Pampa Sarovar

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Pampa Sarovar (पंपासरोवर) is a lake in Koppal district near Hampi in Karnataka. To the south of the Tungabhadra River, it is considered sacred by Hindus and is one of the five sacred sarovars, or lakes in India.

Variants

Location

The Pampa Sarovar lake is located in a valley, hidden among the hills on the road to Anegundi from Hospet. It is about a kilometer from the foothills of the Hanuman Temple. The lake is filled with lotuses, and is really picturesque when the flowers are in bloom. There is a Lakshmi temple, as well as a Shiva temple facing the pond. Next to the pond, under a mango tree stands a small Ganesh shrine.[1]

History

According to Hindu theology, there are five sacred lakes; collectively called Panch Sarovar; Mansarovar, Bindu Sarovar, Narayan Sarovar, Pampa Sarovar and Pushkar Sarovar.[2] They are also mentioned in Shrimad Bhagavata Purana.[3][4] In Hindu scriptures Pampa Sarovar is regarded as the place where Pampa, a form of Shiva's consort Parvati, performed penance to show her devotion to Shiva.[5] It is also one of the Sarovar's that finds a mention in the Hindu epic, Ramayana as the place where Shabari, a devotee of Rama waited for the arrival of Ram.

पंपासर = पंपासरोवर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[6] ने लेख किया है ...पंपासरोवर अथवा 'पंपासर' (AS, p.519) होस्पेट तालुका, मैसूर का एक पौराणिक स्थान है। हंपी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायण कालीन किष्किंधा माना जाता है। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मुख्य मार्ग से कुछ हटकर बायीं ओर पश्चिम दिशा में, पंपासरोवर स्थित है। पर्वत के नीचे पंपासरोवर नाम से कहा जाने वाला एक छोटा-सा सरोवर है। इसके पास ही एक दूसरा सरोवर भी स्थित है जो, मानसरोवर कहलाता है। पंपासर के निकट पश्चिम में पर्वत के ऊपर कई जीर्ण-शीर्ण मंदिर दिखाई पड़ते हैं। पर्वत में एक गुफ़ा भी है, जिसे रामभक्तनी शबरी के नाम पर 'शबरी गुफ़ा' कहते हैं। कुछ लोगों का विचार है कि वास्तव में रामायण में वर्णित विशाल पंपासरोवर इसी स्थान पर रहा होगा, जहाँ आज कल हास्पेट का क़स्बा है।

वाल्मीकि रामायण, अरण्यकांड 74,7 ('तौ पुष्करिण्या: पंपायास्तीरमासाद्य पश्चिमम् अपश्यतां सतस्तत्रशवर्या रम्यमाश्रमम्') से सूचित होता है कि पंपासर के तट पर ही शबरी का आश्रम था। किष्किंधा के निकट सुरोवनम् नामक स्थान पर शबरी का आश्रम बताया जाता है। इसी के निकट शबरी के गुरु मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध 'मतंगवन' था- 'शबरी दर्शयामास तावुभौततनंमहत् पश्य, मेघघन प्रख्यं मृगपक्षिसमाकुलम्, मतंगचनमित्येव विश्रुतं रघुनंदन, इहवे भवितात्मानो गुरुवो मे महाद्युते'वाल्मीकि रामायण, अरण्यकांड 4, 20-21.

पंपा के निकट ही मतंगसर नामक झील थी, जो मतंग ऋषि के नाम पर ही प्रसिद्ध थी। हंपी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास स्थित पहाड़ी आज भी मतंग पर्वत के नाम से जानी जाती है। कालीदास ने पंपासर का सुंदर वर्णन किया है- 'उपांतवानीर वनोपगूढ़ान्यालक्षपारिप्लवसारसानि, दूरावतीर्णा पिवतीव खेदादमुनि पंपासलिलानि दृष्टि:'।

अध्यात्म रामायण, किष्किंधाकांड 1, 1-2-3 में पंपा के मनोहारी वर्णन में इसे एक कोस विस्तार वाला अगाध सरोवर बताया गया है- 'तत: सलक्ष्मणो राम: शनै: पंपासरस्तटम, आगत्य सरसां श्रेष्ठं दृष्ट्वाविस्मयमायवौ। क्रोशमात्रं सुविस्तीर्णमगाधामलशंबरम्, उत्फुल्लांबुज कह्लार कुमुदोत्पलमडितम्। हंसकारंडवकीर्णचक्रवाकादिशोभितम् जलकुक्कुटकोयशटि क्रौंचनादोपनादितम्।'

External links

References