्लू माउण्टेन्स' भी कहा जाता है। इसकी चोटियाँ आस-पास के मैदानी क्षेत्र से अचानक उठकर 1,800 से 2,400 मीटर की ऊँचाई तक पहुँचती हैं। इनमें से एक 2,637 ऊँची दोदाबेटा चोटी तमिलनाडु का शीर्ष बिन्दू है।नीलगिरि पहाड़ियाँ पश्चिमी घाटी का हिस्सा हैं और नोयर नदी इन्हें कर्नाटक के पठार (उत्तर) तथा पालघाटी इन्हें अन्नामलाई, पालनी पहाड़ियों (दक्षिण) से अलग करती है।

वनस्पति: नीलगिरि पहाड़ियाँ आस-पास के मैदानी क्षेत्र के मुक़ाबले ठंडी और नम हैं। ऊपरी पहाड़ियाँ लहरदार घास के क्षेत्रों का निर्माण करती हैं। इन पर चाय, सिनकोना (पेड़ और झाड़ियाँ, जिनकी छाल से कुनैन मिलता है), कॉफ़ी और सब्ज़ियों की व्यापक खेती होती है।

संदर्भ: भारतकोश-नीलगिरि पहाड़ियाँ


External links

References