Ratangarh

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Location of Ratangarh in Churu district

Ratangarh (रतनगढ) is a town and tahsil of Churu district in Rajasthan, India. Ratangarh is famous for grand havelis with frescoes, which is specialty of the Shekhawati region. Ratangarh is also famous for its handicraft work.

Origin of name

Its old name was Kohlasar, founded by Chieftain Kolha (11th century) descendant of Kansupal Kaswan. The name Kolasar was converted to present name Ratangarh by Raja Surat Singh in name of his son Kunwar Ratan Singh in 1803.[1] It was part of ancient Jangladesh region.

Geography

Ratangarh is located at 28.08|N|74.6|E[2]. It has an average elevation of 312 metres. It is midway between Jaipur and Bikaner on National Highway-11.

Ratangarh is situated in the Thar Desert. There are so many Temples in Ratangarh, That's why Ratangarh is called "Kashi" of Rajasthan. Ratangarh is not situated in planes but on the "Dhora's" (Big sand dunes). Even the colonies in town are named after these "Dhoras" like "Holi dhora".

Jat Gotras

List of Villages in Ratangarh tehsil

Location of Ratangarh in Churu district

Abadsar, Alsar, Alsar Bas, Bachharara Bara, Bachharara Chhota, Badhan Ki Dhani, Balrampura, Bandwa, Barjangsar, Biramsar, Bhanuda Bidawatan, Bhanuda Charan, Bharpalsar Bidawatan, Bharpalsar Charan, Bharpalsar Ladkhaniyan, Bhawandesar, Bhinchari, Bhojasar, Bhukhredi, Binadesar Bidawatan, Binadesar Siddhan, Budhwali, Chainpura, Chak Jaleu, Chak Ratangarh, Champawa, Charanwasi, Chhabri Khari, Chhabri Meethi, Chhajusar, Chhotriya, Dassusar, Daudsar, Dipsar, Derajsar, Devipura, Fransa, Ghumanda, Gogasar, Golsar, Gopalpuriya, Gorisar, Gusainsar, Hamusar, Hansasar, Hanumanpura, Hardesar, Haripura, Hudera Agoona, Hudera Athoona, Hudera Siddhan, Jaitsar, Jaleu Bari, Jaleu Chhoti, Jaleu Ratangarh, Jandwa, Jegniya Bidawatan, Jegniya Bikan, Jorawarpura, Kadiya, Kangar, Kanwari, Khariya, Kothdi, Khudera Beekan, Khudera Bidawatan, Khudera Charan, Kusumdesar, Lachhasar, Ladhasar, Loha, Lunsar, Lunch, Malasar, Malpur, Melusar, Mainasar, Molisar Chhota, Nausariya, Nunwa, Pabusar, Parihara, Parihari, Parsneu, Payli, Prem Nagar, Raghunathpura Ratangarh, Rajaldesar, Ratangarh, Ratansara, Ratnadesar, Rukhasar, Sangasar, Sanwatiya, Sathro, Sitsar, Sehla, Sikrali, Simsiya Bidawatan, Simsiya Purohitan, Sulkhaniya, Thathawata, Tidiyasar,

History

Ram Sarup Joon[3] writes that this area was ruled by Kaswan Jats. Kushan, Kasva: This appears to be a distorted form of Kushana. They have 350 villages in a compact group in Bikaner. Previously Sidmukh was their capital which was occupied by the Bika and the Godara Jats. Ratangarh and Churu were their territories. They had 2000 camel riders in their army.

रतनगढ़ का प्राचीन इतिहास

रतनगढ़ तहसील का इतिहास और इसकी संस्कृति अति प्राचीन है। इसको राजस्थान की काशी के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन काल में यह जांगलदेश और बागड़देश का हिस्सा था।

रतनगढ़ का पुराना नाम: रतनगढ़ का पहला नाम कोहलासर था। जो कोहला नाम के कसवा जाट ने 11 वीं शदी में बसाया था। कसवा रतनगढ़ और चुरू के शासक थे। कसवा वास्तव में कुषाण का ही परिवर्तित नाम है। प्रथम शदी ईस्वी में कुषाण साम्राज्य का उदय काबुल में हुआ था। कुषाण शासक अपने को राम के पुत्र कुश के वंशज मानते हैं। ऋग्वेद में कुसावा (IV.18.8.) नाम की एक नदी का उल्लेख है जिसे बाद में कुनार नाम से जाना गया। सीथियन जाटों ने ही कुनार, कुररम, कुमल, कुनिहार आदि नदियों को नाम दिये। ये नदियां सिंधु नदी से लेकर पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में हैं। सीथियन जाटों की भाषा में ‘कु’ का अर्थ ‘पानी’ होता था। इसीलिए जाटों में जन्म के समय कुवा पूजन की परंपरा है। कुषाण शासक कनिष्क (127-162 ई.) ने अपना राज्य विस्तार मथुरा तक कर लिया था। कुषाण शासन का अंत होने पर यहाँ यौधेय शासक बन गए। यौधेय का ही परिवर्तित नाम जोहिया था जो बीकानेर संभाग में राठौड़ों से पहले तक शासक रहे। कसवां जाटों का प्रमुख ठिकाना सीधमुख था और कसवां कंवरपाल उनका मुखिया था तथा 400 गाँवों पर उसकी सत्ता थी। 19 अगस्त 1068 को कंवरपाल कसवा सीधमुख आया था। कंसुपाल के बाद कोहला सीधमुख के शासक हुए। कोहला ने ही कोहलासर बसाया।

12वीं शदी के अंत में सुहाग या सिहाग वंशी कोडखोखर नाम का सरदार उदयपुर रियासत से चलकर ददरेवा में आ बसा। उसके पिता का नाम पल्लू राणा था। कोडखोखर बाद में पल्लू में आ बसा और किला बनाया जिसका नाम पल्लूकोट रखा। पल्लूकोट और ददरेवा के आस-पास कुल भूमि पर आधिपत्य जमा लिया। रतनगढ़ उनके अधीन था। [4]

Text
सवत 1309 मत ब-
साष सूद १ रठड नर-
हरदास र सत पहड़
कसन ईस सत चढ़
Hudera Jogian Sati pillar of s.v. 1309 (1252 AD)[5]

रतनगढ़ के पास सिहाग और राठौड़ों में संघर्ष हुआ। डॉ. गोपीनाथ शर्मा[6] लिखते हैं कि राठौड़ों का संवत 1309 (1252 ई.) का सती स्मारक शिलालेख एक प्राचीन मठ में रतनगढ़ रेलवे जंक्सन के निकट हुडेरा जोगियां का बास में स्थित है। यह स्मारक लगभग डेढ़ फुट लम्बा और पौन फुट चौड़ा है। इस पर हाथ में खांडा लिए एक घुड सवार उत्कीर्ण है और उसके आगे एक सती हाथ जोड़े खड़ी है। इसके नीचे एक लेख है जिसका आशय यह है कि संवत 1309 वैशाख सुदी 1 को राठोड़ नरहरिदास की स्त्री पोहड़ (भाटी जाट की एक शाखा) किसना यहाँ सती हुई। इसका महत्व पूर्ण निष्कर्ष यह है कि राठोड़ इस क्षेत्र तक पहुँच गए थे तथा उनके वैवाहिक सम्बन्ध भाटी जाटों से होते थे और सती प्रथा का प्रचलन था। इससे बड़ी बात यह है की रावसीहा (राठोड शाखा का प्रमुख प्रवर्तक) की देवली स.1330 (1273 ई.) से भी यह प्राचीन पड़ती है।

रतनगढ़ का नामकरण: ठाकुर देशराज[7] ने लिखा है ....चौधरी रामूराम, चौधरी हरीश्चंद्र जी के पिताजी, अन्य लोगों की तरह अशिक्षित नहीं थे। रतनगढ़ में एक साधू मोतीनाथ जी से शिक्षा प्राप्त की थी। रतनगढ़ का पहला नाम कोहलासर था। जो कि कुम्हारों की बस्ती होने के कारण मशहूर थी। सिहाग जाटों का जब यहाँ से स्वामित्व समाप्त हो गया तो राठौड़ नरेश सूरत सिंह ने अपने पुत्र रतन सिंह के नाम पर रतनगढ़ रखा। इन राजाओं ने अनेक जगहों के नाम इसी प्रकार पुराने नाम बादल कर अपने वंशजों के नाम पर रख दिये। भटनेर जैसे इतिहास प्रसिद्ध नगर का नाम बादल कर हनुमानगढ़ और रामनगर का नाम गंगानगर बना दिया।


ठाकुर देशराज[8] ने लिखा है... प्रथम महायुद्ध में बीकानेर की रतनगढ़ तहसील के 351 जाट फौज में भर्ती हुये उनमें से 64 जाटों को पेंशन मिलती है जो दो पीढ़ी तक चलेगी। यह पेंशन अङ्ग्रेज़ी सरकार की तरफ से मिली।

रतनगढ़ तहसील की संस्कृति

रतनगढ़ तहसील की संस्कृति अति प्राचीन है | बीकानेर संग्रहालय में रखा हुआ रतनगढ़ क्षेत्र में प्राप्त 11 वीं सदी का प्रस्तर फलक (नृत्यलीला) एवम् संवत 1309 अंकित सती देवली जो गाँव हुडेरा में है इसके जीवन्त प्रमाण है | रतनगढ़ नगर की स्थापना बीकानेर रियासत के तत्कालीन महाराज सुरतसिंह ने अपने पुत्र रतनसिंह के नाम पर की थी | इसके पहले यहाँ कोलासरराजीया की ढाणीयाँ थी | मठ्ठाधीश शिवालय (16 वीं शताब्दी - कोलासर) साधुओं की बगीची, की सराफों की हवेली की आज भी कोलासरराजीयों की ढा़णी की सौगात के रुप में दो शताब्दियों के बाद भी मौजूद है | क्षेत्र की भाषा डिंगलयुक्त राजस्थानी है |[9]

भूगोल

रतनगढ़ संभाग भारत गणराज्य के राजस्थान प्रान्त के चूरु मन्डल का उपमन्डल है जिसमें रतनगढ़ व सुजानगढ़ तहसीलें शामिल हैं| इसके उत्तर पूर्व में चूरु, उत्तर में सरदारशहर, दक्षिण में सुजानगढ (चूरु जिला) पश्चिम में श्री डूंगरगढ़ व दक्षिणपूर्व में फतेहपुर (लक्ष्मणगढ़) तहसील की सीमायें है| 27.5 डिग्री उत्तर अक्षांस व 34.37 डिग्री पूर्व देशान्तर में राजस्थान के उत्तरपूर्व भाग में रतनगढ़ की स्थिति समुद्रतल से औसतन उँचाई 308 मीटर है| तहसील का कुल क्षेत्रफल 169976 हेक्टर है जिसमें कृषी वा चरागाह की भूमि प्रायः 150000 हेक्टर है| पठार के नाम पर बिरमसर की डूंगरी है| भूमि बालुकामय है| सन् 2007 को जनगणना सर्देक्षण के अनुसार तहसील की जनसंख्या एकमात्रनगर रतनगढ़ के 63463, मात्र कस्बे राजलदेसर की 22736, उपकस्बा पड़िहारा व 101 गाँवों की 157030 यानि कुल जनसंख्या 244330 थी। तहसीलके मूलनिवासी बहुत बड़ी तादाद में प्रवासी बन गये है जो उपरोक्त गणना में शामिल नही है।[10]

जाट बौद्धिक मंच: जाट समाज की प्रतिभाओं का सम्मान 27.12.2012

जाट बौद्धिक मंच के तत्वावधान में 27 दिसंबर को किसान छात्रावास में समाज की प्रतिभाओं का सम्मान किया जाएगा। मंच के सचिव मुकंदाराम नेहरा ने बताया कि 2011-12 में बोर्ड में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी व राजकीय सेवा में नवनियुक्त हुए अभ्यर्थी, सेवानिवृत कार्मिक, राष्ट्रीय स्तर पर खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ी तथा आईआईटी, एमबीबीएस में चयनित प्रतिभाओं को सम्मानित किया जाएगा। नेहरा ने बताया कि पात्र अभ्यर्थी अपने प्रमाण पत्र मंच के पदाधिकारियों के पास जमा करवा सकते हैं। [11]

जाट बौद्धिक मंच के तत्वावधान में 27 दिसंबर को किसान छात्रावास में जाट समाज की प्रतिभाओं का सम्मान किया जाएगा। मंच के सचिव मुकंदाराम नेहरा ने बताया कि सम्मान समारोह की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अजय चौधरी करेंगे। मुख्य अतिथि एसडीएम पीएल जाट, विशिष्ट अतिथि डॉ. घासीराम महिया, प्राचार्य एचआर ईशराण होंगे। समारोह में कक्षा 10, 12 में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त, आईआईटी, एमबीबीएस में चयनित विद्यार्थी, राष्ट्रीय स्तर पर खेलकूद प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ी व सिविल सेवाओं में नियुक्ति प्रतिभाओं का सम्मान किया जाएगा।[12]

प्रतिभा सम्मान समारोह 19.10.2014 को

रतनगढ़|जाटबौद्धिक मंच की ओर से तहसीलस्तरीय सम्मान समारोह का आयोजन 19 अक्टूबर को ग्रामीण किसान छात्रावास में होगा।

सेवानिवृत्त वन अिधकारी लक्ष्मणराम बुरड़क के मुख्य आतिथ्य में होने वाले कार्यक्रम में तहसील के जाट समाज के 2013-14 में बोर्ड परीक्षाओं में 75 प्रतिशत से अिधक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का सम्मान किया जाएगा। आयोजन को लेकर तैयारियां कर ली गई है। सम्मान समारोह को लेकर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। मुकंदाराम नेहरा ने बताया कि समारोह के अंतर्गत मेडिकल, आईआईटी में चयनित विद्यार्थी, राज्य केंद्र की सिविल सेवाओं में चयनित अभ्यर्थियों का भी सम्मान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सम्मानित होने वाले विद्यार्थी अपनी अंक तालिका प्रमाण पत्र मंच के पदाधिकारियों को जमा करवा सकते हैं। [13]

जाट बौद्धिक मंच और प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ: दिनांक 19.10.2014

जाट बौद्धिकमंच और प्रतिभा सम्मान समारोह दिनांक 19.10.2014

रतनगढ में जाट बौद्धिकमंच और प्रतिभा सम्मान समारोह दिनांक 19.10.2014 को ग्रामीण किसान छात्रावास रतनगढ में आयोजित किया गया. समारोह में 10 वीं और 12 वीं कक्षा में 75 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले प्रतिभावान बच्चों को सम्मानित किया गया.

समारोह में उपस्थित मुख्य महानुभाव थे -

लक्ष्मण राम बुरड़क - मुख्य अतिथि

दूला राम सहारण - विशिष्ठ अतिथि

ताराचंद पायल - अध्यक्ष

भंवर लाल डूडी - अध्यक्ष जाट बौद्धिक मंच

मुकंदा राम नेहरा - सचिव

पूरा राम गांधी - कार्यक्रम संचालक

कार्यक्रम में सम्मानित विद्यार्थी:

हेत राम धेतरवाल - आइ आइ टी में चयन

शुभम हुड्डा - एम बी बी एस में चयन

अनिता डूडी - एम बी बी एस में चयन

भानी राम सारण - एम बी बी एस में चयन

कमलेश खीचड़ - एम बी बी एस में चयन

पूनम खीचड़ - बी वी एस में चयन

राकेश बिजारणिया - राज्य सेवा में चयन

रुकमा नंद भींचर - राज्यपाल द्वारा सम्मानित शिक्षक

जाट बौद्धिक मंच और प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ पर भास्कर समाचार

सन्दर्भ: भास्कर समाचार दिनांक 20.10.2014 [14]

मेहनत सफलता का मूलमंत्र : बुरड़क :

कड़ीमेहनत सफलता का मूलमंत्र है। विद्यार्थियों को चाहिए कि वे लगातार मेहनत करते रहे, निश्चित रूप से सफलता मिलेगी। ये विचार सेवानिवृत वन अिधकारी लक्ष्मणराम बुरड़क ने रविवार को किसान छात्रावास में जाट बौद्धिक मंच के तत्वावधान में हुए प्रतिभा सम्मान समारोह में व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि जीवन में प्रयास करने पर कोई कोई देवदूत अवश्य मिलता है। सामाजिक कुरीतियों को त्यागने पर बल देते हुए कहा कि दहेज प्रथा, मृत्यु भोज, छूछक एवं नशा समाज की बुराइयों में से हैं, जिसे हमें मिटाना चाहिए। कार्यक्रम के अध्यक्ष ताराचंद पायल ने कहा कि शिक्षा से ही समाज का उन्नति करता है, विद्यार्थियों को चाहिए कि वे प्रतियोगी परीक्षाओं में अिधक से अिधक लाभ ले। उन्होंने कहा कि वर्तमान में खेती और मजदूरी से पेट नहीं भरता।हमें हमारे युवाओं को उच्च शिक्षा की ओर बढ़ाना चाहिए। उन्होंने अंग्रेजी के अध्ययन पर भी बल दिया।

साहित्यकार दूलाराम सहारण ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में समाज के लोगों के साथ हो रहे भेदभाव पर बोलते हुए कहा कि इतिहास के पन्नों में समाज से जुड़े प्रसंगों का कहीं भी उल्लेख नहीं है। उन्होंने आह्वान किया कि समाज के युवा लेखन पत्रकारिता के क्षेत्र में भी आगे बढ़े। पूर्व एसीपी दुर्गादत्त सिहाग ने कहा कि इस तरह के आयोजन अन्य लोगों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। कार्यक्रम को सुगनचंद कटेवा, गिरधारीलाल खीचड़, नरेश गोदारा, महेंद्र, दौलतराम सहारण, रेवंतराम डूडी ने भी संबोधित किया।

जाट बौद्धिक मंच के अध्यक्ष भंवरलाल डूडी सचिव मुकंदाराम नेहरा ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। पूराराम गांधी के संचालन में हुए कार्यक्रम में इंद्राज खीचड़, रामलाल सिहाग, सज्जन बाटड़, नानूराम बिरड़ा, भंवरलाल बिजारणियां, महावीर सिहाग, शिवलाल ढ़ेवा, सोहनलाल चबरवाल, रामेश्वरलाल डूडी, हरफूल खीचड़, भंवरलाल सहारण, महेंद्रकुमार डूडी, हरलाल डूडी, रामचंद्र ऐचरा, सुरेंद्र हुड्‌डा, पवन सेवदा, बृजलाल खीचड़, खींवाराम ख्यालिया, चेतनराम ज्याणी, जैसराम दैया, मदनलाल कुल्हरि, रामेश्वर सुंडा, गिरधारीलाल बांगड़वा सहित समाज के सैकड़ों लोग उपस्थित थे।

जाट बौद्धिक मंच प्रतिभा सम्मान समारोह रतनगढ-2021

जाट बौद्धिक मंच रतनगढ़ द्वारा प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन शनिवार 6.11.2021 को ग्रामीण किसान छात्रावास में आयोजित किया गया। पूर्व परियोजना निदेशक सुगनाराम कटेवा कार्यक्रम के अध्यक्ष और डूंगर कालेज के प्रोफेसर श्याम सुंदर ज्याणी मुख्य वक्ता थे। कार्यक्रम का संचालन पूराराम गांधी व श्रवण महिया द्वारा किया गया। इस अवसर के कुछ चित्र यहाँ दिये गए हैं।

Notable persons from tahsil

Notable persons from city

  • Ashish Dhaka s/o Ram Lal Ratangarh, Meritorious Student in 12th Board Examination-2014 with marks 83.8 %
  • Kuldip Kulhari s/o Karni Singh, Ratangarh, Meritorious Student in 12th Board Examination-2014 with marks 81%
  • Surya Prakash Jhajhra s/o Chauth Ram, Ratangarh, Meritorious Student in 12th Board Examination-2014 with marks 78.4%
  • Sita Ram Koka s/o Kumbha Ram, Ratangarh, Meritorious Student in 12th Board Examination-2014 with marks 75.2 %
  • Narendra Singh Dhaka s/o Mangi Lal, Ratangarh, Meritorious Student in 10th Board Examination-2014 with marks 86.5%
  • Bhageshwar Dhaka s/o Ramlal, Ratangarh, Meritorious Student in 10th Board Examination-2014 with marks 85%
  • Km Bhagyashri Sewda d/oPawan Kumar, Ratangarh, Meritorious Student in 10th Board Examination-2014 with marks 80%
  • Anurag Kulhari s/o Madan Lal, Ratangarh, Meritorious Student in 10th Board Examination-2014 with marks 77.33%
  • Devanshu Chaudhari (Jhuria) s/o Mahavir Prasad Jhuria, Ratangarh, Meritorious Student in 10th Board Examination-2014 with marks 76.17%
  • Vikas Gadhwal s/o Girdhari Lal, Ratangarh, Meritorious Student in 10th Board Examination-2014 with marks 76%
  • Km Kalpana Chaudhari (Godara) d/o Debu Ram Godara, Ratangarh, Meritorious Student in 10th Board Examination-2014 with marks 75.8
  • Ganesha Ram Dhaka s/o Prabhu Ram, Ratangarh, Meritorious Student in 10th Board Examination-2014 with marks 76.83%
  • Km Anita Punia d/o Kisna Ram, Ratangarh 77.11% Marks and Topper in BA Lohiya College Churu

Notable Institutions

External links

References

  1. Churu Janpad Ka Jat Itihas by Daulat Ram Saran Dalman
  2. Falling Rain Genomics, Inc - Ratangarh
  3. History of the Jats/Chapter V,p.92
  4. पंडित अमीचन्द्र शर्मा, जाट वर्ण मीमांसा, 1910, पृ.34
  5. डॉ गोपीनाथ शर्मा: 'राजस्थान के इतिहास के स्त्रोत', 1983, पृ.104
  6. राजस्थान के इतिहास के स्त्रोत, 1983, पृ. 104
  7. Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p. 13-14
  8. Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke AgradootChaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p.98
  9. http://www.ratangarhnagrikparishad.com/article/article1.htm.
  10. http://www.ratangarhnagrikparishad.com/article/article1.htm.
  11. Matrix News, Dec 10, 2012
  12. [http://www.bhaskar.com/article/RAJ-OTH-c-212-61308-NOR.html Matrix News, Dec 26, 2012
  13. Bhaskar News Network, Oct 09, 2014
  14. मेहनत सफलता का मूलमंत्र : बुरड़क Bhaskar News Network, Oct 20, 2014
  15. http://www.swamikeshwanand.com/Donors%20List.aspx sn 222
  16. http://www.swamikeshwanand.com/Donors%20List.aspx sn 222

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