Raja Fateh Singh

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Raja Fateh Singh (b.1792 - d. 3 Feb 1822) was Sindhu-Jat ruler of princely state Jind in Haryana. Raja Bhag Singh died in 1819, and was succeeded by his son Fatah Singh.

The reign of Raja Fatah Singh uneventful

Lepel H. Griffin writes:[1] The reign of Raja Fatah Singh was very short and quite uneventful. He died on 3rd of February 1822, at his residence of Sangrur, aged thirty-three, leaving one son, Raja Sangat Singh, eleven years of age, the child of his second wife


* Sir D. Ochteriony to Resident Dehli, 27th April 1817. Letter from Resident to Sir D. Octerloiiy, enclosing Mr. Fraser’s report. Captain Birch to General Ochterlony, enclosing letter from Raja Bhag Singh, dated 36th December 1816.

[Page-354]

Sahib Kour, daughter of Khushhil Singh of Bournewala. His first wife Khem Kour, daughter of Sirdar Didar Singh, bore him no children.

No special arrangements were made by the British Government with regard to the Jhind administration, but the officers of that State were directed to carry on the Government in the ordinary Manner.*

राजा फतेहसिंह

जींद राज्य का वंश-वृक्ष

राजा फतेहसिंह (b.1792 - d. 3 Feb 1822) पटियाला-स्टेट एवं जींद-स्टेट दोनों राजवंश के पुरखा चौधरी फूल की छटवीं पीढ़ी में सिद्धू गोत्र का जाट था। वह भागसिंह का पुत्र था । जाट इतिहास:ठाकुर देशराज (पृ.485-86) से इनका इतिहास नीचे दिया जा रहा है।

चौधरी फूल के बड़े लड़के तिलोका के दो पुत्र हुए- गुरुदत्तसिंह और सुखचैन। बड़े भाई गुरुदत्तसिंह के वंशज नाभा-स्टेट और छोटे भाई सुखचैन के रियासत जींद, सरदार बड़रूखांबाजेदपुर थे।

सुखचैन का विशेष इतिहास नहीं मिलता। इसके तीन लड़के थे - आलमसिंह, गजपतसिंह और बुलाकीसिंह। आलमसिंह से इस स्टेट का इतिहास पूरा मिलता है।

राजा गजपतसिंह के बाद जींद रियासत भागसिंह और भूपसिंह दोनों भाइयों में बंट गई। भूपसिंह को बड़रूखां का इलाका मिला और भागसिंह को इलाका


जाट इतिहास:ठाकुर देशराज, पृष्ठान्त-479


जींद और सफेदों का। चूंकि भागसिंह बड़ा लड़का था, इसलिए अधिक प्रदेश और राजा के खिताब का वही अधिकारी हुआ।


इधर राजा भागसिंह के नाम से ही रियासत का इन्तजाम था, पर प्रबन्ध कुं फतेहसिंह ही करते थे। अब राजा साहब के 3 पुत्रों में से सिर्फ फतेहसिंह ही रह गया था। तब कोई कारण नहीं था कि फतेहसिंह के लिए राजा साहब होने में कोई दखल होता।

राजा भागसिंह की सन् 1819 में मृत्यु हो गई। इसके तीन रानियां थीं।


जाट इतिहास:ठाकुर देशराज, पृष्ठान्त-485


पहली रानी से कुंवर फतेहसिंह और दूसरी से प्रतापसिंह और तीसरी रानी से कुंवर महतावसिंह उत्पन्न हुए थे। फतेहसिंह की मां का पहले ही देहान्त हो गया था और महतावसिंह की मां का कुंवर प्रतापसिंह द्वारा कत्ल हो गया था। इस समय तक महतावसिंह और प्रतापसिंह भी संसार को छोड़ कर प्रस्थान कर चुके थे। इसलिए राजा भागसिंह के पश्चात् फतेहसिंह गद्दी के अधिकारी हुए।

राजा फतेहसिंह - राजा फतेहसिंह ने बड़ी बुद्धिमानी से रियासत का कार्य संभाला। उनके काल में विशेष उल्लेखनीय घटना नहीं हुई। राजा फतेहसिंह की तारीख 3 फरवरी 1822 को संगरूर में 30 वर्ष की अवस्था में मृत्यु हो गई। राजा साहब के दो रानियां थीं। पहली रानी से कोई सन्तान न हुई। दूसरी रानी साहिबा से कुंवर संगतसिंह पैदा हुए थे जिनकी उम्र उस समय 11 वर्ष की थी। अंग्रेजी सेना ने कोई विशेष प्रबन्ध नहीं किया, बल्कि हिदायत दी कि मामूली तौर से रियासत का प्रबन्ध होता रहे।

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References


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