Padam Singh Dhama
Padam Singh Dhama (Havaldar) (03.6.1962 - 08.5.1999) is a Martyr of Kargil war from Uttar Pradesh. He martyred on 8 May 1999 in Operation Vijay. He was from village Binauli , district Bagpat, Uttar Pradesh. Unit-16 Grenadiers Regiment.
हवलदार पदम सिंह धामा का जीवन परिचय
हवलदार पदम सिंह धामा
03-06-1962 - 08-05-1999
वीरांगना - श्रीमती मुकेश देवी
यूनिट - 16 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट
द्रास सेक्टर की लड़ाई
ऑपरेशन विजय
कारगिल युद्ध 1999
हवलदार पदम सिंह धामा का जन्म 3 जून 1962 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले की बड़ौत तहसील के बिनौली गाँव में श्री अजब सिंह धामा एवं श्रीमती शकुंतला देवी के परिवार में हुआ था। स्कूली शिक्षा पूरी करने के उपरांत वर्ष 1980 में वह भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। वर्ष 1999 तक वह हवलदार के पद पर पदोन्नत हो गए थे।
वर्ष 1999 में उनकी यूनिट 16 ग्रेनेडियर्स को कारगिल के द्रास सेक्टर में तैनात किया गया था। यूनिट के सैनिक सेक्टर में नियंत्रण रेखा के साथ अग्रिम चौकियों पर तैनात थे। नियंत्रण रेखा पर कई बार बिना किसी चेतावनी के युद्धविराम का उल्लंघन होता रहता है। 16 ग्रेनेडियर्स पिछले दो वर्षों से द्रास में तैनात थी, यह बटालियन क्षेत्र के दो छोरों पर कंपनी के दो पोस्ट पर तैनात थी। दोनों कंपनियों के बीच 20 किमी तक फैला खाली क्षेत्र था। पूर्व की ओर 10 किमी का एक और खाली क्षेत्र था जबकि पश्चिम में 50 किमी का खाली क्षेत्र था।
गर्मी के महीनों में किसी आतंकवाद विरोधी आकस्मिक घटना पर त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए शेष दो कंपनियों को द्रास में रखा गया था। यूनिट के सैनिक नियमित रूप से घुसपैठ विरोधी अभियानों में लगे हुए थे क्योंकि इस क्षेत्र में सदैव सीमा पार से घुसपैठ का खतरा रहता है। मई 1999 की शुरुआत में, बटालिक-याल्दोर सेक्टर में दुश्मन की असामान्य गतिविधियां देखी गईं और इनके परिणामस्वरूप भारतीय सेना की UNITS ने अपने AOR (Area of Responsibility) क्षेत्र में आक्रामक गश्त आरंभ कर दी थी।
08 मई 1999 को हवलदार पदम सिंह द्रास सेक्टर में ऐसे ही एक गश्ती दल का हिस्सा थे। हवलदार पदम सिंह के गश्ती दल को घुसपैठियों की उपस्थिति की जांच करने व यह भी देखने का काम सौंपा गया था कि गर्मियों में फिर से कब्जा करने के लिए पर्याप्त रूप से बर्फ हट गई है या नहीं। जब यह टुकड़ी गश्त कर रही थी, तब इस क्षेत्र में घुसपैठ कर चुके दुश्मन सैनिकों ने इस पर हमला कर दिया। हवलदार पदम सिंह और उनके साथियों ने जवाबी हमले के लिए मोर्चा संभाला और वहां भीषण मुठभेड़ शुरू हो गई। आगामी गोलीबारी में हवलदार पदम सिंह की छाती में गोलियां लगने से वह गंभीर रूप से घायल हो गए व अंततः वीरगति को प्राप्त हुए।
हवलदार पदम सिंह धामा एक वीर व प्रतिबद्ध सैनिक थे जिन्होंने राष्ट्र की सेवा में अपना जीवन लगा दिया। उनके बलिदान को देश युगों युगों तक याद करेगा।
शहीद को सम्मान
स्रोत
बाहरी कड़ियाँ
चित्र गैलरी
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हवलदार पदम सिंह धामा
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हवलदार पदम सिंह की तस्वीर के साथ मां शकुंतला देवी, वीरांगना मुकेश देवी और बेटा अक्षय धामा।
संदर्भ
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