Rampratap Chaudhary Makreda
Rampratap Chaudhary Makreda (चौधरी रामप्रताप मकरेड़ा), from Makreda (मकरेड़ा), Ajmer, was a Social worker in Ajmer, Rajasthan.[1]
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....चौधरी रामप्रताप - [पृ.102]: लंबे और पतले कद के एक बुड्ढे चौधरी रामप्रताप को अजमेर मेरवाड़ा के जाट तब तक नहीं भूल सकते जब तक कि पुष्कर का जाट मंदिर मौजूद है। उन्होंने अजमेर के चौधरी गुलाबचंद के साथ मिलकर इस मंदिर को बनाने में काफी उद्योग किया। इसके बाद वह जाट सभा के कामों में दिलचस्पी लेने लगे और सन् 1932 में सराधना में अजमेर मेरवाड़ा जाट महोत्सव कराया जिसमें डिप्टी कमिश्नर अजमेर मेरवाड़ा ने भी भाग लिया। आपका नाम चौधरी रामप्रताप था। आप मकरेड़ाग्राम के रहने वाले तथा वहां के लंबरदार थे। खेद है कि वह अब इस संसार में नहीं है किंतु उनकी याद मौजूद है।
जीवन परिचय
आप उस समय के उपप्रधान राजस्थान जाटसभा रहे। [3]
28, 29 दिसंबर 1933 को सराधना में राजस्थान जाट सभा का वार्षिक उत्सव कुँवर बलराम सिंह के सभापतित्व में हो रहा था। यह उत्सव चौधरी रामप्रताप जी पटेल मकरेड़ा के प्रयत्न से सफल हुआ था। इसमें समाज सुधार की अनेकों बातें तय हुई। इनमें मुख्य पहनावे में हेरफेर की, और नुक्ता के कम करने की थी। इसमें जाट महासभा के प्रधान मंत्री ठाकुर झम्मन सिंह ने भरतपुर में सूरजमल शताब्दी पर प्रतिबंध लगाने का संवाद सुनाया। [4]
गैलरी
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Jat Jan Sewak, p.102
सन्दर्भ
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.102
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.102
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.95
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.10
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