Nopa Ram Khichar

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Nopa Ram Khichar

Nopa Ram Khichar (Subedar) (24.06.1951 - 12.02.1991) became martyr of militancy in Amritsar Punjab on 12.02.1991. He was from village Bhuma Bara, tahsil Laxmangarh, district Sikar, Rajasthan. He was awarded Kirti Chakra for his act of bravery. [1] Unit - 18 Jat Regiment

सूबेदार नोपा राम खीचड़

सूबेदार नोपा राम खीचड़

JC169170K

24-06-1951 - 12-02-1991

कीर्ति चक्र (मरणोपरांत)

वीरांगना - श्रीमती सरस्वती देवी

यूनिट - 18 जाट रेजिमेंट

आतंकवाद विरोधी अभियान

सूबेदार नोपा राम का जन्म 24 जून 1951 को राजस्थान के सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ तहसील के भूमा बाड़ा गांव में श्री हुणता राम खीचड़ एवं श्रीमती अणची देवी के परिवार में हुआ था। शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात 24 जून 1968 को वह भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 18 जाट बटालियन में सिपाही की पद पर नियुक्त किया गया था।

उन्होंने अपने सेवाकाल में पूर्वोत्तर भारत के विद्रोह विरोधी अभियानों में, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में, ऑपरेशन बैटल एक्स, ऑपरेशन जेवलिन, जम्मू-कश्मीर और पंजाब के आतंकवाद विरोधी अभियानों में ऑपरेशन रक्षक में सेवाएं प्रदान की थी। वर्ष 1991 में वह पंजाब में तैनात थे।

12 फरवरी 1991 को 18 जाट बटालियन का त्वरित प्रतिक्रिया दल (QRT) अमृतसर जिले के माललियान गांव के निकट मेघा नाले के छोर पर गश्त लगा रहा था। सूबेदार नोपा राम भी इस गश्ती दल के सदस्य थे। आकस्मिक उन्होंने एक व्यक्ति को संदेहास्पद स्थिति में एक फार्म हाऊस से निकलते हुए देखा। दल के कंमाडर ने तत्क्षण उस संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ने के लिए योजना निर्मित की। दल तीन भागों में विभाजित हो गया, एक अधिकारी के अधीन दो दल उस संदिग्ध को घेरने के लिये नाले के दोनों छोर की ओर बढे।

तृतीय दल ने सूबेदार नोपा राम के अधीन संदिग्ध को पकड़ने के लिए उसका पीछा किया। उस क्षेत्र में गन्ने की फसल, सफेदे (यूकेलिप्टस) के वृक्षों ओर खेती-बाड़ी के कारण से अत्यंत ही झाड़-झंखाड़ थे, जो उस संदिग्ध व्यक्ति के छिपने में सहायक हो रहे थे। अपने को घिरा पाकर वह संदिग्ध व्यक्ति एके-47 राइफल से फायर करने लग गया। सूबेदार नोपा राम के अधीन दल ने फायरिंग का प्रत्युत्तर नहीं देते हुए उसका पीछा कर अंतर को अल्प किया।

सूबेदार नोपा राम के तेज धावक होने के कारण उनके और उस संदिग्ध के मध्य केवल 10 मीटर का अंतर ही रह गया था। संदिग्ध को जीवित पकड़ने के लिए सूबेदार नोपा राम ने गोली चलाकर उसे घायल कर दिया। उस आतंकवादी ने भी प्रत्युत्तर में फायरिंग की जिससे सूबेदार नोपा राम घायल हो गए। सूबेदार नोपा राम ने पाया कि उनके आग्नेयास्त्र की मैगजीन रिक्त हो चुकी है।

मैगजीन परिवर्तन करने का समय नहीं देख, वे उस आतंकवादी पर झपटे और प्रबलता से उसकी एके-47 की बैरल को पकड़ लिया। गंभीर रूप से घायल होते हुए भी उन्होंने आतंकवादी को पकड़े रखकर कर अपनी दृढ़ता का परिचय दिया। शरीर से अनवरत हो रहे रक्तस्राव के कारण वह आतंकवादी उनको घसीटते हुए आगे बढ रहा था।

उस समय तक उनके द्वितीय दल के साथी उनके निकट पहुंच गये व उन्होंने फायरिंग कर उस आतंकवादी को मार दिया। वह आतंकवादी खालिस्तान कमांडो फोर्स का स्वयं-भू एरिया कमांडर श्रवण सिंह माता था। मृत आतंकवादी से एके-47 राइफल, प्रचुर मात्रा में गोला-बारूद व खालिस्तान कमांडो फोर्स से संबंधित आलेख (DOCUMENTS) पाए गए। अंततः अपने घातक घावों के कारण सूबेदार नोपा राम वीरगति को प्राप्त हो गए।

सूबेदार नोपा राम को उनके असाधारण साहस, दृढ़ निश्चय एवं वीरता के लिए मरणोपरांत "कीर्ति चक्र" सम्मान दिया गया। वर्ष 1996 में राज्य सरकार द्वारा उनकी स्मृति में गांव के राजकीय विद्यालय का नाम "शहीद नोपाराम राजकीय माध्यमिक विद्यालय, भूमा बाड़ा" किया गया।

Source - Ramesh Sharma

नोपाराम खीचड़ का जीवन परिचय

खीचड़ कुल के पुरोधा - श्री नोपाराम जी खीचड़ का जन्म श्री हुणताराम जी खीचड़ के घर आँगन में माताश्री अणची देवी की कोख से दिनांक 24/6/1951 को गाँव भूमा बडा़ तहसील लक्षमणगढ जिला सीकर राजस्थान में हुआ था. इनका अपने परिवार में बडे भाईयो ईश्वर राम जी, नत्थू सिंह जी व रामेश्वर लाल जी के सानिध्य में लालन पालन वीर रस की कहानियां सुनते हुआ| ये बचपन से ही निडर, जुझारू व मेहनती स्वभावी थे.

इन्होने अपनी स्कूली शिक्षा खुद के गाँव के राजकीय प्राथमिक शाला में योग्य शिक्षकों के सानिधय में ली. आगे की उच्च स्तर की शिक्षा के लिये शिक्षा की अलख जगाने वाले नजदीकी राजकीय माधयमिक स्कूल, बाटडानाऊ (लक्षमणगढ) में दाखिला लेकर दसवीं कक्षा पास की थी.

श्री नोपाराम जी खीचड का विवाह पलथाना गांव मे बुरडक परिवार की श्रीमती सरस्वती देवी से हुआ था.

अपने जुझारू, वीर स्वभाव व देश प्रेमी जज्बे के कारण इन्होने 17 साल की उम्र में 24/6/1968 को जाट रेजीमेन्ट में सिपाही के पद पर सेना मे भरती हो गये.

अपनी योग्यता, दक्षता व कार्य निपुणता के चलते वे सुबेदार का पद (आर्मी नंबर__JC_169170 K) प्रापत किया.

देश सेवा के तहत भारत की अखंडता व सुरक्षा के लिये इन्होने सेना के अनेक आपरेशनों में भाग लिया.

1. Entered fsca (J&K) on 07/8/1969 to 01/7/1970 ,

2. Operation cactus lily on 15/8/1971. to. 23/7/1972.

3. C A( j&K). on 15/11/1980. to. 18/11/1981.

4. Op. Battle ox on 01/10/1974 to 10/11/1979.

5. HA/UCC area ( j&k) on 01/01/1982 to 01/4/1982.

6. FSCA( j&k ) on 10/11/1982 to 08/07/1983.

7. FSCA (Nefa) on 27/8/1986 to 23/9/1986.

8. Op. Javelin on 23/9/1986 to 24/6/1988.


श्री नोपाराम जी खीचड का भारत माता को सुरक्षा देने व आतंकी सफाया अभियान के अनुभव को देखते हुये पंजाब में एक ओर सुरक्षा अभियान (Op. Rakshak on 10/12/1990 to 12/2/1991) की जिम्मेदारी सौंपी गयी, जिसके तहत उन्होने अपने जीवन का उच्चतम योगदान देकर अपने प्राण भारत भूमी की रक्षा के लिये न्यौछावर कर दिये.

भारतीय सेना ने उनके योगदान को देखते हुये अनेक मैडल प्रदान किये.

1. Awarded GS medal 1947 with clasp(Mizo Hills).

2. 9 years long service medal,Sainya seva medal with clasp (Himalaya Pashimi star,

3. 25th independence anniversary medal clasp (j&k).

4. UCHCH TUNGTA medal

व कई अन्य मैडल भी दिये गये.

अपने भारत माता की सुरक्षा के अन्तिम अभियान में अपने प्राण न्यौछावर करने पर भारत सरकार ने Kirti Chakra (Posthomous) से नवाजा.

उनके अन्तिम सुरक्षा अभियान का विवरण

12 फरवरी 1991 को 18 जाट रेजीमेनट का त्वरित जबाबी कारवाई दल अमृतसर जिले के माललियान गांव के निकट भारी मेघा नाले के किनारे किनारे गश्त लगा रहा था. सुबेदार नोपाराम जी खीचड इस गश्ती दल के सदस्य थे. उन्होने एक आदमी को संदेहास्पद स्थिती में एक फार्म हाऊस से निकलते देखा. उस संदिग्ध व्यक्ति को पकडने के लिये, दल के कंमाडर ने तत्काल योजना बनाई. दल तीन भागों में बंट गया, एक एक अफसर के अधीन दो दल उस संदिग्ध को घेरने के लिये नाले के दौनो किनारो की ओर बढे. तीसरे दल ने सुबेदार नोपाराम जी खीचड के अधीन उसको पकडने के लिये पिछा किया.उस क्षेत्र में गन्ने की फसल ,सफेदे के वृक्षों ओर खेती बाडी की वजह से बहुत ही झाड़-झकाड़ था, जो कि संदिग्ध का मददगार बन रहा था. संदिग्ध अपने को घिरा देखकर अपनी ए.के.47 असालट से फायर करने लग गया.| सुबेदार नोपाराम जी के अधीन दल ने फायरिंग का जबाब दिये बिना उसका पिछा कर दूरी कम की.

नोपाराम जी खीचड के तेज धावक होने के कारण पिछा करते हुये उनके बीच दूरी केवल 10 मीटर की ही रह गयी थी , तब उसको जिन्दा पकडने के लिये गोली मारकर घायल कर दिया. उस उग्रवादी ने भी जबाबी फायरिंग की जिससे सुबेदार नोपाराम जी खीचड घायल हो गये. नोपाराम जी खीचड को पता चला कि उनकी मैगजीन खाली हो चुकी है व बदलने का समय कम देखकर वे उग्रवादी पर झपट पडे ओर उसकी A.K.47 की बैरल को कस कर पकड लिया. गंभीर रुप से घायल होने के बावजूद भी उग्रवादी को पकडे रखकर कर अपनी वीरता का परिचय दिया. लगातार हो रहे रक्तश्राव के कारण उग्रवादी उनको घसीटते हुये आगे बढ रहा था. तब तक उनके दूसरे दल उनके पास पहुंच गये व उन्होने फायरिंग कर उग्रवादी को मार गिराया. यह उग्रवादी खालिस्तान कमांडो फोर्स का सवयं-भू एरिया कमांडर श्रवण सिंह माता था. उसके पास से ए के-47 राईफल, बडी मात्रा में गोलाबारुद व खालीस्तान कमांडो फोर्स के दस्तावेज बरामद किये. परन्तु साहसी वीर श्री नोपाराम जी खीचड अपने घावों की वजह से वीरगति को प्राप्त हुये.

इस प्रकार सुबेदार नोपाराम जी खीचड ने वीरता का परिचय दिया और सेना की उच्चतम परम्परा के अनुरुप अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान देकर भारत भूमि की रक्षा करते हुये खीचड कुल का नाम रौशन किया. आपसे आने वाली पिढियों व नस्लों को प्रेरणा मिलती रहेगी.

शहीद को सम्मान

राजस्थान सरकार ने भी श्री नोपाराम जी खीचड के सर्वोच्च बलिदान को देखते हुये रा. मा. विधयालय भूमा बडा के नाम को उनके नाम पर. 1996 में शहीद नोपाराम रा. मा. विधयालय, भूमा बडा रखकर कर उनके नाम को अमरत्व प्रदान किया .

शहीद नोपाराम जी का परिवार

आज शहीद नोपाराम जी खीचड़ के परिवार में एक पुत्र श्री ओमप्रकाश खीचड़ हैं व व 5 लडकियाँ सुमित्रा , सन्तोष ,मुन्नी, सरोज व प्रियंका हैं. वर्तमान में ओमप्रकाश खीचड़ शिक्षा विभाग में L.D.C.हैं.

स्रोत

  • प्रबोध खीचड़, खीचड़ों की ढाणी, बछरारा, रतनगढ़, चुरू, राजस्थान. (Mob: 9414079295, Email: prabodhkumar9594@gmail.com) (5/8/2017).

चित्र गैलरी

External links

References

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