Ramdev Singh Kasiniwal

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Author: Laxman Burdak IFS (R)

Ramdev Singh Kasiniwal (born:1889) (चौधरी रामदेवसिंह कासिनीवाल), from Nagli (नगली), was a Social worker in Alwar, Rajasthan. [1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....चौधरी रामदेव जी: [पृ.83]: सन् 1931 में मैं जाट-वीर का संयुक्त संपादक था।


[पृ.84]: वास्तव में तो 'पीर बवर्ची भिश्ती खर' की लोकोक्ति के अनुसार उस समय जाट-वीर के लिए सम्पादक, मेनेजर, डिस्पेचर, चपरासी आदि के सभी काम मुझे ही करने पड़ते थे। मैं हर हफ्ते अखबार रवाना करते समय अलवर को जाने वाले जतवीरों की सूची में चौधरी रामदेव जी नगली के नाम की चिट्ठी अनेकों बार मेरी आँखों के सामने से गुजरी। बस नाम से मैं चौधरी रामदेव जी को तभी से जानता हूँ। सन् 1931 ई. से 1936 ई. तक कई बार उनसे पत्र व्यवहार हुआ लेकिन दर्शन उनके 1933 में सोडावास में ही हुए।

चौधरी रामदेवसिंह कासिनीवाल गोत के जाट हैं। अलवर राज्य में इस गोत के सिर्फ 5 गांव हैं। कुछ गांव संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) में हैं।

आपका जन्म संवत 1946 में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को हुआ था। पिता का नाम चौधरी कल्लूराम जी था। आपने आरंभ में रसगन में शराफी की तालीम पाई। शराफी दुकानदारों की खास लिपि है। भाषा-भेष का आदमी पर खासा असर पड़ता है। चौधरी रामदेव जी की हल्की बनियाशाही पगड़ी को देखकर यह सच भान होता है कि यह कोई महाजन है। लिबास के साथ ही उन्होंने गंभीरता से सोचना और ठंडा मिजाज रखना तथा गम खाना भी बनियों से हासिल किया।

मैंने उनकी सहन शक्ति का परिचय सिरोहड़ जाट उत्सव में पाया था जब सिरोही (पटियाला) राज्य के चौधरी झाबरमल जी अपनी लड़की कमला को चौधरी रामदेव जी द्वारा कोई सीख की बात कहे जाने पर नाराज हो गए थे। चौधरी रामदेव जी ने उनकी तमाम अप्रिय बातों को बर्दाश्त किया।

अलवर राज्य के पुराने जाट जनसेवकों में आप ही ऐसे हैं जिन्होंने घर पर रहकर और जमीदारी करते हुए भी


[पृ.85]: अपने बाल बच्चों को तालीम देने की पूरी कोशिश की है। आपके 3 लड़के हैं - बड़े हरदयालसिंह, मंझले हुक्म सिंह और छोटे हरिसिंह जो इस समय मेट्रीक में पढ़ रहे हैं।

जीवन परिचय

गैलरी

संदर्भ


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