Payasvini
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Payasvini (पयस्विनी) is a river flowing in Draviḍa in the Bhāratavarṣa.[1] Shrimadbhagavata mentions Payasvini in south India. It is probably the Palar River of southern India.
Origin
Variants
- Payasvini River पयस्विनी नदी (AS, p.528)
- Palara River पालार, दे. Payasvini पयस्विनी, (AS, p.554)
- Palar River
- Pishuni पिशुनी = Payasvini पयस्विनी, (AS, p.561)
History
Palar River: Palar is a river of southern India. It rises in the Nandi Hills in Chikkaballapura district of Karnataka state[2] and flows 93 kms in Karnataka, 33 kms in Andhra Pradesh and 222 kms in Tamil Nadu before reaching its confluence into the Bay of Bengal at Vayalur about 100 kms south of Chennai. It flows as an underground river for a long distance only to emerge near Bethamangala town, from where, gathering water and speed, it flows eastward down the Deccan Plateau. The cities of Bethamangala, Santhipuram, Kuppam, Ramanaickenpet, Vaniyambadi, Ambur, Melpatti, Gudiyatham, Pallikonda, Melmonavoor, Vellore, Katpadi, Melvisharam, Arcot, Ranipet, Walajapet, Kanchipuram, Walajabad, Chengalpattu, Kalpakkam, and Lattur are located on the banks of the Palar River. Of the seven tributaries, the chief tributary is the Cheyyar River.
पयस्विनी नदी
विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ... 1. पयस्विनी नदी (AS, p.528): श्रीमद्भागवत , 11,5,39-40 में दक्षिण भारत की नदियों में पयस्विनी नदी का नामोल्लेख है। 'ताम्रपर्णी नदी यत्र कृतमाला पयस्विनी कावेरी च महापुण्या प्रतीची च महानदी'। पयस्विनी नदी संभवत: दक्षिण भारत की पलार नदी है। पयस्विनी नदी का श्रीमद्भागवत 5,19,18 में भी उल्लेख मिलता है-- 'कावेरी वेणी पयस्विनी शर्करावर्ता तुंगभद्रा कृष्ण...'.
2. पयस्विनी नदी (AS, p.528): चित्रकूट ज़िला बांदा, उत्तर प्रदेश के निकट बहने वाली नदी वर्तमान पिशुनी। चित्रकूट के निकट ही पयस्विनी और मंदाकिनी का संगम राघव-प्रयाग है। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस अयोध्याकांड चित्रकूट के वर्णन में लिखा है-- 'लषण दीख पय उतर करारा, चहुं-दिशि फिरयों धनुष जिमि नारा'। इसकी टीका में 'पय' का अर्थ करते हुए कुछ टीकाकारों ने पयस्विनी नदी का निर्देश किया है। वाल्मीकि ने चित्रकूट के वर्णन में मुख्य नदी मंदाकिनी का ही वर्णन किया है। वास्तव में पयस्विनी मंदाकिनी की उपशाखा है। (दे.चित्रकूट, मंदाकिनी)