Pandit Harishchandra Sharma

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Pandit Harishchandra Sharma from Penghor, Kumher, Bharatpur, Rajasthan, was a social worker a Freedom fighter and hero of farmers movement in Rajasthan.

इतर जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[1] ने लिखा है ...

जीवन परिचय

पंडित हरिश्चंद्र जी शर्मा - [पृ.542]: पंडित जी पेंघोर कुम्हेर तहसील के रहने वाले हैं। आपके पिता पंडित हरिबल्लभ जी रामायण के अच्छे पंडित थे। जब आपकी 13 वर्ष की आयु थी उसी समय आपके पिता स्वर्गारोहण हो गए। आपकी शिक्षा महामान्य श्री स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज के यहां हुई। आपके दो छोटे भाई केशवदेव और दौलतराम हैं। आपके बड़े भाई पंडित भमरसिंह जी थोड़े दिन बाद ही स्वर्गवासी हो गए। आप तीनों ही भाई धार्मिक राजनीतिक विचारों के हैं।

जब एक बार मैं पेंघोर गया तो आप से मेरी मुलाकात हुई। तभी से प्रवाहित होकर आपको मैं आगरा शुद्धि सभा में बुलाया और शुद्धि कार्य सौंपा। आपने अपने परिश्रम से सभा में 7000 शुद्धियाँ कराई। सैकड़ों बच्चों को विधर्मियों से


[पृ.543]: बचाया तथा 50 के करीब अबलाओं को मुसलमानों के घर से निकाल कर उनके धर्म की रक्षा की।

राजनीतिक कार्यों से आप बार बार जेल जा चुके हैं। जिस समय भरतपुर की जनता पुलिस सुपरिंटेंडेंट नक्कीमोहम्मद और दीवान मैकेंजी के अत्याचारों से त्राहि-त्राहि कर रही थी उस समय महात्मा गांधी का नाम लेना तथा फोटो रखना भी जुर्म था। उसी समय बोर्ड में हजारों की भीड़ पुलिस के कड़े प्रबंध के होते हुए आप ने दीवान के कारनामे छपे हुए रूप में दिए तथा हजारों की तादाद में बांटे और उन को काले झंडे दिखाए थे। आप उसी समय गिरफ्तार हो गए और एक वर्ष की जेल हुई। सन 1930 में आप जेल से छूटे और फिर राजनीतिक कार्य में जुट गए।

जब मैंने भरतपुर में सन 1939 में राज्य शासन के खिलाफ और उत्तरदाई शासन के लिए सत्याग्रह छेड़ा तो आप के घर से ही 6 व्यक्ति मेरे साथ जेल गए। आप सत्याग्रह के तीसरे डिक्टेटर थे। आपका छोटा भाई दौलतराम सातवां डिक्टेटर होकर जेल गया। भाई की धर्मपत्नी सत्यवती देवी जत्थेदार होकर गिरफ्तार हुई। जब मैंने सीकर का आंदोलन छेड़ा तब भी आपने काफी सहायता की। अजमेर में मेरे साथ कार्य करते रहे। अजमेर से आकर बाटरासाही के खिलाफ किसान आंदोलन में कार्य किया। अगर भरतपुर में पूछा जाए तो पंडित हरीशचंद्र जी दूसरे राजनीतिक कार्यकर्ता हैं।

सन 1940 में मेरे साथ ही जेल से आप छूटे और भरतपुर प्रजापरिषद का कार्य जोरों से करने लगे। हजारों ही आपने बयाना निजामत में मेंबर बनाए। रमेश स्वामी को आप ही प्रजा परिषद में लाए थे। जब 1939 का प्रजा परिषद


[पृ.544]: आंदोलन चला था 700 गिरफ्तारी हुई थी। जिसमें 600 किसान गिरफ्तार हुए। फिर भी यहां के शहरियों की तरफ से किसानों की अवहेलना होती थी। इस अपमान को शर्माजी बर्दाश्त नहीं कर सके। शर्माजी ने कहा कि प्रजापरिषद के लोग शहरी-देहाती का भेद करते हैं। इसलिए परिषद से अलग हो जाना चाहिए। हम परिषद से अलग हो गए।

सन 1942 के मलेरिया में आपने किसान सभा की ओर से देहातों में औषधि वितरण किया। आप आरम्भ से अब तक किसान सभा के सेक्रेटरी हैं। सन 1948 के किसान आंदोलन में भी आप जेल हो आए हैं। नवजागृति के आप संपादक हैं।

जीवन परिचय

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.542-544

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