Rudrakot
Rudrakot (रुद्रकोट) is a town in Pakistan.
The Founders
Hari Chandra, the ancestor of Bamraulia rulers of Gohad, founded village Rudrakota (Taxak Kot).
Jat Gotras
Location
It is near Peshawar
History
इतिहास
ठाकुर देशराज[1] ने लिखा है ....[पृ.561]: भाट ग्रन्थों का कहना है शिव के प्रसिद्ध गण वीरभद्र की चार स्त्रियां थी। उनमें आशादेवी से सोनभद्र और स्वर्णभद्र, भद्रादेवी से पवनभद्र, अलका देवी से झषभद्र, और मायादेवी से धीरभद्र नामक पुत्र उत्पन्न हुए।
धीरभद्र के पुत्र रुद्रदेव ने कश्मीर में रूद्रकोट नाम का नगर बसाया। रूद्रभद्र के आगे ब्रह्मभद्र, कर्णभद्र, जयभद्र, ताम्रभद्र, ज्ञानभद्र, चक्रभद्र पीढ़ी दर पीढ़ी राजा इस वंश में हुए। चक्रभद्र के 2 पुत्र नागभद्र और वज्रभद्र।
नागभद्र को कर्कोटक नाग की बेटी ब्याही गई। उससे उत्पन्न होने वाले तक्षक कहलाए और तक्षशिला नगरी बसाई।
नागभद्र के दूसरे भाई वज्रभद्र क्रीटभद्र, चंद्रभद्र, रोरभद्र, कोकभद्र, तमालभद्र, मेपभद्र, पुलिंगभद्र, पीढ़ी दर पीढ़ी राजा हुए। इनमें पुलिंगभद्र ने कश्मीर से हटकर गंगा किनारे मायापुरी नामका नगर बसाया जो आगे चलकर हरिद्वार के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
इनसे आगे इस वंश में तुंगभद्र, पूर्णभद्र, तेजभद्र, राजभद्र, मेघभद्र और (द्वितीय) स्वर्णभद्र हुए। स्वर्णभद्र की 40 वी पीढ़ी में राणा हरिआदित्य हुए। मायापुरी नगरी इन्हीं के नाम पर हरिद्वार के नाम से प्रसिद्ध हुई। हरिआदित्य भीम द्वारा पांडवों की राज सूर्य दिग्विजय में मारे गए।
राणा हरिआदित्य जी की 16वीं पीढ़ी के राजा पेजसर ने हरिद्वार को छोड़ दिया और यमुना के तटवर्ती इलाके में उनकी संतान के लोगों ने आबादी की।
[पृ.562]: उधर संघ विजय ने 270 वर्ष पंजाब पर सिकंदर के हमले में तक्षक वंशी राजा वीरसिंह लड़ते हुए मारे गए। उनके दो पुत्र थे: 1. अमरसेन और 2. मदनसेन। अमरसेन अभिसार का अधिपति था। ज्ञात होता है कि यूनानी लेखकों ने अमरसेन (अभिसार) को ही आम्भी लिखा है।
अमरसेन (अभिसार) के दो पुत्र विजयदेव और स्वर्णदेव थे। इससे आगे की कई पीढ़ियों का पता नहीं चलता।
संवत 875 (818 ई.) में करकदेव अभिसार (पंजाब) को छोड़कर दौंदरखेड़े में आ गए और यह लोग दोंदेरिया नाम से मशहूर हुए।
गोहद के बमरौलिया जाटों का प्राचीन इतिहास
बमरौलिया राजवंश का आदि-स्थान - बमरौलिया राजवंश का मूल उद्गम पंजाब प्रान्त में चिनाब नदी के तट पर बमरौली खेड़ा नामक स्थान माना जाता है. इस वंश के आदि पुरुष ब्रह्मदेव ने इसे युधिष्ठिरी संवत 192 (2946 BC) में बसाया था. [2] (Ojha, p.32)
युधिष्ठिरी संवत- युधिस्ठिर के धर्म-राज्य की स्थापना के अवसर पर युधिष्ठिरी संवत प्रारम्भ हुआ था. महाभारत युद्ध के पश्चात कलियुग प्रारम्भ होने (3102 BC) के 36 वर्ष पूर्व अर्थात 3138 BC में युधिष्ठिरी संवत प्रारम्भ हुआ. (Ojha, p.44)
बमरौली खेड़ा से गढ़ बैराठ क्रमिक आगमन - इसके बाद इनके वंशज हरिचंद्र ने उत्तर पश्चिमी सीमान्त प्रान्त में वर्तमान पाकिस्तान के पेशावर के समीप रुद्रकोट नामक नामी नगर बसाया[3], तथा रूपचन्द्र ने वर्तमान ईरान में जाटाली प्रदेश स्थापना की थी.[4] (Ojha, p.32)
References
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.561-562
- ↑ Mohan Lal Gupta, Jaipur: Jilewar Sanskritik Evam Aitihasik Adhyayan, p.175
- ↑ Kannu Mal, Dholpur Rajya Aur Dhaulpur Naresh,p.7
- ↑ Ranjit Singh, Jat Itihas, p.42
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Notable persons
Population
External links
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